ममता के गढ़ में 10 दिन बिताएंगे मोहन भागवत, महाराष्‍ट्र वाली जमीन करेंगे तैयार

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Last Updated:January 10, 2025, 23:25 IST

Mohan Bhagwat in West Bengal: पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन पिछले संसदीय चुनावों के मुकाबले में कमजोर रहा था. इन सब पहलुओं को देखते हुए RSS चीफ मोहन भागवत की...और पढ़ें

ममता के गढ़ में 10 दिन बिताएंगे मोहन भागवत, महाराष्‍ट्र वाली जमीन करेंगे तैयार

RSS प्रमुख मोहन भागवत फरवरी में पश्चिम बंगाल के दौरे पर जाने वाले हैं.

नई दिल्‍ली/कोलकाता. लोकसभा चुनाव में फिर से केंद्र में NDA की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी ने रिकॉर्ड लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभाला. साल 2029 के संसदीय चुनावों के मुकाबले में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुआई वाले गठबंधन का प्रदर्शन कमजोर रहा. इसके बावजूद बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई और सहयोगी दलों को मिली सीटों के बदौलत जादुई आंकड़ा को पार करने में किसी तरह की परेशानी नहीं आई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी पश्चिम बंगाल में पिछला प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रही. बता दें कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें और इस मामले में उत्‍तर प्रदेश और महाराष्‍ट्र के बाद यह प्रदेश तीसरे नंबर पर आता है. पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सत्‍तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ ही बीजेपी ने भी इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. इन सब डेवलपमेंट के बीच राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत 10 दिन के लिए पश्चिम बंगाल के दौरे पर जा रहे हैं.

संभवत: यह पहला मौका है जब RSS चीफ मोहन भागवत इतने लंबे समय के लिए पश्चिम बंगाल की यात्रा पर जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो मोहन भागवत के इस दौरे को दो हिस्‍सों में बांटा गया है. मोहन भागवत पहले 5 दिन कोलकाता रीजन में रहेंगे और उसके बाद के बचे 5 दिन वह बर्धमान रीजन में बिताएंगे. विधानसभा चुनाव की तैयारियों के नजरिये से देखें तो ये दोनों क्षेत्र कफी महत्‍वपूर्ण हैं. मोहन भागवत के पश्चिम बंगाल दौरे को समझने से पहले हरियाणा और महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनावों में RSS की भूमिका और उसके योगदान को समझना होगा. हरियाणा और महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव राजनीतिक रूप से काफी महत्‍वपूर्ण हैं, ऐसे में यहां जीतना जरूरी था. RSS ने बीजेपी के पक्ष में जनमत बनाने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया गया. सैकड़ों की संख्‍या में टोलियां बनाई गईं, जिनके सदस्‍यों ने घर-घर जाकर लोगों से संवाद किया. उसका परिणाम स्‍पष्‍ट तौर पर देखने को भी मिला.

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महाराष्‍ट्र को दोहराने की कोशिश
महाराष्‍ट्र में हुए विधानसभा चुनावों में सभी विश्‍लेषणों और आकलनों को धता बताते हुए बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की. लोकसभा चुनाव में जीत से उत्‍साहित विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन उसी प्रदर्शन को दोहराने की उम्‍मीद में थे, लेकिन उन्‍हें जोरदार झटका लगा. अब तो शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे ने भी RSS के चुनावी प्रबंधन का लोहा मान लिया है. RSS के तहत काम करने वाले तमाम संगठनों में से दो लोक जागरण मंच और प्रबोधन मंच को इस बात की ज़िम्मेदारी दी गई कि वे घर-घर जाकर ‘एक हैं तो सेफ़ हैं’ वाले नारे का न सिर्फ मतलब समझाएं, बल्कि ‘हिंदुओं को आगाह करें कि अगर वे संगठित नहीं रहे तो उनका अस्तित्व ख़तरे में पड़ सकता है. चुनाव परिणाम सामने आने के बाद यह स्‍पष्‍ट हो गया कि RSS की इन दो सहयोगी संगठनों ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया.

पश्चिम बंगाल में मोहन भागवत का शेड्यूल
मोहन भागवत का पश्चिम बंगाल दौरा कोई अनोखी या अनसुनी बात नहीं है, लेकिन बंगाल की राजनीति को समझने वाले लोगों का कहना है कि 10 दिन तक बंगाल में मोहन भागवत का रहना बेहद अहम है. RSS से जुड़े लोगों का कहना है कि अपने बंगाल दौरे के दौरान मोहन भागवत संघ से जुड़े हर संगठन के साथ बैठकें करेंगे. इन संगठनों के सदस्‍यों से सीधी मुलाकात और बात भी करेंगे. जानकारी के अनुसार, कोलकाता और बर्धमान रीजन में सक्रिय विभिन्‍न शाखाओं के लोगों के साथ बैठक के साथ बात होगी. बता दें कि प्रदेश के जंगलमहल और दक्षिण बंगाल में RSS की अच्‍छी पैठ है. अब अन्‍य क्षेत्रों में भी संपर्क बनाने की कोशिश की जाएगी. साथ ही इस बात पर भी मंथन होगा कि पश्चिम बंगाल के अछूते क्षेत्रों तक पहुंच कैसे सुनिश्चित की जाए.

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