Last Updated:September 17, 2025, 16:52 IST
Prashant Kishor News: प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में 1200 परिवारों के वर्चस्व को चुनौती दी है, जन सुराज के जरिए परिवारवाद खत्म कर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर फोकस करना चाहते हैं.

पटना. बिहार की सियासत में इन दिनों प्रशांत किशोर का नाम खूब चर्चा में है. पीके ने हर पार्टी और उसके नेता खिलाफ ‘किला उखाड़’ अभियान छेड़ रखा है. पीके के तरकश से अब एक नया तीर निकला है. पीके ने दावा किया है कि बिहार की राजनीति पर सिर्फ ‘1200 परिवारों’ का ही कब्जा है. यही 1200 परिवारों के बेटा-बेटी, नाना-नानी और चाचा-चाची और बहन-भाई चुनाव लड़ते हैं और जीतते आ रहे हैं. प्रशांत किशोर का यह बयान बिहार की राजनीतिक गलियारों में अब एक नई बहस छेड़ दी है. पीके ने कहा है कि वह रणनीति बना रहे हैं कि इन 1200 परिवारों को राजनीति से कैसे उखाड़ा जाए. पीके ने कहा कि उनका मकसद इन्हीं परिवारों की पकड़ को खत्म करना है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पीके किस रणनीति के तहत इन परिवारों की राजनीति से बिहार को 2025 में मुक्त कराएंगे? प्रशांत किशोर की यह रणनीति 2025 के चुनाव में कितना कारगर साबित होगा?
प्रशांत किशोर की राजनीति पारंपरिक दलों से काफी अलग है. वह न तो किसी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं और न ही खुद को तुरंत चुनाव में उतारने की बात कर रहे हैं. उनकी रणनीति एक ‘लॉन्ग टर्म’ प्रोजेक्ट पर आधारित है. पीके बिहार में गांव-गांव जाकर पदयात्रा कर अब सुबह से लेकर देर रात तक बैठकें करते रहते हैं. बिहार को बदलने की तमन्ना है औऱ वह लोगों से अपने खातिर नहीं तो अपने बच्चे के भविष्य को लेकर वोट देने की बात कर रहे हैं. उनका मानना है कि जब तक वह जनता से सीधे नहीं जुड़ेंगे, तब तक वह उनकी समस्याओं को नहीं समझ पाएंगे.
किसका किला उखाड़ेंगे पीके?
प्रशांत किशोर का मकसद उन 1200 परिवारों को हटाना है, जो दशकों से बिहार की राजनीति पर हावी हैं. वह इसकी जगह नए, योग्य और ईमानदार नेताओं को तैयार करना चाहते हैं, जो राजनीति में परिवारवाद को खत्म कर सकें. वह कहते हैं कि जन सुराज किसी खास जाति या धर्म की राजनीति नहीं करता, बल्कि यह शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दों पर आधारित है. पीके का मानना है कि जब तक जनता इन मुद्दों पर जागरूक नहीं होगी, तब तक बिहार का विकास संभव नहीं है.
1200 परिवार पीके के निशाने पर
प्रशांत किशोर का यह कदम सीधे तौर पर दोनों प्रमुख राजनीतिक गठबंधनों- एनडीए और महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती है. पीके का यह बयान सीधे तौर पर आरजेडी और कांग्रेस पर हमला है. आरजेडी की राजनीति में परिवारवाद का इतिहास रहा है और पीके का यह बयान उनकी कमजोर नस पर चोट कर सकता है. अगर पीके अपने जनाधार को मजबूत करते हैं तो वह महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं, जिससे तेजस्वी यादव के लिए राह मुश्किल हो सकती है. वहीं, प्रशांत किशोर एनडीए के लिए भी खतरा हैं. अगर लोग वर्तमान सरकार से नाखुश हैं, लेकिन वे आरजेडी को वोट नहीं देना चाहते तो पीके का ‘जन सुराज’ उनके लिए एक विकल्प बन सकता है. इससे एनडीए का वोट बैंक भी बंट सकता है और उन्हें चुनाव में नुकसान हो सकता है.
प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ रणनीति बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय है. यह एक जोखिम भरी रणनीति है, क्योंकि यह पारंपरिक राजनीतिक दलों की मजबूत मशीनरी के खिलाफ खड़ी है. लेकिन अगर पीके अपने मकसद में कामयाब होते हैं, तो वह बिहार में दशकों से चले आ रहे परिवारवाद की राजनीति को खत्म कर सकते हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 17, 2025, 16:52 IST