यूरोप का जीता भरोसा, दोगुना हुआ निर्यात...कैसे हथियारों की दुनिया का 'शहंशाह' बना भारत का 'यार'?

2 hours ago

Israel defense industries: एक वक्त था जब हथियारों के लिए इजरायल, यूरोपीय देशों पर निर्भर था. लेकिन आज वही यूरोप, इजरायली हथियारों का सबसे बड़ा बाजार बन गया है. इजरायल सिर्फ यूरोप ही नहीं बल्कि इंडो पैसेफिक से लेकर उन अरब देशों को भी हथियार बेच रहा है जो कभी इजरायल के जानी दुश्मन माने जाते थे.

साल 2024 में यूरोप के हथियार आयात में 54 प्रतिशत हिस्सा इजरायल से सप्लाई किया गया है. साल 2023 में ये आंकड़ा सिर्फ 35 प्रतिशत था और साल 2022 में यूरोप के सिर्फ 29 प्रतिशत हथियार इजरायल से आ रहे थे. यानी तीन सालों में यूरोप को इजरायली हथियारों का निर्यात तकरीबन दोगुना हो गया है.

इन आंकड़ों के साथ एक और नोट करने वाली बात ये है कि इजरायल किसी एक किस्म के वेपन सिस्टम या हथियार का एक्सपोर्ट नहीं कर रहा है. बल्कि एयर डिफेंस से लेकर ड्रोन जैसे हथियार यूरोपीय देश खरीद रहे हैं. वो कौन से इजरायली हथियार हैं. जिनकी यूरोप में भारी डिमांड है. अब हम आपको इसकी जानकारी भी देते हैं.

#DNAWithRahulSinha : रूस से खतरा.. यूरोप को इजरायल बचाएगा!

हथियारों की दुनिया का 'शहंशाह' बना इजरायल, इधर इजरायली हथियार.. उधर इजरायली विचार#DNA #Russia #Israel #WorldNews | @RahulSinhaTV pic.twitter.com/DfYKwxZy59

— Zee News (@ZeeNews) June 7, 2025

किस देश ने क्या खरीदा?

जर्मनी ने इजरायल के साथ ARROW मिसाइल की डील की है. तो स्पेन ने इजरायल से टॉरपीडो और मिसाइल खरीदी हैं. नीदरलैंड्स और इजरायल के बीच ऑटोमैटिक मशीनगन की डील हुई है. आयरलैंड को इजरायल से कॉम्बेट और जासूसी ड्रोन मिले हैं. साइप्रस और इजरायल के बीच मर्कावा टैंक्स की डील पर बातचीत चल रही है. 

इजरायल के हथियार निर्यात का 54 प्रतिशत हिस्सा यूरोप जाता है. दूसरे नंबर है इंडो पैसेफिक क्षेत्र के देश जिन्हें इजरायल अपने हथियारों का 23 प्रतिशत सप्लाई करता है. अब्राहम समझौते के बाद अरब देशों और इजरायल के बीच संबंध बेहतर हुए. जिसकी वजह से अरब देशों को आज इजरायल 12 प्रतिशत हथियार सप्लाई करता है.

उत्तरी अमेरिका में कनाडा, हैती जैसे देशों को इजरायल के हथियार निर्यात का 9 प्रतिशत हिस्सा जाता है. इजरायली हथियारों का 1 प्रतिशत निर्यात लैटिन अमेरिकी देशों को होता है और इतना ही अफ्रीकी देशों को भी सप्लाई किया जाता है.

इजरायल के विचारों का प्रचार-प्रसार

यूरोप के कुछ बड़े नेता महत्वपूर्ण मंचों से बार-बार एक ही बात कर रहे हैं. गाजा में जो युद्ध इजरायल लड़ रहा है. वो सिर्फ इजरायल का युद्ध नहीं है. बल्कि ये पूरे यूरोप को बचाने की भी लड़ाई है. 

अब सवाल यह है कि ये नेता इजरायल के युद्ध को यूरोप को बचाने की लड़ाई क्यों कह रहे हैं? इसका जवाब है गाजा युद्ध के दौरान यूरोप में हमास की आतंकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार. हमास का समर्थन करने वाले तत्वों ने संगठित तौर पर यूरोप के कई देशों में ऐसे प्रदर्शन कराए हैं. जिनका मकसद आतंक के खिलाफ इजरायल के युद्ध को अत्याचार और नरसंहार बताना है. इन प्रदर्शनों में कथित लिबरल लॉबी और बुद्धीजीवी भी शामिल हैं.

यानी आतंकी सोच का वायरस से यूरोप को संक्रमित करने की साजिश रची गई थी. लेकिन यूरोप अब समझ चुका है. अगर सामरिक सुरक्षा के लिए इजरायल के हथियार जरूरी हैं. तो आतंक से बचाव के लिए इजरायल जैसे विचार और व्यवहार भी जरूरी हैं.

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