महाभारत:घटोत्कच तो द्रौपदी का बेटा था,फिर क्यों गुस्से में दिया मृत्यु का शाप

1 month ago

Last Updated:February 24, 2025, 11:05 IST

महाभारत कथा : घटोत्कच तो द्रौपदी के लिए बेटे जैसा ही था. वह उसके लिए मां जैसी थी. घटोत्कच से क्यों वह इतना नाराज हो गई कि उसे मृत्यु का शाप दे डाला.

घटोत्कच तो द्रौपदी का बेटा था,फिर क्यों गुस्से में दिया मृत्यु का शाप

घटोत्कच तो द्रौपदी के लिए बेटे की तरह ही था. वह उसका सौतेला बेटा था. उस भीम का पुत्र था, जो द्रौपदी का सबसे ज्यादा ध्यान रखते थे, उसके लिए वास्तव में आसमान से तारे तोड़ लाने जैसे काम करने को भी तैयार रहते थे. तो अपने ऐसे पति के बेटे पर वह क्यों इतनी नाराज हो गई कि बगैर सोचे-समझे उसे मृत्यु का श्राप ही दे डाला.

जब भी द्रौपदी कष्ट में होती थीं तो उन्हें सबसे पहला साथ भीम का ही मिलता था लेकिन उन्हीं के बेटे घटोत्कच को द्रौपदी ने ऐसा खराब श्राप दे डाला. भीम खुद इससे बहुत दुखी हुए. घटोत्कच की मां हिडिंबा विचलित हो गई. भला कोई अपने परिवार के बेटे को ऐसा शाप देता है.

द्रौपदी ने भीम और हिडिंबा के अकेले बेटे घटोत्कच को जल्दी मरने का शाप दे दिया. शाप में उन्होंने कहा घटोत्कच की मृत्यु ना केवल जल्दी हो जाएगी बल्कि बिना लड़े ही हो जाएगी. किसी वीर के लिए इससे बड़ा भी शाप क्या होगा, अगर उससे ये कहा जाए कि वह युद्ध में बगैर लड़े ही मर जाएगा. हालांकि बाद में घटोत्कच की मृत्यु हो गई तो द्रौपदी बहुत दुखी भी हुई. खुद को कोसा भी.

चंबल नदी और कुत्तों को भी दिया था शाप
द्रौपदी ने इसके अलावा चंबल नदी और कुत्तों को भी शाप दिया लेकिन ये वाला शाप तो सच में काफी स्तब्ध करने वाला था. दरअसल भीम की पत्नी हिडिंबा और द्रौपदी के बीच संबंध अच्छे नहीं थे. हिडिंबा द्रौपदी को बहुत पसंद नहीं करती थी.

हिडिंबा ने क्या कहा था पुत्र से 
संदर्भों के अनुसार, जब भीम का पुत्र पहली बार पिता से मिलने हस्तिनापुर आया तो मां हिडिंबा ने उसे द्रौपदी के बारे में बहुत अच्छी राय नहीं दी थी. ये कहा था कि वह द्रौपदी को अनदेखा करे और सम्मान नहीं करे.

घटोत्कच को अपनी विशालकाय शक्ति के लिए जाना जाता था. उसके पास अद्वितीय मायावी शक्तियां थीं (image generated by Leonardo AI)

फिर खुद को रोक नहीं पाई द्रौपदी
लंबे-चौड़े घटोत्कच की गलती ये रही कि उसने द्रौपदी को पहले इग्नोर कर दिया, फिर उसे राजसभा में अपमानित भी किया, जिससे द्रौपदी बहुत आहत हुई. उसके गुस्से की कोई सीमा नहीं रही. उसने तड़ से घटोत्कच को शाप दिया कि उसकी आयु कम होगी.वह बिना किसी युद्ध के मारा जाएगा.

द्रौपदी ने भरी सभा में घटोत्कच के अपमान के बाद कहा वह एक विशेष स्त्री हैं, पांडवों की पत्नी और राजा द्रुपद की पुत्री. लिहाजा उसका असम्मान करके घटोत्कच ने अपराध जैसा किया है.

भीम सकते में आ गए
जब भीम ने सुना तो वह स्तब्ध रह गए. उनके साथ पूरी सभा सन्नाटे में आ गई कि ये द्रौपदी कैसा शाप अपने ही सौतेले बेटे को दे दिया. क्योंकि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि नाराज होकर द्रौपदी ऐसा कुछ कर डालेंगी लेकिन तीर तो कमान से छूट चुका था.

जब घटोत्कच युद्ध के मैदान में आया तो कौरवों की सेना के छक्के छूट गए. कोई भी उसको काबू नहीं कर पा रहा था. (imagine generated by Leonardo AI)

शाप का क्या असर हुआ
बाद में इस श्राप ने वाकई रंग दिखाया. महाभारत के युद्ध में कर्ण ने उसे इंद्र का अमोघ अस्त्र चलाकर मारा, जबकि वह वास्तव में अर्जुन पर इसका प्रयोग करना चाहता था. इस तरह द्रौपदी के श्राप का परिणाम घटोत्कच की मृत्यु के रूप में सामने आया.

घटोत्कच के पास थी अपार ताकत
घटोत्कच को अपनी विशालकाय शक्ति के लिए जाना जाता था. उसके पास अद्वितीय मायावी शक्तियां थीं, जो उसे युद्ध के मैदान में एक प्रभावशाली योद्धा बनाती थीं. वह अपने आकार को बढ़ा सकता था. कौरवों की सेना में आतंक मचा सकता था.

जब महाभारत युद्ध के दौरान जब कौरवों की सेना पांडवों पर भारी पड़ रही थी तब भीम ने घटोत्कच को युद्ध में बुलाया. घटोत्कच ने अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए कौरवों की सेना को बुरी तरह से कुचल दिया. उसके एक कदम से हजारों सैनिक मारे जाते थे.

कर्ण ने दिव्यास्त्र से उसको मारा
घटोत्कच की शक्ति को देखकर दुर्योधन ने कर्ण को उसे मारने के लिए भेजा. कर्ण ने अपने दिव्यास्त्र “शक्ति” का उपयोग किया, जो केवल एक बार प्रयोग किया जा सकता था. इसी के माध्यम से उसने घटोत्कच का वध किया.

घटोत्कच के मरने पर कृष्ण क्यों खुश हुए
घटोत्कच की मृत्यु पर सभी पांडव दुखी हो गए लेकिन श्री कृष्ण प्रसन्न थे क्योंकि उन्होंने देखा कि यदि घटोत्कच जीवित रहता तो अर्जुन की जान को खतरा हो सकता था. घटोत्कच की मृत्यु के बाद युद्ध का रुख बदल गया. कर्ण अब इंद्र की शक्ति खो चुका था, जिससे अर्जुन को कर्ण से लड़ने में आसानी हुई. इस प्रकार, घटोत्कच की मृत्यु ने युद्ध के परिणाम को प्रभावित किया. पांडवों के लिए एक नया अवसर प्रदान किया.

तब द्रौपदी बहुत पछताई
जब घटोत्कच की मृत्यु हुई तो सबसे ज्यादा पछतावा भी द्रौपदी को हुआ. उसे गहरा दुःख हुआ कि उसके क्रोध ने एक वीर योद्धा की जान ले ली. कुछ स्रोतों के अनुसार, द्रौपदी को अपनी गलती का अहसास भी हुआ. उसने महसूस किया कि उसका गुस्सा कुछ जरूरत से ज्यादा ही था.

द्रौपदी में गुस्सा ज्यादा था
द्रौपदी का स्वाभिमान बहुत ऊंचा था. धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि द्रौपदी का स्वभाव स्वाभाविक रूप से गुस्सैल था. उसका गुस्सा अक्सर उसकी प्रतिक्रियाओं में झलकता था, जिससे वह अपने अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए तत्पर रहती थी.

कई ऐसे वाकये हैं जब द्रौपदी का गुस्सा उस पर खुद भारी पड़ा. वैसे सही बात यही है कि जब जब द्रौपदी नाराज हुई तब तब उसके विनाशकारी परिणाम दूसरों के लिए भी हुए.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

February 24, 2025, 11:05 IST

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