Last Updated:August 22, 2025, 06:19 IST
Electronic Warfare: 21वीं सदी में युद्ध का स्वरूप भी बदल गया है. पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के बाद अब 6th जेनरेशन का लड़ाकू विमान डेवलप किया जा रहा है. यह फाइटर जेट AI से ऑपरेट होगा, जिससे एफिशिएंसी में भी वृद...और पढ़ें

नई दिल्ली. डिजिटल युग में युद्ध का तौर तरीका भी बदलता जा रहा है. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम (EMS) मॉडर्न वॉरफेयर में अहम होता जा रहा है. इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) सिस्टम (जो संचार और रडार सिग्नल को पकड़ने, बाधित करने और बदलने में सक्षम हैं) अब टैंक, मिसाइल और फाइटर जेट्स जितने ही जरूरी हो चुके हैं. भारत के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि सीमा पर जियो-पॉलिटिकल टेंशन, पड़ोसी देशों का तेज मिलिटराइजेशन और ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइल और साइबर-इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हमलों जैसी नई चुनौतियां सामने हैं. इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के तहत राफेल, F-35 मॉडर्न रडार सिस्टम को जाम या हैक कर दुश्मनों को पलभर में धराशायी किया जा सकता है. यही वजह है कि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर डॉक्ट्रिन तैयार किया है, जिसमें सेना के तीनों अंगों (नेवी, इंडियन एयरफोर्स और मिलिट्री) को शामिल किया गया है.
भारत की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं की शुरुआत 1980 और 1990 के दशक में सीमित आयात और घरेलू प्रयासों से हुई थी, लेकिन पिछले एक दशक में डीआरडीओ (DRDO) के रिसर्च, सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं और निजी कंपनियों की साझेदारी ने इसे नई गति दी है. DRDO और BEL द्वारा विकसित तकनीक दुश्मन के संचार नेटवर्क को ट्रैक और ब्लॉक करने में सक्षम. शक्ति EW सूट नेवी के जहाजों को पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक समर्थन और काउंटरमेज़र्स प्रदान करता है. वहीं, दिव्य दृष्टि लंबी दूरी से सिग्नल मॉनिटर करने के लिए रणनीतिक प्लेटफॉर्म. अब इस क्षेत्र में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, एलएंडटी डिफेंस, डेटा पैटर्न्स और सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी निजी कंपनियां भी एक्टिव हो गई हैं.
6th जेनरेशन फाइटर जेट से युद्ध की तस्वीर बदलने की संभावना है. (सांकेतिक तस्वीर)
₹1.5 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट
ग्लोबल EW बाजार 2028 तक 25 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें एशिया-प्रशांत सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र होगा. भारत का हिस्सा भी इसमें तेजी से बढ़ने की संभावना है. देश में ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक की इलेक्ट्रॉनिक्स-इनेबल मिलिट्री मॉडर्नाइजेशन की योजनाएं चल रही हैं. सरकार की पॉजिटिव इंडिजेनाइजेशन सूची में कई EW उपकरणों का घरेलू उत्पादन अनिवार्य किया गया है. नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर पर विशेष बजट प्रावधान हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि भारतीय EW बाजार अगले 5 साल में 8–10% की दर से बढ़ सकता है.
सरकारी नीतियां और प्रोत्साहन
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP 2020) और पॉजिटिव इंडिजेनाइजेशन लिस्ट ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है. इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर के लिए PLI योजना और गुजरात और कर्नाटक में सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने की पहल इस इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है.
भारत तेजस फाइटर जेट डेवलप कर रहा है, जो मल्टीरोल जेट है. (पीटीआई)
इनोवेशन दिखा रहा नई राह
AI-पावर्ड कॉग्निटिव EW: स्वयं सीखने वाले एल्गोरिद्म नए खतरों से निपटने में सक्षम.
मिनीचुराइज्ड EW सिस्टम: ड्रोन आधारित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और एंटी-ड्रोन क्षमताएं.
स्पेस-बेस्ड EW: उपग्रहों के जरिए इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस जुटाने की पहल.
ऑपरेशन सिंदूर बना नजीर
भारत पहले ही दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका के देशों को EW इक्विपमेंट निर्यात कर रहा है. सरकार का लक्ष्य है कि साल 2025 तक डिफेंस एक्सपोर्ट ₹35,000 करोड़ तक पहुंचे, जिसमें EW एक बड़ा योगदान देगा. बता दें कि मॉडर्न टाइम में इलेकट्रॉनिक वॉरफेयर युद्ध की दशा और दिशा को बदल रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तानी रडार सिस्टम पर इलेक्ट्रॉनिकली अटैक कर उसे डिसएबल कर दिया था. इस दौरान इंडियन फाइटर जेट ने कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था.
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में बढ़त, युद्ध में बढ़त
एक्सपर्ट का मानना है कि EMS जमीन, जल और हवा जितना ही अहम है, जिस देश के पास इसका नियंत्रण होगा, वही युद्ध में बढ़त पाएगा. वहीं, बेंगलुरु स्थित एक डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के अधिकारी का कहना है कि हमारा फोकस AI और मशीन लर्निंग को EW सिस्टम में जोड़ने पर है, ताकि वे बदलते हालात में खुद को ढाल सकें. फ्यूचर में भारतीय EW का मेल साइबर-इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गतिविधियों, डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स और मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस के साथ होगा. 5G और उससे आगे की तकनीकें भी इसमें अहम भूमिका निभाएंगी. भारत के लिए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर केवल सैन्य आवश्यकता नहीं, बल्कि रणनीतिक प्राथमिकता है. यह न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए वैश्विक स्तर पर अवसर खोलेगा. आने वाले दशक में यही भारत के लिए सबसे बड़े B2B रक्षा उप-क्षेत्रों में से एक साबित हो सकता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
August 22, 2025, 06:19 IST