भारत की सबसे तेज क्रूज मिसाइल का जनक कौन था? जानिए ब्रह्मोस की सनसनीखेज कहानी

2 hours ago

Last Updated:May 17, 2025, 17:32 IST

ब्रह्मोस मिसाइल ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर हमला किया. इसे भारत-रूस साझेदारी से विकसित किया गया. इसका पहला सफल परीक्षण 2001 में हुआ. 2024 में फिलीपींस इसको निर्यात किया गया.

भारत की सबसे तेज क्रूज मिसाइल का जनक कौन था? जानिए ब्रह्मोस की सनसनीखेज कहानी

ब्रह्मोस मिसाइल को विकसित करने का फैसला डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का था.(Image:PTI)

हाइलाइट्स

ब्रह्मोस मिसाइल ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर हमला किया.ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 2001 में हुआ.2024 में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें निर्यात कीं.

नई दिल्ली. भारत में विकसित की गई स्वदेशी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने 7-10 मई के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के भीतर सैन्य ठिकानों पर हमला करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसे मूल रूप से भारत और रूस के बीच साझेदारी के जरिये बनाया गया था. डीआरडीओ के पूर्व महानिदेशक एसके मिश्रा ने बताया कि ब्रह्मोस की कहानी भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की 1993 में रूस यात्रा से शुरू हुई. डीआरडीओ के तत्कालीन सचिव कलाम सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के विकास के लिए मास्को के साथ सहयोग करने के तरीकों की खोज के लिए रूस गए थे. मिश्रा ने दौरान कहा कि अपनी यात्रा के दौरान कलाम को एक सुपरसोनिक दहन इंजन दिखाया गया था, जो ‘आधा पूरा’ था. और यह सोवियत संघ के विघटन के कारण धन की कमी के कारण था.

पांच साल बाद, 12 फरवरी 1998 को, कलाम और रूस के प्रथम उप रक्षा मंत्री एन.वी. मिखाइलोव ने एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए. जिससे डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (एनपीओएम) के बीच एक संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस (बीए) का गठन हुआ. जिसमें भारत की 50.5 प्रतिशत और रूस की 49.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. इस संयुक्त उद्यम का उद्देश्य दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम- ब्रह्मोस की डिजाइन तैयार करना, उसे विकसित करना, बनाना और बिक्रि करना था. पहला कांट्रैक्ट 9 जुलाई, 1999 को रूस से 123.75 मिलियन डॉलर और भारत से 126.25 मिलियन डॉलर की फंडिंग के साथ हस्ताक्षरित किया गया था. डीआरडीओ और एनपीओएम की विशेष प्रयोगशालाओं में उसी वर्ष विकास कार्य शुरू हुआ.

ब्रह्मोस का पहला सफल टेस्ट 2001 में

ब्रह्मोस का पहला सफल प्रक्षेपण 12 जून, 2001 को ओडिशा के चांदीपुर तट पर अंतरिम परीक्षण रेंज में एक भूमि-आधारित लांचर से हुआ था. इसके बाद, ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनियों में भाग लेकर प्रमुखता हासिल की. जिसमें 2001 में मास्को में MAKS-1 प्रदर्शनी में इसकी पहली मौजूदगी भी शामिल है. उपयोगकर्ता की जरूरतों को पूरा करने वाले कई परीक्षणों के बाद, ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली को भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया. ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक की गति से उड़ती है, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है. मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 1983 में शुरू किए गए भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) की स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक का इस्तेमाल ब्रह्मोस को विकसित करने के लिए किया गया था.

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ब्रह्मोस को सुखोई से जोड़ना बड़ी सफलता

ब्रह्मोस को मूल रूप से जमीन और जहाज से लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी. ब्रह्मोस को 2013 में विमान से लॉन्च करने के लिए सुधार किया गया था. मगर सबसे हालांकि, सबसे चुनौतीपूर्ण काम ब्रह्मोस को सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के साथ जोड़ना था. विमान का नया डिजाइन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया गया था, जिसे ब्रह्मोस ले जाने के लिए बनाया गया था. मूल रूप से लड़ाकू जेट विकसित करने वाली रूसी कंपनी सुखोई ने विमान के पुन: डिजाइन की लागत 1,300 करोड़ रुपये आंकी थी, लेकिन एचएएल ने इसे केवल 88 करोड़ रुपये में पूरा कर दिया. 2024 में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें दीं, जो भारत द्वारा सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली का पहला निर्यात था. 2022 में भारत ने ब्रह्मोस हथियार प्रणाली की आपूर्ति के लिए दक्षिण-पूर्व एशियाई देश के साथ 375 मिलियन डॉलर का समझौता किया. अप्रैल, 2025 में इसका दूसरा बैच फिलीपींस को दिया गया. ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अनुसार अर्जेंटीना समेत कई अन्य देशों ने भी भारत से मिसाइल प्रणाली खरीदने में रुचि दिखाई है.

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Rakesh Singh

Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें

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