कहीं कंधे पर भोलेनाथ तो कहीं... कांवड़ यात्रा की ये झांकियां दिल मोह लेंगी

7 hours ago

Last Updated:July 15, 2025, 17:47 IST

Kanwar Yatra 2025 Latest Pictures: सावन के महीने में शिव भक्‍तों का हुजूम निकल चुका है. 11 जुलाई को सावन माह की शुरुआत हुई. देशभर में शिव भक्तों का हुजूम कांवड़ यात्रा के लिए हरिद्वार की ओर बढ़ चला है. यह पवित्र यात्रा भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है, जिसमें लाखों भक्त गंगाजल लेकर ‘हर हर महादेव’ के जयकारों के साथ शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं.

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इस वक्‍त कांवड़ यात्रा की जो तस्‍वीरें सामने आ रही है, वो हर एक शिव भक्‍त को दिल को छू जाएगी. एक तस्‍वीर में शख्‍स स्‍वय भगवान भोलेनाथ की एक बड़ी सी मूर्ति को कंधे पर बैठाकर यात्रा करता नजर आया. जिस किसी ने भी इस शख्‍स को देखा, वो उसे निहारने से नहीं रोक सका. इस वक्‍त कावड़ शिवर भक्‍तों से पटे हुए हैं. कई 100 किलोमीटर की यात्रा पर निकले भक्‍तों की सेवा करने वालों की भी कमी नहीं है. (PTI)

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कांवड़ यात्रा की उत्पत्ति समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी है. जब समुद्र मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया तो देवताओं ने उनकी पीड़ा शांत करने के लिए गंगाजल अर्पित किया. मान्यता है कि भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाकर पहली कांवड़ यात्रा शुरू की. यह यात्रा भक्ति, तप और समर्पण का प्रतीक है. मन्‍यता के अनुसार कांवड़ यात्रा शिव भक्तों को भोलेनाथ के करीब लाती है.(PTI)

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हरिद्वार को ‘हर द्वार’ कहा जाता है. सावन में शिव भक्तों का प्रमुख गंतव्य है. मान्यता है कि भगवान शिव सावन माह में कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में अपनी ससुराल में वास करते हैं. शिव पुराण के अनुसार, यहीं माता सती ने यज्ञ अग्नि में प्राण त्यागे थे. भक्त हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर जलाभिषेक करते हैं, जिससे उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. (PTI)

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सावन में गंगाजल का विशेष महत्व है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह भगवान शिव की जटाओं में वास करती है. कांवड़िए हरिद्वार, गंगोत्री या सुल्तानगंज जैसी पवित्र नदियों से जल लेकर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते हैं. इस जल से शिवलिंग का अभिषेक करने से पापों का नाश होता है और सुख-शांति मिलती है. भक्त ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र जपते हुए यह जल अर्पित करते हैं. (PTI)

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कांवड़ यात्रा कई प्रकार की होती है. सामान्य दांडी और डाक कांवड़ को लोग जानते हैं. सामान्य कांवड़ में भक्त जल को कंधे पर रखकर ले जाते हैं, जबकि डाक कांवड़ में जल को बिना छुए यात्रा पूरी की जाती है. भक्त शुद्धता और संयम का पालन करते हैं. शुद्ध भोजन ग्रहण करना और जमीन पर न सोना. यह यात्रा शारीरिक और मानसिक अनुशासन को दर्शाती है. (PTI)

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इस सावन में कुल सोमवार हैं। 14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त को सावन के सोमवार हैं। 23 जुलाई को शिवरात्रि मनाई जाएगी. सोमवार को शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, और धतूरा अर्पित करने से विशेष पुण्य मिलता है. सावन शिवरात्रि पर रातभर जागरण और रुद्राभिषेक का आयोजन होता है, जो भक्तों को मोक्ष और समृद्धि का आशीर्वाद देता है. (PTI)

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हरिद्वार में कांवड़ मेला 2025 में 7 करोड़ भक्तों के आने की उम्मीद है. प्रशासन ने शहर को तीन सुरक्षा जोन में बांटा है. कनखल के दक्षेश्वर मंदिर और गौरी शंकर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ‘बम बम भोले’ के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. पुलिस और स्वयंसेवी संगठन यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करते हैं. (PTI)

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कहीं कंधे पर भोलेनाथ तो कहीं... कांवड़ यात्रा की ये झांकियां दिल मोह लेंगी

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