पति या पत्नी अकेले में दे जातिसूचक गाली तो गुनाह नहीं, गवाह जरूरी: तेलंगाना HC

2 hours ago

Last Updated:August 21, 2025, 18:46 IST

High Court: तेलंगाना हाईकोर्ट ने साफ कहा कि SC/ST एक्ट तभी लागू होगा जब जातिगत गाली सार्वजनिक जगह पर दी जाए और कोई स्वतंत्र गवाह मौजूद हो.

 तेलंगाना HCप्रतीकात्मक तस्वीर

बीवी-शौहर का रिश्ता कब प्यार से झगड़े में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. तेलंगाना का एक ऐसा ही मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया. कहानी थी एक पति-पत्नी की, जिनकी शादी अलग-अलग जातियों में हुई थी. वक्त बीता तो रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच गया. पत्नी ने अचानक तलाक की मांग कर दी और पति को व्हाट्सएप पर भड़काऊ मैसेज भेजने लगी. इन मैसेज में कई ताने थे, जिनमें जातिगत बातें भी शामिल थीं.

किस केस में हो रही सुनवाई?
पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का बर्ताव बेहद आक्रामक था. उसने कई बार उसे जातिसूचक गालियां देकर अपमानित किया. इसके बाद पति ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया और भारतीय दंड संहिता की धारा 504 यानी गाली-गलौज और SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया. मामला सीधे अदालत तक जा पहुंचा.

सार्वजनिक जगह पर नहीं हुआ तो केस नहीं बनता
पत्नी ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाकर इस केस को चुनौती दी. उसका कहना था कि यह पूरा विवाद पति-पत्नी की निजी लड़ाई से जुड़ा है, जो घर के भीतर हुआ. न तो घटना किसी सार्वजनिक जगह पर घटी और न ही किसी गवाह ने उसे देखा. ऐसे में SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(R) और 3(1)(S) यहां लागू नहीं हो सकतीं. उसने यह भी कहा कि पति ने शिकायत घटना के लगभग दस महीने बाद दर्ज कराई, जिससे उसकी नीयत पर भी सवाल उठता है.

कोर्ट ने किस फैसले का हवाला दिया?
दूसरी तरफ राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि अभी गवाहों की जांच ही नहीं हुई है,
इसलिए इस स्टेज पर केस को खारिज करना सही नहीं होगा. लेकिन जस्टिस ई.वी. वेणुगोपाल की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए साफ कर दिया कि आरोप मान भी लिए जाएं, तो यह साबित नहीं होता कि घटना सार्वजनिक स्थान पर हुई थी. न ही ऐसा कोई गवाह सामने आया है जिसने इन गालियों को सुना या देखा हो.

हाईकोर्ट ने माना कि यह पूरा विवाद पति-पत्नी की आपसी खींचतान का हिस्सा है, जो घर की चारदीवारी के भीतर हुआ. ऐसे में SC/ST एक्ट की धाराओं का इस्तेमाल करना कानून का दुरुपयोग होगा. अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि इस तरह की परिस्थितियों में मुकदमे की कार्यवाही आगे बढ़ाना न्याय प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल होगा. नतीजा यह हुआ कि कोर्ट ने केस को ही खारिज कर दिया.

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First Published :

August 21, 2025, 18:31 IST

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