Last Updated:January 14, 2025, 20:48 IST
INDIAN NAVY: 2047 तक नौसेना को पूरी तरह से स्वदेशी बनाने का मुहीम बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है. उसी कड़ी में देश में बने तीन प्लेटफॉर्म नोसेना में शामिल हो रहे है. ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि एक साथ...और पढ़ें
INDIAN NAVY: नंबर के हिसाब से दुनिया की सबसे बडी नौसेना है. उसका घमंड इतना कि वह समुद्र में फ़्रीडम ऑफ नेविगेशन का बेजा इस्तेमाल करने से बाज नहीं आता. साउथ चाईना सी में वह छोटे देशों को हैकड़ी दिखाता है. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन ऐसी हिमाकत करने से पहले भी 100 बार सोचता है. वजह है भारत की बढ़ी ताकत. उसी ताकत में और इजाफा करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौसेना को स्वदेशी सौगात देने जा रहे हैं. 15 जनवरी को मुबई में एक साथ तीन स्वदेशी वॉरशिप, सबमरीन नौसेना में शामलि करने जा रहे है. पीएम मोदी सुबह 1030 पर मुंबई नेवल डॉकयार्ड पहुंचेंगे. कमिशनिंग के दौरान तीनों प्लेटफॉर्म के कमंडिंग अफसर कमीशनिंग ऑर्डर पढ़ेंगे, कलर सेरेमनी के दौरान नौसेना का ध्वज लगाया जाएगा. नौसेना में तीनों प्लेटफॉर्म को शामिल करने के बाद देश को संबोधित करेंगे. 1055 से 1020 तक पीएम मोदी के संबोधन होने के बाद पीएम तीनों प्लेटफार्म के कमांडिंग अफसरों से मुलाकात करेंगे.पीएम 2 घंटे तक नेवल डॉकयार्ड पर मौजूद रहेंगे. पीएम तीनों प्लेटफार्म पर विजिट करेंगे
स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर INS सूरत
नौसेना के बेड़े में एक और स्वदेसी डिस्ट्रॉयर INS सूरत शामिल हो रही है. यह दुनिया का सबसे खतरनाक स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है. विशाखपत्तनम क्लास स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर का चौथा जंगी जहाज ‘सूरत’ नौसेना में जनवरी में शामिल हो जाएगा. खास बात तो यह है कि देश में यह अब तक के बने वॉरशिप में ये सबसे कम समय में बनकर तैयार हुआ. आधिकारिक इसका डिजाइन नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है. यह स्वदेशी स्टील से तैयार किया गया. मजगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में इसे बनाया गया है. स्वदेशी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रायर की सबसे बड़ी खूबी है कि यह दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आने वाला. दुशमन की नजर से बचकर ये किसी भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. यह सतह से सतह में मार करने वाली मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है. सतह से हवा में मार करने वाले दो वर्टिकल लॉन्चर लगे हैं. हर लॉन्चर से 16-16 मिसाइलें यानी कुल मिलाकर 32 मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल दागी जा सकती है. INS सूरत एंटी सर्फेस वॉरफेयर के लिये ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल सिस्टम से लैस है. इस सिस्टम से 16 ब्रह्मोस मिसाइलें फायर की जा सकती हैं. इसमें आधुनिक सर्विलांस रडार लगा हुआ है. इसमें दुश्मन की सबमरीन को नष्ट करने के लिए रॉकेट लॉन्चर और टॉरपिडो लॉन्चर भी मौजूद है. इस डिस्ट्रायर की लंबाई 163 मीटर है. 7400 टन वजनी यह डिस्ट्रायर चार पावरफुल गैस टर्बाइन की मदद से 30 नॉटिकल मील की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है.
वगशीर स्कॉर्पीन क्लास
इंडियन नेवी अपने बेड़े में एयरक्राफ्ट कैरियर किलर कहे जाने वाले सबमरीन की तादात को भी तेजी से बढ़ा रहा है. उसी कड़ी में भारतीय नौसेना के बेड़े में नई सबमरीन शामिल हो जाएगी. इसका नाम है वगशीर. वगशीर का नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली सैंड फिश के नाम पर है, जो कि डीप सी प्रिडियेटर के नाम से भी जानी जाती है. प्रोजेक्ट 75 के तहत वगशीर स्कॉर्पीन क्लास की छठी और आखिरी सबमरीन है. स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन एक डीजल इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन है. यह आधुनिक फीचर्स से लैस है. ये आकार में 221 फिट लंबी और उचांई 40 फिट है. इसकी रफ्तार पानी के अंदर 35 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा है तो पानी सतह पर इसकी रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटे के करीब है. दुश्मन की नजरों से बचकर टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से दुश्मन पर सटीक हमला कर सकती है. तो दुश्मन के टार्पीडों से बचने के लिए ये एंटी टॉर्पीडो काउंटरमेजर सिस्टम से लैस है. एक साथ ये 18 टॉरपीडों या एंटी शिप मिसाइल या 30 से ज्यादा माइन से लेस किया जा सकता है. आज की ये अत्याधुनिक सबमरीन हर तरह के ऐंटी सरफेस और ऐंटी सबमरीन ऑपरेशन को अंजाम देने में माहिर है. इससे खुफिया सूचनाएं जुटाना, माइन बिछाना, इलाके की निगरानी करना जैसे कई मिशनों को अंजाम दिया जा सकता है. भारत ने फ्रांस के नवल ग्रुप के साथ साल 2005 में प्रोजेक्ट 75 के तहत 6 सेकॉर्पीन सबमरीन का करार किया था. टैकनॉलॉजी ट्रांसफ़र के तरह मझगांव डॉक लिमिटेड शिपबिल्डर्स लिमिटेड को 6 सबमरीन के निर्माण का ज़िम्मा मिला. अब तक इस करार के तहत 6 में से 5 सबमरीन को भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है.
नीलगिरी स्टेल्थ फ्रिगेट
नीलगिरी क्लास की पहला स्टेल्थ फ्रिगेट नीलगिरी नौसेना में शामिल हो जाएगा. प्रोजेक्ट 17A के तहत 7 स्टील्थ फ्रीगेट बनाए जा रहे हैं और सभी समुद्र में लॉंच किए जा चुके हैं. प्रोजेक्ट के 17A के तहत बनाए जा रहे सभी 7 फ्रिगेट में 75 फीसदी उपकरण स्वदेशी कंपनियों से लिए गए है. इसका डिज़ाइन भी स्वदेशी है, और इसका स्टील भी स्वदेशी है. इसका डिजाईन नेवी वॉरशिप डिजाईन ब्यूरो ने तैयार किया है. 6600 टन वज़नी ये फ्रिगेट 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से चल सकता है. एंटी एयर वॉरफेयर के लिए एयर डिफेंस गन और बराक 8 लॉंग रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल, एंटी सर्फेस और एंटी शिप वॉरफेयर के लिए ब्रह्मोस, एंटी सबमरीन वॉरफेयर के लिए वरुणास्त्र और एंटी सबमरीन रॉकेट लॉंचर से लेस है. ये फ्रिगेट सोनार, कॉंबेट मैनेजमेंट सिस्टम और मल्टी फ़ंक्शन डिजिटल रडार से लेस है. जो कि लंबी दूरी से आने वाले अटैक को डिटेक्ट भी कर सकता है उसे ट्रैक भी कर सकता है और उसे इंटरसेप्ट भी कर सकता है. इस फ़्रिगेट में 2 हैलिकॉप्टर भी आसानी से लैंड कर सकते है और उन्हें रखने के लिए हैंगर भी मौजूद है.
First Published :
January 14, 2025, 20:48 IST