शुभांशु के यान में लगी भीषण आग, तापमान हुआ 2000°C, तब किस तकनीक से बचा

6 hours ago

Last Updated:July 15, 2025, 18:39 IST

जैसे ही शुभांशु शुक्ला को लेकर अंतरिक्ष से धरती आ रहे क्रू ड्रैगन यान में जबरदस्त आग लग गई. तापमान 2000 डिग्री तक पहुंच गया. फिर कैसे ये यान बचा. क्या है तकनीक

शुभांशु के यान में लगी भीषण आग, तापमान हुआ 2000°C, तब किस तकनीक से बचा

हाइलाइट्स

पृथ्वी की सतह में आते ही कैसे क्रू ड्रैगन कैप्सूल में लगी भयंकर आग PICA-X हीट शील्ड ने यान को आग से कैसे बचायायान के अंदर के हिस्से में तापमान 25°C से 30°C तक रहा

जब एक्सिओम-4 मिशन पर गया क्रू ड्रैगन विमान कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट पर समुद्र में उतरा तब ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से जला हुआ नजर आ रहा था. यान में पृथ्वी के वातावरण में आते ही जबरदस्त आग लगी. यान में बाहर की ओर लगी आग का तापमान 1600 सेंटीग्रेड से 2000 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच रहा था. शुभांशु शुक्ला और अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने अंदर से विंडो के जरिए यान में लगी आग जरूर देखी होगी. किसी का बालबांका भी नहीं हुआ. ना केवल सभी सुरक्षित रहे बल्कि यान ने उन्हें बिना किसी नुकसान के पृथ्वी तक भी पहुंचाया.

अब सबसे पहले ये जानते हैं कि अगर तापमान 1000 डिग्री सेंटीग्रेड से 2000 सेंटीग्रेड के बीच हो जाता है तो क्या होता है.
– ये स्थिति बहुत तेज और विनाशकारी आग का संकेत देती है.
– लकड़ी, प्लास्टिक, कपड़ा और अधिकांश जैविक पदार्थ तुरंत जलकर राख हो जाते हैं.
– धातुएं पिघलने लगती हैं, मनुष्य के लिए इसके कुछ सेकेंड का संपर्क भी बहुत जानलेवा होता है
– मतलब ऐसी स्थिति में ना तो यान बचेगा और ना ही उसके अंदर बैठे लोग

क्यों लगती है आग

अब आइए ये जानते हैं कि क्रू ड्रैगन कैप्सूल में क्या इतनी भयंकर आग लगी. दरअसल क्रू ड्रैगन यान जब अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में वापस लौटता है, तो यान की गति करीब 27,000 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. जैसे ही यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, वह वायुमंडल की ऊपरी परतों से टकराता है, जिससे बहुत तेज घर्षण होता है.

तब तापमान कितना ज्यादा हो जाता है

जिससे वायुमंडल के अणु यान से टकराकर बहुत तेज गर्मी पैदा करते हैं आग सी लग जाती है. विमान की बाहरी सतह का तापमान 1600°C से 2000°C तक पहुंच सकता है. लेकिन इस विमान की खासियत ही यही है कि ऐसे में ये यान बच निकलता है, जिसकी वजह उसकी एक खास तकनीक होती है.

इतनी जबरदस्त आग में कैसे होता है बचाव

यान को इतनी जबरदस्त आग और गर्मी से बचाने के लिए इसकी बाहरी परत में एक विशेष प्रकार की हीट शील्ड यानि एक प्रोटेक्शन सिस्टम लगा होता है, जिसे पिका-एक्स (PICA-X यानि Phenolic Impregnated Carbon Ablator) कहते हैं. ये वो पदार्थ होता है जो गर्मी से पिघलता और जलता है. लेकिन इस पिघलने और जलने के दौरान ये अपनी सतह को धीरे-धीरे हटाता है, जिससे यान के अंदर का तापमान सुरक्षित स्तर पर बना रहता है. अंदर कुछ भी नहीं बिगड़ता है.

स्पेस से लौटे क्रू ड्रैगन कैप्सूल की ऊपरी सतह जली हुई नजर आ रही है, दरअसल इसकी वजह यान की ऊपरी सतह पर लगी हॉट शील्ड का जलकर निकल जाना है, जिसकी वजह से ये सुरक्षित रहता है.

इसी वजह से ये धरती पर जला हुआ उतरता है

इसी वजह से जब यान धरती पर उतरता है, तो उसका बाहरी हिस्सा खासकर हीट शील्ड जली हुई, काली पड़ी हुई और कई जगहों से घिसी हुई दिखाई देती है. यही क्रू ड्रैगन कैप्सूल की डिज़ाइन का हिस्सा और खास तकनीक है, जो उसका बालबांका भी नहीं होने देती. कोई चीज़ तेज़ रगड़ खाकर जलती हुई नीचे गिरे तो उसकी सतह काली और जली हुई होगी. बिल्कुल यही क्रू ड्रैगन के साथ भी होता है.

खास कोण से वायुमंडल में प्रवेश करता है

हालांकि यान में इससे भी ज्यादा गर्मी पैदा हो सकती है, इससे बचाव के लिए कैप्सूल की गति को कम करने के लिए डी-ऑर्बिट बर्न किया जाता है, जिसमें थ्रस्टर्स का उपयोग करके यान की गति को नियंत्रित किया जाता है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि कैप्सूल सही कोण और गति से वायुमंडल में प्रवेश करे, जिससे घर्षण से उत्पन्न गर्मी को नियंत्रित किया जा सके. शुभांशु शुक्ला के विमान ने भी 14 जुलाई, 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अलग होने के बाद इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया.

इसके बाद जब कैप्सूल वायुमंडल के निचले हिस्सों में पहुंचता है, तो वहां गर्मी कम हो जाती है, तब चार पैराशूट खुलते हैं, जो यान को धीमा करके प्रशांत महासागर में सुरक्षित स्प्लैशडाउन के लिए तैयार करते हैं.

स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल “ग्रेस” कैलिफोर्निया के तट से दूर प्रशांत महासागर में उतरा. (image credit- spaceX)

जब बाहर आग लगी होती है तो अंदर क्या होता है

PICA-X हीट शील्ड और यान के इंसुलेशन की वजह से तब अंदर का तापमान सिर्फ़ 25°C से 30°C तक ही रहता है. कैप्सूल के अंदर बैठे अंतरिक्षयात्री एकदम सुरक्षित और आरामदायक तापमान में रहते हैं. उसकी वजह ये है कि एक तो हाट शील्ड आग के बाद खुद धीरे धीरे अपनी सतह को हटा देती है. फिर इसके नीचे कई परतों वाला थर्मल इंसुलेशन सिस्टम होता है, जो बची-खुची गर्मी को अंदर आने से रोकता है.अंदर बैठे एस्ट्रोनॉट्स को पता तक नहीं चलता.

तो इस यान पर फिर चढ़ेगी हाट शील्ड

एकदम. अगले मिशन के लिए इस पर फिर से हॉट शील्ड चढ़ाई जाएगी. क्रू ड्रैगन यान को स्पेसएक्स ने इस तरह डिज़ाइन किया है कि इसका कैप्सूल का ढांचा (स्ट्रक्चर) और बाकी सिस्टम कई बार दोबारा उपयोग किए जा सकते हैं. जब यान धरती पर उतर आता है, तो जांच में देखा जाता है कि कौन-कौन से हिस्से दोबारा काम लायक हैं. हीट शील्ड की ऊपरी जली परत पूरी तरह हटा दी जाती है. फिर उस जगह नई PICA-X हीट शील्ड लगाई जाती है.

जब यान पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाता है तो आग क्यों नहीं लगती

तब रॉकेट धीरे-धीरे स्पीड पकड़ता है. लांच के शुरुआती सेकंड में वायुमंडल घना होता है, लेकिन यान की स्पीड कम होती है. जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, वायुमंडल पतला होता जाता है और रॉकेट की स्पीड बढ़ती है.

संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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