Last Updated:March 26, 2025, 16:14 IST
Bird Flu: महाराष्ट्र के 11 जिलों में बर्ड फ्लू का कहर जारी है। पोल्ट्री फार्म और जंगली पक्षियों में संक्रमण फैलने से सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. मुर्गियों की मौतें बढ़ रही हैं, जबकि पोल्ट्री उद्योग पर बड़ा संकट...और पढ़ें

महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू का हड़कंप
जनवरी 2025 से अब तक महाराष्ट्र के 11 जिलों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं. कुल 12 स्थानों पर यह संक्रमण पाया गया, जिनमें से तीन जगहों पर जंगली पक्षियों में वायरस मिला, जबकि बाकी 9 स्थानों पर पोल्ट्री फार्म और घरेलू मुर्गियों में इसका प्रकोप देखा गया. इसके चलते राज्य सरकार ने सतर्कता बढ़ाते हुए प्रभावित इलाकों में रोकथाम के सख्त कदम उठाए हैं.
बर्ड फ्लू रोकने के लिए सरकार अलर्ट
पशुपालन विभाग ने केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के मुताबिक जरूरी कदम उठाए हैं. संक्रमण वाले इलाकों को पूरी तरह से कीटाणुरहित किया जा रहा है. मुर्गियों, अंडों और चारे की आवाजाही पर सख्त पाबंदी लगा दी गई है ताकि यह वायरस दूसरे इलाकों तक न पहुंचे. साथ ही सरकार ने प्रभावित पोल्ट्री फार्म मालिकों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अनुग्रह अनुदान देने का भी ऐलान किया है.
क्या है बर्ड फ्लू?
बर्ड फ्लू एक संक्रामक बीमारी है जो पक्षियों में फैलती है. यह इन्फ्लूएंजा “ए” वायरस के कारण होता है और इसके कई उपप्रकार होते हैं, जैसे H5 और N9. इनमें H5 प्रकार का वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है, क्योंकि यह तेजी से फैलता है और संक्रमित पक्षियों की जान ले सकता है.
ठंडे मौसम में ज्यादा सक्रिय होता है वायरस
बर्ड फ्लू का वायरस मौसम के अनुसार सक्रिय रहता है. शुष्क और गर्म मौसम में यह निष्क्रिय हो जाता है, लेकिन ठंड और नमी में महीनों तक जिंदा रह सकता है. यह वायरस संक्रमित पक्षियों के मल, उनके स्राव, दूषित पानी और खाद्य पदार्थों से फैलता है. पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले कर्मचारी और आगंतुक भी वायरस फैलाने का कारण बन सकते हैं.
कैसे फैलता है बर्ड फ्लू?
बर्ड फ्लू का संक्रमण कई तरीकों से फैल सकता है. बीमार पक्षियों के संपर्क में आने से यह दूसरे पक्षियों तक पहुंचता है. संक्रमित पक्षियों के मल, उनके शरीर के अंगों, दूषित उपकरणों और खाने-पीने की चीजों से भी इसका प्रसार संभव है. इसके अलावा, चूहे और कीड़े भी इस वायरस को एक जगह से दूसरी जगह फैला सकते हैं.
बर्ड फ्लू के लक्षण
मुर्गियों में इस बीमारी के कई लक्षण दिख सकते हैं. संक्रमित मुर्गियां सुस्त हो जाती हैं और अंडे देने की क्षमता कम हो जाती है. उनकी आंखें, मुंह और गर्दन सूज सकती हैं. सांस लेने में दिक्कत, खांसी और नाक से पानी आना इसके सामान्य लक्षण हैं. कुछ मामलों में, संक्रमित मुर्गियों के मल का रंग सफेद या हरा हो सकता है. कई बार यह संक्रमण इतनी तेजी से फैलता है कि पक्षियों की अचानक मौत हो जाती है.
पोल्ट्री फार्म में बरती जा रही सावधानियां
चूंकि बर्ड फ्लू के खिलाफ कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए रोकथाम ही इसका सबसे बड़ा उपाय है. पोल्ट्री फार्मों में कीटाणुशोधन को प्राथमिकता दी जा रही है. फॉर्मेलिन और ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग कर शेड और उपकरणों को नियमित रूप से साफ किया जा रहा है.
प्रभावित क्षेत्रों में सख्ती
संक्रमण वाले इलाकों में बाहरी लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई है. फार्म तक पहुंचने वाले लोगों को विशेष जूते पहनने और कीटाणुशोधन के बाद ही अंदर जाने की अनुमति दी जा रही है. इसके अलावा, मुर्गियों और अंडों के परिवहन को भी नियंत्रित किया जा रहा है.
First Published :
March 26, 2025, 16:14 IST