Last Updated:March 06, 2025, 10:06 IST
Tamil Nadu Politics: तमिलनाडु में स्टालिन की अध्यक्षता में 35 दलों ने परिसीमन पर बैठक की, जिसमें 1971 की जनगणना के आधार पर अगले 30 साल तक नीति न बदलने की मांग की गई. BJP ने इसे "भ्रम की राजनीति" कहा.

तमिलनाडु में परिसीमन पर सियासी घमासान
हाइलाइट्स
तमिलनाडु में परिसीमन पर 35 दलों की बैठक हुई.स्टालिन ने 30 साल तक 1971 की जनगणना पर नीति न बदलने की मांग की.BJP ने स्टालिन की मांग को "भ्रम की राजनीति" कहा.चेन्नई: तमिलनाडु में कई राजनीतिक दलों की एक बैठक हुई. जिसमें केंद्र सरकार से मांग की गई कि अगले 30 साल तक 1971 की जनगणना के आधार पर ही निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन (delimitation) किया जाए. बता दें कि CM एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 35 दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें AIADMK और कांग्रेस भी थे. हालांकि, BJP और उसके सहयोगी दल इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
संयुक्त समिति बनाने का प्रस्ताव
बैठक के बाद स्टालिन ने सभी दक्षिणी राज्यों के सांसदों और नेताओं की एक संयुक्त समिति (joint committee) बनाने का प्रस्ताव रखा. इस समिति का मकसद परिसीमन के दौरान सीटों में कटौती रोकना और जनता को जागरूक करना होगा.
बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने यह भरोसा दिलाया था कि परिसीमन 1971 की जनगणना के आधार पर ही होगा. इसी तरह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आश्वासन देना चाहिए कि 2026 से अगले 30 साल तक यही नीति लागू रहेगी.
BJP और उसके सहयोगी दल इस बैठक में शामिल नहीं हुए. BJP के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने इसे स्टालिन की “भ्रम की राजनीति (politics of illusion)” करार दिया. उन्होंने कहा कि 2026 के विधानसभा चुनाव के बाद स्टालिन को आराम करने का मौका मिलेगा.
परिसीमन पर बढ़ता विवाद
बता दें कि परिसीमन प्रक्रिया 2026 में होनी है, जिसमें लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाई जा सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की सीटें 80 से बढ़कर 143 हो सकती हैं, जबकि तमिलनाडु की केवल 39 से 49 तक ही बढ़ेगी.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में तमिलनाडु को भरोसा दिलाया कि परिसीमन में दक्षिणी राज्यों के साथ न्याय होगा. उन्होंने कहा कि अगर सीटें बढ़ती हैं, तो सभी राज्यों को बराबरी का हिस्सा मिलेगा.
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सीटें पूरी तरह जनसंख्या के आधार पर बढ़ाई गईं, तो उत्तर भारत को ज्यादा फायदा होगा और दक्षिण भारत को नुकसान. दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर काम किया है, जबकि उत्तरी राज्यों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है. इस मुद्दे पर अभी केंद्र सरकार की कोई स्पष्ट योजना नहीं आई है. परिसीमन होगा या टाला जाएगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं.
First Published :
March 06, 2025, 10:06 IST