पर्यावरण मंत्रालय की पहल, संरक्षण में आगे आईं केमिकल इंडस्ट्री

7 hours ago

Last Updated:May 16, 2025, 19:54 IST

भारत में पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए सरकार ने \"जल शक्ति अभियान\" शुरू किया है. पर्यावरण मंत्रालय ने लैंकेस कंपनी की सराहना की, जिसे सीडीपी ने जलवायु संरक्षण में \"ए\" ग्रेड दिया है.

 पर्यावरण मंत्रालय की पहल, संरक्षण में आगे आईं केमिकल इंडस्ट्री

भारत के 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन और जल संरक्षण लक्ष्य. एआई फोटो

नई दिल्ली. भारत में पर्यावरण और जल संरक्षण बेहद जरूरी है. बढ़ता प्रदूषण, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जल संरक्षण के लिए सरकार ने “जल शक्ति अभियान” शुरू किया है, जो वर्षा जल संचय और नदियों की सफाई पर जोर देता है. पर्यावरण मंत्रालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरा प्रबंधन और हरियाली को बढ़ावा दे रहा है. मंत्रालय की इस पहल को केमिकल कंपनियां भी आगे बढ़ा रही हैं.

पर्यावरण मंत्रालय ने इस दिशा में काम करने वाली विशेष रसायन कंपनी लैंकेस की सराहना की है, जिसे जलवायु संरक्षण पहल सीडीपी ने सम्मानित किया है. सीडीपी ने लैंकेस को “जलवायु” श्रेणी में सर्वोच्च “ए” ग्रेड दिया है. यह सम्मान पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इसे सराहा और कहा कि यह भारत के पर्यावरण संरक्षण लक्ष्यों को मजबूत करता है.

सीडीपी ने 24,700 से ज्यादा कंपनियों का मूल्यांकन किया और लैंकेस शीर्ष 2 प्रतिशत में शामिल हुआ. “ए” ग्रेड उन कंपनियों को मिलता है जो जलवायु संरक्षण के लिए अपने काम को पारदर्शी तरीके से साझा करती हैं और ठोस योजनाएं लागू करती हैं. लैंकेस ने वैज्ञानिक आधार पर लक्ष्य तय किए और जलवायु संरक्षण की रणनीतियां बनाईं. कंपनी 2012 से सीडीपी को अपने पर्यावरण डेटा दे रही है. मंत्रालय ने कहा कि ऐसे प्रयास भारत के 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन और जल संरक्षण जैसे लक्ष्यों में मदद करेंगे.

लैंकेस ने जल संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग के लिए भी प्रशंसा पाई और “ए-” ग्रेड हासिल किया. कंपनी पानी के संरक्षण और इसके सही प्रबंधन के लिए कई कदम उठा रही है. यह पर्यावरण मंत्रालय की “जल शक्ति अभियान” जैसी योजनाओं से मेल खाता है, जो जल संरक्षण को बढ़ावा देती हैं.

सीडीपी एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जल संसाधनों और जंगलों के प्रबंधन पर पारदर्शिता लाता है. 2025 में 24,700 से ज्यादा कंपनियों ने अपने डेटा साझा किए, जिससे सीडीपी दुनिया का सबसे बड़ा पर्यावरण डेटा स्रोत बन गया. यह 66 प्रतिशत से ज्यादा सूचीबद्ध कंपनियों को कवर करता है. मंत्रालय ने सीडीपी के इस काम को सराहा और इसे पर्यावरण जागरूकता का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया.

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New Delhi,Delhi

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