बुद्ध के गहनों की हांगकांग में नीलामी, कीमत 107 करोड़, भारत ने भेजा नोटिस

7 hours ago

Last Updated:May 06, 2025, 03:09 IST

बुद्ध के गहनों की हांगकांग में नीलामी, कीमत 107 करोड़, भारत ने भेजा नोटिस

1898 में खुदाई के दौरान बुद्ध से जुड़े कीमती सामान मिले थे.

नई दिल्ली. भारत ने नीलामी घर सोथबी हांगकांग को पवित्र बौद्ध अवशेषों के एक हिस्से को नीलाम करने से रोकने के लिए कानूनी कदम उठाया है और उससे इन अवशेषों को लौटाने की मांग की है. ये अवशेष 1898 में देश के उत्तरी हिस्से में की गई खुदाई के दौरान मिले थे. 1800 मोती, माणिक, पुखराज, नीलमणि, और पैटर्न वाली सोने की चादरें, पहली बार बुद्ध के जन्मस्थान के पास, भारत में वर्तमान उत्तर प्रदेश में खुदाई के दौरान ईंट से बने कमरे के अंदर मिली थीं. इनकी नीलामी बुधवार को होने वाली है, सोथबी ने अनुमान लगाया है कि इसकी कीमत लगभग HK$100 मिलियन (लगभग 107 करोड़ रुपए) है.

संस्कृति मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उसने ‘सोथबी हांगकांग को एक कानूनी नोटिस जारी किया है और उससे सात मई को होने वाली नीलामी को तुरंत रोकने की मांग की है.’ बयान में कहा गया है कि ये अवशेष पिपरहवा स्तूप के पास खुदाई के दौरान मिले थे, इसमें कहा गया है कि पिपरहवा अवशेषों में हड्डियों के टुकड़े, सोपस्टोन (एक तरह का पत्थर) और क्रिस्टल के ताबूत, बलुआ पत्थर का संदूक और सोने के आभूषण एवं रत्न जैसे चढ़ावे शामिल हैं, जिन्हें 1898 में विलियम क्लैक्सटन पेप्पे ने खुदाई करके निकाला था.

मंत्रालय ने आगे कहा, “एक ताबूत पर ब्राह्मी लिपि में एक शिलालेख से पुष्टि होती है कि ये बुद्ध के अवशेष हैं, जिन्हें शाक्य वंश ने रखा था.”. इन अवशेषों का अधिकांश हिस्सा 1899 में कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में ट्रांसफर कर दिया गया था और इन्हें भारतीय कानून के तहत ‘एए’ पुरावशेषों के रूप में क्लासीफाइड किया गया है, जो इनको हटाने या इसकी बिक्री पर रोक लगाता है. यह भी कहा गया कि जबकि हड्डी के अवशेषों का एक हिस्सा सियाम के राजा को गिफ्ट में दिया गया था, पेप्पे के वंशजों द्वारा रखे गए कुछ अवशेष अब नीलामी के लिए रखे गए हैं.

संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि वित्तीय जांच इकाई (एफआईयू) को हांगकांग में अपने समकक्ष के साथ तालमेल करने के लिए कहा गया है ताकि नीलामी की अवैधता को जाहिर किया जा सके और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन सुनिश्चित किया जा सके. बयान में कहा गया, “संस्कृति मंत्रालय भारत की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने और पिपरहवा अवशेषों की वापसी सुनिश्चित करने की मजबूत कोशिश में लगी है. हम सोथबी हांगकांग से आग्रह करते हैं कि वे तुरंत नीलामी से अवशेषों को हटा लें और इन पवित्र कलाकृतियों को उनके सही स्थान पर लौटाने के लिए भारतीय अधिकारियों के साथ सहयोग करें.”

सोथबी ने भारत के नोटिस पर क्या कहा?
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सोथबी की एसोसिएट जनरल काउंसल, आइवी वोंग ने नोटिस का जवाब दिया और यह भरोसा दिया है कि इस मामले पर “पूरा ध्यान” दिया जाएगा. इससे पहले, सोथबी एशिया के चेयरमैन निकोलस चाउ ने इन अवशेषों को “सभी समय की सबसे असाधारण पुरातात्विक खोजों में से एक” कहा था. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक नीलामी घर ने इन अवशेषों को “अद्वितीय धार्मिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व” का बताया.

विलियम क्लैक्सटन पेप्पे के परपोते और वर्तमान मालिकों में से एक, क्रिस पेप्पे ने अवशेषों को बेचने के निर्णय का बचाव किया. उन्होंने कहा कि परिवार ने इन वस्तुओं को मंदिरों और संग्रहालयों को दान करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. उन्होंने बीबीसी को बताया कि नीलामी “बौद्धों को इन अवशेषों को ट्रांसफर करने का सबसे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीका” है.

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