Indian Army Story: कहते हैं न कि बचपन में इंसान कच्चे मिट्टी की घड़े के जैसे होते हैं. उसे जिस भी आकार में ढाला जाए या ढलना चाहते हैं, उसी आकार पर ढल जाते हैं. ऐसी ही कहानी एक महिला की है, जो 8 साल की उम्र में ‘बॉर्डर’ फिल्म देखकर आर्मी ऑफिसर बनना चाहती थी. बचपन में उनका भी झुकाव और लड़कियों की तरह ही ब्यूटी कंपटीशन था लेकिन जल्द ही यह झुकाव आर्मी ऑफिसर बनने की ओर बढ़ गया. इसके बाद वह आर्मी ऑफिसर बनने के अपने सपने को साकार करने के लिए एयर-विंग NCC में शामिल हो गईं. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम मेजर प्राजक्ता देसाई (Major Prajakta Desai) है.
यहां से की ग्रेजुएशन की पढ़ाई
मेजर प्राजक्ता देसाई ने अपने कॉलेज के दौरान वर्ष 2007 से 2009 तक एयर-विंग NCC में शामिल हो गई थी. लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से केमेस्ट्री में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की हैं. उनकी मां भी अपने समय में NCC कैडेट थीं. उनकी ही प्रेरणा से ही उन्होंने भी NCC ज्वाइन की. वर्ष 2009 में उन्होंने सीडीएस परीक्षा दी. एसएसबी इंटरव्यू और मेडिकल प्रक्रिया के बाद उनकी रैंक 21 थी, लेकिन केवल 10 सीटें थीं. यह जानकर उनकी सारी उम्मीदें टूट गईं. हालांकि, किस्मत ने उन्हें एक और मौका दिया. जल्द ही सीटें बढ़कर 20 हो गईं, लेकिन फिर भी वह लिस्ट से बाहर थीं.
BPO में किया काम
इसी दौरान वह अपने परिवार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बीपीओ में काम करना शुरू कर दिया. लेकिन कुछ समय बाद सीटें और बढ़कर 23-24 तक पहुंच गईं. यह उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ था. दो हफ्ते बाद उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में प्रवेश लिया. चेन्नई स्थित ओटीए में ट्रेनिंग ने उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता को पूरी तरह बदल दिया. ट्रेनिंग के दौरान मानसिक सहनशक्ति अधिक महत्वपूर्ण होती है, और इसे समय के साथ विकसित किया जा सकता है. एक साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद पासिंग आउट परेड के लिए मेरे माता-पिता को बुलाया गया. यह पल उनके जीवन के सबसे गर्वित क्षणों में से एक था.
सेना में करियर की शुरुआत
वर्ष 2011 में कमीशन मिलने के बाद प्राजक्ता देसाई भारतीय सेना के एयर डिफेंस विभाग में एक साल तक सेवा की. इसके बाद उन्हें आर्मी एविएशन कॉर्प्स में स्थानांतरित किया गया, जहां उन्होंने नौ साल तक काम किया. वह एक प्रशिक्षित पर्वतारोही, स्काईडाइवर और हॉट एयर बैलून पायलट हैं. इसके अलावा वह माइक्रोलाइट और सेल प्लेन उड़ाने का भी व्यापक अनुभव हासिल किया है. उन्होंने अपने साथी आर्मी ऑफिसर के साथ वर्ष 2014 में शादी कर लीं.
बनीं पहली महिला ऑफिसर UAV ऑब्जर्वर पायलट
वर्ष 2019 में मेजर प्राजक्ता देसाई ने भारतीय सेना में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. वह पहली महिला अधिकारी बनी, जिसे मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) ऑब्जर्वर पायलट के रूप में नियुक्त किया गया. यह जिम्मेदारी न केवल उनके व्यक्तिगत गर्व का विषय था, बल्कि यह अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा बनी, जो पारंपरिक सीमाओं को तोड़कर नए क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
January 8, 2025, 18:05 IST