बांग्लादेश से 'जबरन गायब' हुए 3,500 से अधिक लोग, शेख हसीना ने रची साजिश? भारत पर भी ये आरोप

5 hours ago

Bangladesh: जब से बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार बनी है, भारत के लिए परेशानियां कम नहीं हो रहीं. वहां हिंदू अल्पसंख्यकों और मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है. लेकिन अब मोहम्मद यूनुस की सरकार दो कदम और आगे निकल गई है. उसने भारत पर एक सनसनीखेज आरोप लगाया है. उसने कहा है कि बांग्लादेश में शेख हसीना के शासन के दौरान ‘जबरन गायब’ करने की घटनाओं में भारत का हाथ है.

शेख हसीना के शासन में गाएब हुए लोग?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ओर से गठित एक जांच आयोग ने कहा है कि उसने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन के दौरान ‘जबरन गायब’ करने की कथित घटनाओं में भारत की ‘संलिप्तता’ पाई है. सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस ने शनिवार को यह खबर दी. बांग्लादेश संगबाद संस्था ने जबरन गायब करने पर जांच आयोग के हवाले से कहा, ‘‘बांग्लादेश की जबरन गायब करने की प्रणाली में भारतीय भागीदारी सार्वजनिक अभिलेख का मामला है.’’

पैनल ने क्या खुलासा किया?
मीडिया रिपोर्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने भारत और बांग्लादेश के बीच कैदियों के आदान-प्रदान की प्रथा का संकेत देने वाली खुफिया जानकारी का खुलासा किया, बंदियों के संभावित भाग्य पर प्रकाश डाला, “दो अत्यधिक प्रचारित मामलों का हवाला देते हुए जो इस तरह के ऑपरेशन को कैसे अंजाम दिया गया, इस बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं.” आयोग ने शुक्ररंजन बाली और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता सलाहुद्दीन अहमद के उदाहरणों का भी हवाला दिया. शुखरंजन बाली को “बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय परिसर से अगवा किया गया और बाद में एक भारतीय जेल में फिर से पाया गया”.

भारत पर लगा आरोप
खबर में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय आयोग के अनुसार, ‘‘कानून प्रवर्तन हलकों में लगातार सुझाव दिये गए थे कि कुछ बांग्लादेशी कैदी अब भी भारतीय जेलों में कैद हो सकते हैं. आयोग ने कहा, ‘‘हम विदेश और गृह मंत्रालयों को सलाह देते हैं कि वे ऐसे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें जो अब भी भारत में कैद हैं. बांग्लादेश के बाहर इस राह पर चलना आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।’’ कुछ दिन पहले आयोग ने अनुमान लगाया था कि जबरन गायब किये गए लोगों की संख्या 3,500 से अधिक होगी. इनपुट भाषा से भी

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