Last Updated:September 13, 2025, 07:03 IST
Sairang to Barbi Railway Line News- आज प्रधानमंत्री मिजोरम में सैरंग से बैरबी तक नई रेल लाइन का उद्घाटन करेंगे. भूकंप आए, भूस्खलन हो या बाढ़ आए, इस रेल लाइन का बाल भी बांका नहीं होगा. ऐसा इसका निर्माण किया गया है.

नई दिल्ली. मिजोरम में सैरंग से बैरबी तक नई रेल लाइन का प्रधानमंत्री आज उद्घाटन करेंगे. सैंरग आइजोल से करीब 21 किमी.दूर है, वहीं, बैरबी असम सीमा के करीब है. इसके साथ ही, आइजोल पूर्वोत्तर की चौथी राजधानी बन जाएगी, जो रेल लाइन से कनेक्ट हो जाएगी. यहां तबाही मचाने वाला भूकंप आए, भूस्खलन हो या बाढ़ आए, इस रेल लाइन का बाल भी बांका नहीं होगा. ऐसा इसका निर्माण किया गया है. यही वजह है कि 51 किमी. लंबी लाइन का निर्माण सिस्मिक जोन 5 में बनाना बड़ा चैलेंज था. आइए जानते हैं इस रूट पर 5 बड़े चैलेंज कौन कौन से थे?
इस लाइन पर 48 टनल और छोटे-बड़े मिलकर 153 ब्रिज हैं. टनल की कुल लंबाई करीब 20 किमी. है. खास बात यह भी है कि एक ब्रिज कुतुबमीनार से 42 मीटर ऊंचा है. यह रेल लाइन देश की सबसे चैलेंजिंग लाइन श्रीनगर कटरा से कम नहीं थी. जो उन पहाड़ी इलाकों में बनायी गयी है, जहां खड़ी ढलानें और जटिल भू-संरचना( टोपोग्राफी) है. निर्माण में लगातार आ रहे चैलेंज की वजह से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ गयी है. पहले 5021 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 8000 करोड़ रुपये हो गई.
ये हैं पांच बड़े चैलेंज
1- भूकंप क्षेत्र 5 में निर्माण: मिजोरम भूकंप के लिहाज से जोन पांच में आता है, जो सबसे संवेदनशील क्षेत्र है. इसलिए रेल ट्रैक, टनल और ब्रिज को भूकंपरोधी तकनीक के साथ बनाया गया है, जो तकनीकी और लागत दोनों के लिहाज से कठिन है.
2- भारी मानसून और लगातार भूस्खलन: मिजोरम में भारी बारिश और मानसून के कारण भूस्खलन का खतरा लगातार बना रहता है. निर्माण के दौरान बारिश से मिट्टी और चट्टानों का खिसकना आम था, इस वजह से लगातार काम बाधित होता रहा है.
3- पहाड़ खोदकर टनल बनाना: प्रोजेक्ट में 48 टनल बनाई गईं हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में टनल खोदना, उनकी स्टेबिलिटी तय करना और वेंटिलेशन की व्यवस्था करना टेक्निकल रूप से मुश्किल था. पहाड़ी क्षेत्रों में मशीनरी, मैटेरियल और श्रमिकों को पहुंचाना निर्माण स्थल तक पहुंचाना आसान नहीं था. सड़क मार्ग न होने से निर्माण स्थल तक लॉजिस्टिक्स पहुंचाना कठिन था.
4- 153 ब्रिज का निर्माण: बड़े और छोटे ब्रिजों का निर्माण किया गया है. जिनमें कुरुंग नदी पर 114 मीटर ऊंचा पियर ब्रिज (दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा) बनाया गया है. ऊंचाई और नदी के बहाव के कारण इनका निर्माण जोखिम भरा था.
5-पर्यावरणीय और सामाजिक चैलेंज: हरियाली और संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण से पर्यावरण को नुकसान न हो, इसका ध्यान रखना जरूरी था. साथ ही, स्थानीय लोगों के साथ कोआर्डीनेशन और भूमि अधिग्रहण भी चैलेंजिग रहा है.
पूर्वोत्तर की चौथी राजधानी ट्रेन से होगी कनेक्ट
जिरीबाम इंफाल और दीमापुर जुबजा (कोहिमा) तक रेल लाइन तैयार हो रही है, जल्द ही इस पर भी ट्रेन चलने लगेगी. अरुणाचल, त्रिपुरा और मणिपुर पहले से रेल लाइन से कनेक्ट हो चुके हैं. आइजोल चौथी राजधानी बनेगी.
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First Published :
September 13, 2025, 07:03 IST