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नई दिल्ली: कांग्रेस की हालत चुनाव दर चुनाव खराब होती जा रही है. न तो उसे चुनाव में जीत मिल रही है और न ही उसे चंदा मिल पा रहा है. देश की सबसे पुरानी पार्टी की हालत बदतर हो गई है. उससे अच्छी तो रीजनल पार्टी बीआरएस है. उसकी न तो कहीं सरकार है और न सांसद. फिर भी उसे झोलीभर के चंदा मिला है. भाजता तो छोड़ ही दीजिए. चंदा के मामले में तो बीआरएस ने ही कांग्रेस को हरा दिया है. साल 2023-24 में कांग्रेस को बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति से भी कम चंदा मिला है.
जी हां, भाजपा को व्यक्तियों, ट्रस्टों और कॉरपोरेट घरानों से देश में सबसे अधिक 2244 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. वहीं, कांग्रेस को 2023-24 में इसी तरह से 288.9 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. हैरानी की बात है कि कांग्रेस से अधिक चंदा तो बीआरएस को करीब 580 करोड़ मिले हैं. इसका मतलब है कि रीजनल पार्टी बीआरएस कॉरपोरेट की चहेती बनती जा रही है.
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी को साल 2023 24 में 2244 करोड़ तो कांग्रेस को 289 करोड़ रुपए चंदा मिला है. भारतीय जनता पार्टी को पिछले साल से तीन गुना अधिक चंदा मिला है. कांग्रेस से ज्यादा चंदा बीआरएस को मिला है यानी- 580 करोड़. पिछले साल से कांग्रेस को अधिक चंदा मिला है. पिछले साल कांग्रेस पार्टी को 80 करोड़ चंदा मिला था. बीजेपी को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 723 करोड़ और कांग्रेस को 154 करोड़ मिले हैं.
बीआरएस से भी गई गुजरी निकली कांग्रेस
यहां सबसे हैरानी वाली बात यही है कि चंदा के मामले में कांग्रेस तो बीआरएस से भी पिछड़ गई है. कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. दशकों तक देश पर कांग्रेस ने राज किया है. कई राज्यों में कांग्रेस की सरकारें रही हैं. मगर ऐसा लगता है कि भाजपा के उदय ने कांग्रेस को अवसान की ओर धकेल दिया है. जब से भाजपा 2014 में केंद्र की सत्ता में आई है, तब से कांग्रेस की स्थिति खराब ही होती जा रही है. लोकसभा चुनावों में हार और विधासनभा चुनावों में हार ने कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचाया है. कम चंदा इसी का असर है. कांग्रेस को बीआरएस से कम चंदा मिलना इसलिए भी खटक रहा है, क्योंकि कांग्रेस नेशनल पार्टी है, जबकि बीआरएस रीजनल पार्टी.
किस पार्टी को कितना चंदा
सूत्रों की मानें तो बीजेपी और कांग्रेस ने अपने चंदे का जो बही-खाता दिखाया, उसमें इलेक्टोरल बॉन्ड शामिल नहीं हैं. नियमों की मानें तो पार्टियों को अपने सालाना ऑडिट रिपोर्ट में ही इलेक्टोरल बॉन्ड का ब्योरा देना होता है, न कि कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट में. इसलिए ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था. इसके बाद से राजनीतिक दलों के लिए फंड का सबसे बड़ा जरिया सीधे या इलेक्टोरल ट्रस्ट के रास्ते मिले चंदे ही हैं. तो चलिए जानते हैं किस पार्टी को कितना चंदा मिला है.
Tags: BJP Congress, Congress, Electoral Bond
FIRST PUBLISHED :
December 26, 2024, 10:44 IST