Last Updated:May 20, 2025, 16:07 IST
Bada mangal history: लखनऊ में हर बड़े मंगल को भंडारे की परंपरा एक दक्षिण भारतीय महिला और हनुमान जी की चमत्कारी मूर्ति से जुड़ी है. नवाबी दौर से शुरू हुई यह परंपरा आज हिंदू-मुस्लिम एकता और सेवा का प्रतीक बन चुकी...और पढ़ें

हनुमान सेतु मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति
अगर आप मई-जून के महीने में लखनऊ की सड़कों पर निकलें, तो आपको जगह-जगह लोगों की भीड़ दिखेगी. कोई पूरी-सब्जी बांट रहा है, तो कोई शरबत पिला रहा है. कहीं पर केले मिल रहे हैं, तो कहीं पर पानी की बोतलें. ये नज़ारा कोई त्यौहार नहीं, बल्कि लखनऊ का एक खास दिन होता है – जिसे कहते हैं बड़ा मंगल. हर साल ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को यह परंपरा निभाई जाती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब किसने शुरू किया? क्यों लखनऊ में ही बड़े मंगल पर इतना बड़ा भंडारा होता है?
दक्षिण भारतीय महिला और हनुमान जी की मूर्ति से शुरू हुई परंपरा
बड़े मंगल की शुरुआत एक चमत्कारी घटना से जुड़ी हुई है. सैकड़ों साल पहले, लखनऊ में एक दक्षिण भारत की महिला आई थी. वह अपने साथ हनुमान जी की एक छोटी-सी मूर्ति लेकर आई थी. कहा जाता है कि उस मूर्ति में चमत्कारी शक्ति थी.
उस महिला ने लखनऊ में ही हनुमान जी की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित करने की इच्छा जताई. उस समय लखनऊ में नवाबों का शासन था. महिला ने इस बारे में नवाब वाजिद अली शाह से बात की, और नवाब ने उसे मंदिर बनाने की अनुमति दे दी.
मूर्ति स्थापित होते ही शुरू हुए चमत्कार
जैसे ही हनुमान जी की मूर्ति को स्थापित किया गया, आसपास के लोग कहने लगे कि उनके जीवन में अचानक खुशियां आने लगीं, बीमारियां दूर होने लगीं, और घर में सुख-शांति बढ़ने लगी. इन बातों ने लोगों का विश्वास और बढ़ा दिया.
लोगों ने हनुमान जी को धन्यवाद देने के लिए मंगलवार को भंडारा करना शुरू किया. धीरे-धीरे यह परंपरा इतनी बड़ी हो गई कि अब हर साल ज्येष्ठ महीने में चार या पांच मंगलवारों को पूरे लखनऊ में हजारों भंडारे लगते हैं.
नवाबी दौर में भी नहीं रोकी गई यह हिंदू परंपरा
सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह परंपरा उस दौर में शुरू हुई जब लखनऊ में मुस्लिम नवाबों का शासन था, लेकिन उन्होंने न सिर्फ इस पर आपत्ति नहीं जताई, बल्कि मंदिर की स्थापना की इजाजत भी दी. इससे यह साबित होता है कि लखनऊ में हिंदू-मुस्लिम एकता कितनी मजबूत थी और आज भी है.
लखनऊ का हर कोना बन जाता है सेवा स्थल
बड़े मंगल पर लखनऊ के हर मोहल्ले, हर सड़क, हर गली में भंडारे लगते हैं. आम लोग ही नहीं, बड़े कारोबारी, राजनेता, स्कूल-कॉलेज, और यहां तक कि मुस्लिम भाईचारा भी इसमें हिस्सा लेता है. पूरी-सब्जी, छोले-चावल, मिठाई, शरबत, ठंडा पानी, और कई जगहों पर फल और आयुर्वेदिक काढ़े तक बांटे जाते हैं. लोग खुद खड़े होकर सेवा करते हैं. इसे सिर्फ भक्ति नहीं, मानवता की सेवा भी माना जाता है.
सिर्फ पूजा नहीं, भाईचारे की पहचान है बड़ा मंगल
बड़ा मंगल सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह लखनऊ की आत्मा है. यह दिखाता है कि यहां के लोग धर्म से ऊपर उठकर एक-दूसरे की सेवा करते हैं.
Note: यह लेख AI की मदद से तैयार किया गया है. इसमें प्रयुक्त जानकारी विभिन्न स्रोतों पर आधारित है, जिनकी पुष्टि News18 स्वतंत्र रूप से नहीं करता
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Location :
Lucknow,Uttar Pradesh