Agency:एजेंसियां
Last Updated:July 15, 2025, 12:54 IST
Karnataka Cave Women: रूस की नीना कुटीना अपनी बेटियों के साथ कई सालों से गोकर्ण की गुफा में रह रही थीं. नीना ने सोशल मीडिया पर अपनी दर्द शेयर करते हुए कहा- जंगल सुरक्षित था, इंसान नहीं.

रूसी महिला को पुलिस ने डिटेंशन सेंटर भेजा
हाइलाइट्स
पुलिस ने महिला और बेटियों को गुफा से बाहर निकाला.वीजा खत्म होने पर वो अपनी 2 बेटियों संग गुफा में रह रही थीं.महिला ने सोशल मीडिया पर लिखा उन्हें इंसानों से डर लगता है.कर्नाटक: सोचिए, कोई औरत अपने बच्चों के साथ शहर छोड़कर एक गुफा में रहने लगे… न बिजली, न इंटरनेट, न पक्की छत- सिर्फ प्रकृति के बीच खुला आसमान, घास, झरने की आवाज़ और जंगल की शांति. कुछ ऐसा ही कर रही थीं रूस की नीना कुटीना और उनकी दो बेटियां. वह भारत के कर्नाटक राज्य में गोकर्ण के पास एक गुफा में कई सालों से रह रही थीं. उन्हें वहां सुकून मिलता था. उन्हें बारिश अच्छी लगती थी, सांपों से डर नहीं लगता था, और उन्होंने कहा कि जंगल में इंसानों से ज्यादा सुरक्षित महसूस किया.
पुलिस भी हैरान रह गई!
लेकिन फिर अचानक पुलिस वहां पहुंच गई. उन्होंने नीना और उनके बच्चों को उस गुफा से निकाल लिया. पहले तो उन्हें पास के कुमटा इलाके के एक आश्रम में रखा गया. फिर कुछ दिन बाद सरकारी आदेश के बाद उन्हें टुमकुरु जिले के एक डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया. अब वह कहती हैं कि वह जेल जैसे माहौल में फंसी हैं – न आसमान दिखता है, न हरियाली, न ताज़ी हवा. उन्हें ठंडी और सख्त फर्श पर सोना पड़ रहा है.
सोशल मीडिया पर शेयर की स्टोरी
नीना ने अपनी बात सोशल मीडिया पर लोगों से शेयर की. उन्होंने लिखा कि पहले उनका ‘घर’ एक प्यारी सी गुफा थी. वहां झरने की आवाज़ आती थी, बच्चों को खेलने के लिए घास थी और जीवन में शांति थी. लेकिन अब वह एक ऐसी जगह हैं जिसे वह ‘कैद’ कहती हैं. उन्होंने लिखा, “हमारा गुफा वाला जीवन खत्म हो गया. अब हम ऐसी जगह हैं जहां कुछ नहीं है- न आसमान, न झरना, बस एक ठंडी जमीन है.”
आखिर क्यों हुई नीना की गिरफ्तारी?
अब सवाल उठता है कि नीना और उनकी बेटियों को पुलिस ने क्यों हटाया? असल में नीना रूस से भारत बिज़नेस वीज़ा पर 2016 में आई थीं. उन्होंने गोवा के एक रिज़ॉर्ट में कुछ समय काम भी किया. लेकिन जब उनका वीज़ा खत्म हो गया, तब भी वह भारत में रुकती रहीं. 2018 में उन्हें देश छोड़ने का आदेश दिया गया था, लेकिन वह नेपाल गईं और फिर वापस गोकर्ण आ गईं. उनका पासपोर्ट भी 2019 में खत्म हो चुका था. इसीलिए अब सरकार उन्हें रूस वापस भेजने की तैयारी कर रही है.
नीना का सवाल- “क्या इंसान सबसे खतरनाक है?”
नीना का कहना है कि जंगल में उन्होंने कभी किसी जानवर से खतरा महसूस नहीं किया. न कभी सांप ने काटा, न किसी जानवर ने हमला किया. लेकिन इंसानों से उन्हें हमेशा डर लगा. वह कहती हैं कि इंसान ही एकमात्र ऐसा जीव है जो दूसरों को तकलीफ देता है – चाहे वो जानवर हों या फिर अपने जैसे इंसान. उनके मुताबिक, “प्रकृति ने हमें कभी नुकसान नहीं पहुंचाया. इंसानों ने हमेशा सताया.”
अब क्या होगा आगे?
सरकार ने साफ कर दिया है कि नीना को वापस उनके देश भेजा जाएगा. लेकिन जब तक वह टिकट नहीं खरीदतीं, उन्हें टुमकुरु के डिटेंशन सेंटर में ही रहना पड़ेगा. वह अब भी उम्मीद कर रही हैं कि शायद कोई रास्ता निकले और वह फिर से अपनी पुरानी ज़िंदगी, प्रकृति के बीच, खुली हवा में लौट सकें.