पंचकूला. हरियाणा के पंचकूला में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को सजा सुनाने के दौरान हुए दंगों को लेकर एक और बड़ा फैसला आया है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अजय कुमार की अदालत ने 25 अगस्त 2017 को पंचकूला में हुई हिंसा के मामले में 19 आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा. किसी भी गवाह ने आरोपियों की पहचान नहीं की. मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 27 गवाह पेश किए, लेकिन इनमें से कोई भी गवाह आरोपियों की पहचान नहीं कर सका. शिकायतकर्ता डीएसपी अनिल कुमार ने भी कोर्ट में आरोपियों को पहचानने से इनकार किया. ड्यूटी मजिस्ट्रेट डॉ. सरिता मलिक और तत्कालीन डीआईजी संगीता कालिया ने भी आरोपियों की पहचान नहीं की.
पुलिस ने आरोपियों के कबूलनामों और घटनास्थल की निशानदेही के आधार पर केस को मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने कोई नया तथ्य उजागर नहीं किया. पहले ही 26 अगस्त 2017 को घटनास्थल का नक्शा तैयार किया जा चुका था. इसलिए बाद में की गई निशानदेही साक्ष्य के रूप में मान्य नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि धारा 188 और 353 के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए विशेष शिकायत जरूरी होती है, जो इस मामले में नहीं की गई. इसलिए एफआईआर दर्ज करना कानूनन गलत था. पुलिस ने जिन डंडों और पत्थरों को बरामद किया, वे आमतौर पर बाजार में उपलब्ध होते हैं. बरामदगी के समय कोई स्वतंत्र गवाह भी मौजूद नहीं था.
कोर्ट ने कहा कि जब आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी और कोई प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्य नहीं है, तो केवल बरामदगी के आधार पर दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में पूरी तरह विफल रहा. इसलिए सभी 19 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है. इस मामले में फैसला 16 अप्रैल 2025 को सुनाया गया. इससे पहले 9 अप्रैल को हुई सुनवाई में 29 आरोपी बरी हुए थे.
इन्हें मिली जमानत: कोर्ट ने सुखचैन सिंह, जगतार सिंह, राजविंदर सिंह, यदविंदर सिंह, कुलविंदर सिंह, बूटा सिंह, जगरूप सिंह, निर्मल सिंह, गगनदीप सिंह, बलजिंदर सिंह, यदविंदर सिंह (दूसरे), राजिंदर कुमार, हरवीर सिंह, बिर्बल सिंह, विशाल कुमार, सुरेंद्र कुमार धीमान, केहर सिंह, चमकौर सिंह और नरेश कुमार को बरी किया है.
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के समर्थकों ने 2017 में की थी हिंसा
यह मामला डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के समर्थकों द्वारा पंचकूला में की गई हिंसा से जुड़ा है. 25 अगस्त 2017 को पंचकूला के हैफेड चौक के समीप डेरा समर्थकों की भीड़ ने पुलिस पर हमला किया था. भीड़ में 4000 से 5000 लोग थे. उनके पास डंडे, लोहे की पाइप और पत्थर थे. ड्यूटी मजिस्ट्रेट डॉ. सरिता मलिक के आदेश पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायरिंग की, लेकिन भीड़ को काबू नहीं किया जा सका. इस दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और पुलिसकर्मी घायल हुए. इस मामले में सेक्टर-5 थाना पुलिस ने 26 अगस्त 2017 को एफआईआर नंबर 341 दर्ज की थी. जांच अधिकारी एसआई अमरजीत सिंह ने मौके का नक्शा तैयार किया. 10 किलो पत्थर, 23 आंसू गैस के खोल और .303 बोर की तीन खाली कारतूस जब्त की गईं.
पुलिस ने सबसे पहले सुखचैन सिंह, जगतार सिंह, राजविंदर सिंह, यदविंदर सिंह, कुलविंदर सिंह, बूटा सिंह, जगरूप सिंह, निर्मल सिंह, गगनदीप सिंह, बलजिंदर सिंह और यदविंदर सिंह को गिरफ्तार किया. पुलिस हिरासत में इनसे कबूलनामे लिए गए. इनके बयान के आधार पर घटनास्थल की निशानदेही करवाई गई और डंडे-पत्थर बरामद किए गए. बाद में अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया और उनके भी बयान दर्ज किए गए. पुलिस ने 1 मई 2018 को आरोपियों पर आईपीसी की धारा 148, 149, 186, 353, 188 और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 के तहत आरोप तय किए. सभी आरोपियों ने आरोपों से इनकार किया और मुकदमे की मांग की.