Last Updated:September 19, 2025, 10:59 IST
Chabahar Port News: डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, लगातार कुछ न कुछ ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिससे मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर की इमारत धराशायी होने के कगार पर पहुंच गया है. अब ट्रंप सरकार ने एक बार फिर से बड़ा फैसला लिया है, जिसका असर भारत पर पड़ना तय माना जा रहा है.

Chabahar Port News: ईरान का चाबहार पोर्ट एक बार फिर से सुर्खियों में है. अमेरिका की जिस ट्रंप सरकार ने ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार पोर्ट को साल 2018 में प्रतिबंध की सूची से बाहर रखा था, अब यूएसए के उसी राष्ट्रपति ने सात साल बाद अपना स्टैंड बदल लिया है. ट्रंप प्रशासन ने चाबहार बंदरगाह को मिली छूट को खत्म करने का ऐलान किया है. अब यह पोर्ट भी 29 सितंबर 2025 से अमेरिकी सैंक्शन लिस्ट में आ जाएगा. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस पोर्ट से जुड़े ऑपरेटर्स को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. अमेरिका के इस कदम का असर भारत पर पड़ना तय है. भारत ने चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल को डेवलप करने की योजना बनाई है, ऐसे में ट्रंप सरकार के कदम का असर नई दिल्ली के इस प्लान पर पड़ सकता है. बता दें कि साल 2018 में अमेरिका ने ईरान फ्रीडम एंड काउंटर प्रोलिफेरेशन एक्ट (IFCA) के तहत चाबहार पोर्ट को प्रतिबंधों से राहत दी थी. अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण और आर्थिक विकास के नाम पर ईरान के इस पोर्ट को राहत दी गई थी. अब ट्रंप सरकार ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने की नीति के तहत इस राहत को खत्म करने का ऐलान किया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल के बाद अब ईरानी पोर्ट के नाम पर खेल करना शुरू कर दिया है. ये दोनों मामले ऐसे हैं, जिससे भारत के व्यापक हित जुड़े हुए हैं. चाबहार पोर्ट भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं. भारत इस पोर्ट के जरिय पाकिस्तान के लैंड रूट को बायपास करते हुए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया के अन्य देशों से सीधे कॉन्टैक्ट स्थापित करने की जुगत में है. इंडियन प्रोडक्ट के लिए इससे बड़ा बाजार बनने की भी प्रबल संभावना है. अब अमेरिका की ट्रंप सरकार ने इस पोर्ट को प्रतिबंध सूची में लाने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में भारतीय कंपनियों के लिए नया खतरा उत्पन्न हो गया है. अमेरिकी प्रतिबंध का ब्योरा आना अभी बाकी है. सबसे बड़ा जोखिम यह है कि इस बंदरगाह से जुड़ी कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में चाबहार पोर्ट के डेवलपमेंट की भारत की योजना को करारा झटका लग सकता है.
भारत के लिए अहम क्यों है चाबहार पोर्ट?
अब सवाल उठता है कि भारत के लिए ईरान का चाबहार पोर्ट इतना अहम क्यों है. ओमान की खाड़ी में स्थित यह पोर्ट आर्थिक और रणनीतिक दोनों नजरिये से काफी महत्वपूर्ण है. दरअसल, चाबहार पोर्ट पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से महज 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जबकि गुजरात का कांडला बंदरगाह महज 1000 किलोमीटर दूर है. चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान और रूस समेत सेंट्रल एशिया और यूरोप तक सीधी पहुंच संभव है. ऐसे में भारत और इस जोन के अन्य देशों के प्रोडक्ट की पहुंच अपेक्षाकृत कम खर्च में पोटेंशियल मार्केट तक हो सकती है. ऐसे में अमेरिकी प्रतिबंध से भारत की इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के डेवलपमेंट का काम प्रभावित हो सकता है. बता दें कि कराची में ही चीन ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत ग्वादर पोर्ट को डेवलप कर रहा है. चाबहार को ग्वादर का जवाब भी माना जा रहा है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 19, 2025, 10:59 IST