मंगेतर की हत्या, उम्रकैद की सजा… लेकिन SC ने महिला और बॉयफ्रेंड को दी 'रियायत'

7 hours ago

Last Updated:July 14, 2025, 23:50 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मंगेतर का कत्ल करने वाली महिला और उसके बॉयफ्रेंड को 'रियायत' दे दी. कोर्ट ने कहा कि दोषी जोड़ा गवर्नर के आगे गुहार लगा सकता है.

मंगेतर की हत्या, उम्रकैद की सजा… लेकिन SC ने महिला और बॉयफ्रेंड को दी 'रियायत'

मंगेतर की हत्या में उम्रकैद पाए प्रेमी जोड़े को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने शुभा और अरुण की उम्रकैद पर रोक लगाई.दोनों दोषी राज्यपाल से माफी की अपील कर सकते हैं.कोर्ट ने मामले को 'रोमांटिक भ्रम' और 'गलत विद्रोह' बताया.

नई दिल्ली: साल 2003 में बेंगलुरु में एक दिल दहला देने वाला मर्डर हुआ था, जिसने प्रेम, विद्रोह और न्यायशास्त्र… तीनों को कटघरे में खड़ा कर दिया था. एक युवती ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर अपने मंगेतर की हत्या कर दी थी. हत्या का कारण था: परिवार का दबाव और प्यार में उठाया गया एक ‘खतरनाक कदम’. अब 21 साल बाद, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया है जो भारतीय न्याय प्रणाली में मानवीय पहलुओं के महत्व को नए सिरे से परिभाषित करता है.

क्या था मामला?

घटना की मुख्य किरदार शुभा शंकर ने अपने प्रेमी अरुण, और दो अन्य साथियों- दिनाकरन और वेंकटेश की मदद से अपने मंगेतर गिरीश की हत्या कर दी थी. गिरीश और शुभा की शादी तय कर दी गई थी, लेकिन शुभा पहले से ही अरुण से प्रेम करती थी और इस शादी के खिलाफ थी.

हत्या की योजना दोनों प्रेमियों ने बनाई और गिरीश की जान ले ली गई. कर्नाटक हाई कोर्ट ने चारों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो कहानी ने नया मोड़ ले लिया.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने एक दुर्लभ फैसले में शुभा और अरुण की उम्रकैद की सजा और गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है. हालांकि कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा है. लेकिन साथ ही दोनों को 8 हफ्तों का समय दिया है कि वे कर्नाटक के राज्यपाल से माफी की अपील कर सकें. कोर्ट ने इसे एक ‘गलत तरीके से लिया गया विद्रोह’ और ‘रोमांटिक भ्रम’ का मामला बताया.

जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा, ‘एक महत्वाकांक्षी युवती की आवाज को जबरन थोपे गए पारिवारिक फैसले ने कुचल दिया. मानसिक विद्रोह और प्रेम की अतिशय कल्पना ने न केवल एक निर्दोष युवक की जान ली, बल्कि तीन अन्य जिदगियों को भी बर्बाद कर दिया.’

कोर्ट का मानवीय नजरिया

सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले को केवल कानून की धाराओं में नहीं बांधा, बल्कि उस सामाजिक और भावनात्मक पृष्ठभूमि को भी समझा, जिसने इस जघन्य अपराध को जन्म दिया. कोर्ट ने कहा, ‘अगर परिवार थोड़ा संवेदनशील होता, तो शायद यह अपराध कभी नहीं होता.’ कोर्ट ने माना कि उस समय अधिकांश आरोपी किशोरावस्था में थे और यह अपराध ‘पल भर का जोश’ और ‘खतरनाक फैसले’ का परिणाम था, न कि पूर्वनियोजित आपराधिक मानसिकता का.

जेल में कैसा रहा व्यवहार?

कोर्ट ने चारों दोषियों के जेल में आचरण को ‘प्रशंसनीय’ बताया और कहा कि उनका व्यवहार आपत्तिजनक नहीं रहा है. SC के मुताबिक, ‘वे अपराधी बनकर पैदा नहीं हुए थे, यह एक गलत निर्णय था जो एक भयावह अंजाम तक पहुंचा.’

क्या सजा माफ हो सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों दोषियों को अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल से दया याचिका दाखिल करने का अधिकार देते हुए कहा, ‘हम राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वे याचिका पर विचार करते समय इस मामले की पूरी सामाजिक, भावनात्मक और समयगत परिस्थितियों को ध्यान में रखें.’

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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