Last Updated:August 16, 2025, 13:28 IST
India vs Pakistan Defence Power: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान इस कदर भयभीत है कि कर्ज के बोझ तले दबे होने के बाद भी रोटी के बजाय रॉकेट में पैसे झोंक रहा है. पड़ोसी देश भारत से मुकाबला करने की चाहत रखता है.

India vs Pakistan Defence Power: पहलगाम अटैक के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर पाकिस्तान और वहां मौजूद आतंकी ठिकानों को धुआं-धुआं कर दिया. ब्रह्मोस के प्रचंड प्रहार से प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और उनके कमांडर फील्ड मार्शल आसिम मुनीर इस कदर दहल गए कि ताबड़तोड़ सीजफायर के लिए गुहार लगाने लगे. भारत अपनी शर्तों पर युद्धविराम के लिए सहमत हुआ. ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान इस कदर डरा सहमा हुआ कि अब वह डिफेंस सेक्टर में भारत की बराबरी करने की कोशिश में जुटा है. इसके लिए पाकिस्तान सरकार ने रॉकेट फोर्स गठित करने का ऐलान किया है. इसके ढांचे और तौर-तरीकों को अभी तक सार्वजनिक हीं किया गया है, पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि कर्ज के दम पर चल रहे इस्लामाबाद अपने लोगों को रोटी मुहैया नहीं करा पा रहा है तो रॉकेट फोर्स के लिए हजारों करोड़ रुपये कहां से लाएगा. बता दें कि भारत की इकोनॉमी पाकिस्तान से तकरीबन 10 गुना ज्यादा बड़ी है. भारत के आर्मरी में राफेल से लेकर Su-30MKI, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, अग्नि-5 ICBM के साथ ही हाइपरसोनिक मिसाइल्स हैं, जहां तक पहुंचना पाकिस्तान के लिए फिलहाल संभव नहीं है.
दरअसल, इस्लामाबाद ने हाल ही में अपनी रॉकेट फोर्स बनाने की घोषणा की है, जिसने दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन को लेकर नई बहस छेड़ दी है. विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान का यह कदम पारंपरिक एयर पावर में गिरावट और भारत के मुकाबले जेट विमानों की संख्या घटने के बाद अपनी सैन्य क्षमता को संतुलित करने की कोशिश है. भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में लगभग 600 से अधिक लड़ाकू जेट हैं, जबकि पाकिस्तान एयरफोर्स के पास लगभग 350 जेट हैं. हालांकि, भारत के पास इसके बावजूद फुल स्क्वाड्रन फाइटर जेट नहीं है. भारत ने हाल के वर्षों में राफेल जैसे आधुनिक जेट्स शामिल कर बढ़त बनाई है, वहीं पाकिस्तान चीन से मिले JF-17 और पुराने F-16 पर अधिक निर्भर है. ऐसे में रॉकेट फोर्स को पाकिस्तान अपनी क्विक-रिस्पॉन्स स्ट्राइक कैपेबिलिटी के तौर पर देख रहा है.
भारत को क्या खतरा?
मिलिट्री एक्सपर्ट का मानना है कि पाकिस्तान का रॉकेट फोर्स भारत के लिए सीधे तौर पर नया खतरा नहीं है, लेकिन यह टैक्टिकल मिसाइलों और शॉर्ट-रेंज स्ट्राइक के जरिये दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है. चीन से पाकिस्तान की नजदीकी और उसकी रक्षा तकनीक पर निर्भरता भी भारत की चिंता बढ़ा सकती है.
क्या अमेरिका देगा टेक्नोलॉजी?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका पाकिस्तान को रॉकेट फोर्स प्रोजेक्ट में किसी तरह की तकनीकी मदद देगा? हाल के सालों में वाशिंगटन ने पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग सीमित किया है और उसकी प्राथमिकता भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी पर अधिक रही है. हालांकि, कुछ विश्लेषक मानते हैं कि चीन पहले से पाकिस्तान को मिसाइल और रॉकेट सिस्टम में मदद दे रहा है और भविष्य में अमेरिकी अप्रत्यक्ष सहयोग भी नकारा नहीं जा सकता.
क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर
विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान की यह पहल भारत के लिए तत्काल खतरे से ज्यादा मनोवैज्ञानिक दबाव और रणनीतिक संकेत है. भारत पहले से ही ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल और बैलिस्टिक रॉकेट क्षमता रखता है, ऐसे में पाकिस्तान की नई रॉकेट फोर्स ज्यादा एक कैच-अप गेम लगती है, न कि क्षेत्रीय ताकत का संतुलन बदलने वाली पहल.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 16, 2025, 13:22 IST