Last Updated:April 22, 2025, 15:49 IST
PM Modi Saudi Arabia Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर पहुंचे हैं. यह दौरा 2 दिन का होगा. सऊदी अरब और भारत के बीच आर्थिक, रक्षा और ऊर्जा साझेदारी बढ़ रही है. पाकिस्तान इससे नाखुश नजर आ रहा है...और पढ़ें

दोनों देश के बीच बढ़ते रिश्ते से पाकिस्तान काफी नाखुश है. (फाइल फोटो PTI)
हाइलाइट्स
PM मोदी सऊदी अरब के 2 दिन के दौरे पर पहुंचे.भारत-सऊदी अरब के बीच आर्थिक, रक्षा और ऊर्जा साझेदारी बढ़ी.पाकिस्तान भारत-सऊदी नजदीकियों से नाखुश.PM Modi Saudi Arabia Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सऊदी अरब के दौरे पर पहुंचे हैं. PM मोदी का यह दौरा 2 दिन का होगा. यह प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की तीसरी यात्रा होगी और जेद्दा शहर की पहली यात्रा है. दरअसल क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने पीएम मोदी को सऊदी आने का न्योते दिया था. जवाहरलाल नेहरू (1955), इंदिरा गांधी (1982) और मनमोहन सिंह (2010) के बाद पीएम मोदी सऊदी अरब की यात्रा करने वाले चौथे भारतीय प्रधानमंत्री हैं. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत अमेरिकी टैरिफ के कारण बढ़ती वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के बीच प्रमुख तेल निर्यातक और OPEC+ नेता के साथ संबंधों को गहरा करने की कोशिश कर रहा है. सऊदी अरब और भारत की बढ़ती नजदीकियों से पड़ोसी मुल्क में हलचल है. दोनों देश के बीच बढ़ते रिश्ते से पाकिस्तान काफी नाखुश है.
भारत और सऊदी अरब ने पिछले कुछ सालों में अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाया है. इसमें आर्थिक सहयोग, रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल हैं. सऊदी अरब के साथ भारत के बढ़ते कूटनीतिक जुड़ाव का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम कश्मीर पर सऊदी अरब का बदलता रुख रहा है. 1971 के युद्ध के दौरान सऊदी अरब ने खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन किया था, लेकिन पिछले कुछ सालों में उसका रुख धीरे-धीरे नरम होता गया है.
MBS के शासन में उदार हुआ सऊदी
हालांकि पाकिस्तान को सऊदी अरब का समर्थन दोनों कूटनीतिक और आर्थिक, उनके साझा इस्लामी संबंधों में निहित है. MBS के शासन में देश ने भारत के साथ अपने संबंधों के मामले में व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है. इसमें भारत की बढ़ती आर्थिक और कूटनीतिक ताकत को ध्यान में रखा गया है. इससे दोनों देशों को वर्षों में आर्थिक रूप से लाभकारी संबंधों की खोज करने में मदद मिली है. इसमें सऊदी अरब भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है जबकि भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है.
सऊदी अरब में पीएम मोदी का ग्रांड वेलकम किया गया.
दोनों देशों के बीच बढ़ा व्यापार
साल 2019 में प्रिंस सलमान ने आने वाले सालों में भारत में सऊदी निवेश को 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का वादा किया था. भारत पहले से ही सऊदी कच्चे तेल का प्रमुख प्राप्तकर्ता है और राज्य समर्थित ऊर्जा दिग्गज सऊदी अरामको ने लंबे समय से देश में निवेश करने में रुचि व्यक्त की है.
रियाद में भारत के दूतावास के अनुसार सऊदी अरब के भारत में निवेश लगभग 10 बिलियन डॉलर हैं. फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में सऊदी अरब से भारत का आयात 31.42 बिलियन डॉलर था और निर्यात 11.56 बिलियन डॉलर था. सऊदी अरब ने भारत, UAE और EU के साथ मिलकर IMEC (इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर) लॉन्च किया है. यह एक प्रमुख बुनियादी ढांचा पहल है. जिसका उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और व्यापार को बढ़ाना है.
पाकिस्तान की जगह भारत को चुन रहे प्रिंस सलमान
इसी समय सऊदी अरब ने कई बार पाकिस्तान को नजरअंदाज कर भारत को प्राथमिकता दी. जो MBS के अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है. साल 2023 में प्रिंस सलमान ने अपनी यात्रा में पाकिस्तान को शामिल किए बिना भारत का दौरा करने का निर्णय लिया. इससे भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने पर एक स्पष्ट ध्यान केंद्रित किया गया.
पाकिस्तान की हो रही किरकिरी
यात्रा के दौरान, MBS और मोदी ने संयुक्त रूप से आतंकवाद की निंदा की और आतंकवादी ढांचे को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो भारत की सुरक्षा चिंताओं के साथ निकटता से मेल खाता है. 2020 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान से 1 बिलियन डॉलर का ऋण चुकाने की मांग की थी और 3.2 बिलियन डॉलर तेल क्रेडिट सुविधा को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया था. यह वित्तीय खींचतान पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) की निष्क्रियता की सार्वजनिक आलोचना के बाद हुई थी.
साल 2024 में सऊदी अरब ने भारत के लंबे समय से चले आ रहे दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करते हुए कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से हल करने का आह्वान किया. जो भारत की स्थिति के साथ प्रभावी रूप से मेल खाता है. भारत के साथ सऊदी अरब की गहरी होती आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी कश्मीर पर उसकी बढ़ती तटस्थता और कभी-कभी पाकिस्तान को कूटनीतिक ठंडा कंधा देने के विपरीत है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 22, 2025, 15:49 IST