नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले
कॉपी लिंकप्रधानमंत्री मोदी जुलाई में भी रूस दौरे पर गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 और 23 अक्टूबर को होनी वाली BRICS समिट में शामिल होने के लिए रूस जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर इसकी जानकारी दी है। रूस इस साल 16 वीं BRICS समिट की अध्यक्षता कर रहा है।
रूस के कजान में होने वाली इस समिट के दौरान, PM मोदी सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे। इस साल जुलाई में मोदी रूस दौरे पर गए थे, इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने उन्हें BRICS समिट के लिए न्यौता दिया था।
जुलाई में 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को गए थे। अपनी रूस यात्रा के दौरान, PM मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की थी।
मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल' से भी सम्मानित किया गया था। दोनों नेताओं ने मॉस्को के रोसाटॉम पैवेलियन का भी दौरा किया था।
इस दौरान दोनों के बीच 2 घंटे तक बातचीत चली थी।
क्या है BRICS और ये कितना ताकतवर है?
BRICS संगठन अभी जिस रूप में है, इसके यहां तक पहुंचने का सफर तीन स्टेज में पूरा हुआ है…
पहली स्टेज - RIC यानी रूस, इंडिया और चीन- 1990 के दशक में ये तीनों देश मिलकर एक संगठन बनाते हैं। इस संगठन का नेतृत्व रूसी नेता येवगेनी प्रिमाकोव ने किया। तीनों देशों के साथ आने का मकसद दुनिया की फॉरेन पॉलिसी में अमेरिका के दबदबे को चुनौती देना था और साथ ही अपने संबंधों को नए सिरे से खड़ा करना था।
दूसरी स्टेज- BRIC यानी ब्राजील, रूस, इंडिया और चीन- 2001 में इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ने इन चारों देशों को इकोनॉमी के लिहाज से दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया था। इसके बाद 2009 में इन देशों ने साथ आकर संगठन बनाया, जिसे BRIC नाम दिया गया।
तीसरी स्टेज- BRICS यानी ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका- 2010 में अफ्रीका महाद्वीप को रिप्रेजेंट करने के लिए साउथ अफ्रीका को इस संगठन का हिस्सा बनाया गया। तब इस संगठन को अपना आखिरी रूप मिला और ये BRICS कहलाया।
आज EU को पछाड़ कर BRICS दुनिया का तीसरा ताकतवर आर्थिक संगठन बन गया है।
पश्चिमी देश जब मंदी में फंसे थे, तब भी BRICS देश तेजी से आगे बढ़े 2008-2009 में जब पश्चिमी देश आर्थिक संकट से गुजर रहे थे। तब भी BRICS देशों की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही थी। BRICS संगठन के बनने का कॉन्सेप्ट ही ‘राइजिंग इकोनॉमी’ के आधार पर टिका है।
इसका मतलब ये हुआ कि उन देशों की अर्थव्यवस्था जिनमें तेजी से आगे बढ़ने और पश्चिमी देशों को टक्कर देने की हिम्मत है। पहले पश्चिमी देश दुनिया की 60% से 80% अर्थव्यस्था को कंट्रोल कर रहे थे, अब इनकी जगह धीरे-धीरे BRICS देश ले रहे हैं।
पाकिस्तान भी बनना चाहता है BRICS का मेंबर
पाकिस्तान ने भी पिछले साल दुनिया के तीसरे ताकतवर आर्थिक संगठन BRICS में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था। उसने 2024 में BRICS मेंबरशिप हासिल करने के लिए रूस से मदद मिलने की उम्मीद भी जताई है।
रूस में पाकिस्तानी राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली ने पिछले साल न्यूज एजेंसी TASS को दिए गए एक इंटरव्यू में इस बात की जानकारी दी थी । उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने BRICS मेंबशिप के लिए अप्लाई किया है। हमें उम्मीद है कि रूस इसमें हमारी मदद करेगा।
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BRICS में 4 इस्लामिक देश शामिल होंगे: सऊदी के जुड़ने से इसकी कितनी ताकत बढ़ेगी; ब्रिक्स करेंसी बन सकती है डॉलर का विकल्प
पिछले साल 24 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहान्सबर्ग में BRICS में 6 नए देशों को शामिल करने की घोषणा हुई थी। इन 6 में से 4 इस्लामिक देश हैं।
भारत ने भी इन देशों को BRICS संगठन में शामिल करने की सहमति दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इन देशों से हमारे ऐतिहासिक संबंध हैं। सऊदी अरब और UAE समेत 6 देशों के संगठन से जुड़ने को इसकी बढ़ती ताकत से जोड़ कर देखा जा रहा है। पूरी खबर यहां पढ़ें...