यहां होली पर गोबर चोरी करने की परंपरा थी... जानिए क्यों और कैसे बदली परंपरा

1 month ago

Last Updated:March 09, 2025, 15:12 IST

Cow dung theft tradition: पहले होली पर गांवों में गोबर चुराने की परंपरा थी, जिससे होली जलाने के लिए उपले जुटाए जाते थे. समय के साथ यह प्रथा खत्म हो गई, अब लोग गोबर खरीदते हैं.

यहां होली पर गोबर चोरी करने की परंपरा थी... जानिए क्यों और कैसे बदली परंपरा

गाय का गोबर चोरी करने की परंपरा

होली का नाम सुनते ही रंग, गुलाल और हंसी-ठिठोली की छवि उभरती है, लेकिन पुराने ज़माने में इस त्योहार का एक अनोखा रिवाज था—गोबर चुराना. बुजुर्ग बताते हैं कि जब होली का समय आता था, तो गांव के लड़कों में गोबर चुराने की होड़ मच जाती थी. इसे लेकर एक कहावत भी बनी—”होली माता गोबर चुरा ले गई.” उस दौर में होली जलाने के लिए लकड़ी के बजाय गाय के गोबर का इस्तेमाल होता था, और इसे जुटाने का सबसे आसान तरीका था चोरी!

कैसे होती थी गोबर चोरी की योजना?
होली से दो-तीन महीने पहले ही गांवों में गोबर चुराने की हलचल शुरू हो जाती थी. छोटे-बड़े सभी लड़के मिलकर चोरी की रणनीति बनाते. दोपहर में स्कूल से निकलते ही वे गोबर चुराने निकल पड़ते, और पकड़े जाने पर उनकी जमकर पिटाई भी होती. बावजूद इसके, वे हर साल अपनी होली को दूसरों से ज्यादा भव्य बनाने के लिए चोरी करते और गोबर इकट्ठा कर सजाते.

राजकोट में भी होती थी गोबर चोरी
राजकोट के रंजीतभाई मुंधवा बताते हैं कि इस परंपरा के पीछे एक दिलचस्प तर्क था. जब कोई लड़का गोबर चोरी करते हुए पकड़ा जाता, तो गोबर मालिक उसे सज़ा के तौर पर अपने मवेशियों की देखभाल के काम में लगा देता. यह परंपरा इस तरह बन गई कि गांव के बच्चे और युवा होली के बहाने गोबर चुराते, पकड़े जाते और इस दौरान वे पशुपालन का अनुभव भी ले लेते. रंजीतभाई बताते हैं, “हम भी जब 8-10 साल के थे, तो चोरी में शामिल होते थे. कई बार पकड़े गए और सज़ा भी मिली, लेकिन इसमें एक अलग ही रोमांच था.”

पहले मुफ्त में मिलता था गोबर, अब बेचना मजबूरी
भरतभाई कुंडिया का कहना है कि पहले गांवों में लोग अपने मवेशियों का गोबर मुफ्त में दे देते थे ताकि सभी की होली जल सके. लेकिन आज हालात बदल गए हैं. उन्होंने कहा, “चावल और चारे की बढ़ती कीमतों की वजह से अब हम गोबर मुफ्त में नहीं बांट सकते. अब इसे बेचकर जो पैसा मिलता है, उससे लड़कों की जरूरतें पूरी की जाती हैं. पहले चोरी होती थी, अब खरीदारी होती है.”

गोबर चोरी का चलन क्यों हुआ कम?
समय के साथ गोबर चुराने की यह परंपरा धीरे-धीरे कम होती गई. अब मवेशी पालक अपने गोबर को संजोकर रखते हैं क्योंकि इसकी कीमत बढ़ गई है. अब अगर कोई चोरी करता है, तो उसे परिवार को सूचित कर दिया जाता है या फिर मवेशियों की देखभाल के बदले सज़ा दी जाती है.

First Published :

March 09, 2025, 15:12 IST

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