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बच्चों को भी जीवनसाथी चुनने का हक...रिटायरमेंट से पहले CJI का बड़ा फैसला, बाल विवाह पर क्या बोले चंद्रचूड़?
नई दिल्ली. हमने और आपने अपने जीवन या घर के आसपास छोटे बच्चों की शादी होते हुए देखी ही होगी. कानून यह अपराध है लेकिन इसके बावजूद भी धडल्ले स यह लगभग देश के सभी हिस्सों में जारी है. अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को लेकर एक अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम में पर्सनल लॉ के जरिए अड़ंगा नहीं लगाया जा सकता. बच्चों से जुड़ी शादियां उनके अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन करती हैं.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच ने देश में बाल विवाह रोकथाम कानून के प्रभावी रूप से पालन के लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए. सीजेआई की बेंच ने कहा कि बाल विवाह रोकथाम कानून को पर्सनल लॉ के जरिए बाधित नहीं किया जा सकता. इस तरह की शादियां नाबालिगों की जीवन चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन हैं. अधिकारियों को बाल विवाह रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपराधियों को अंतिम उपाय के रूप में दंडित करना चाहिए.
Tags: Child marriage, Justice DY Chandrachud, Supreme Court
FIRST PUBLISHED :
October 18, 2024, 12:15 IST