Murshidabad Violence LIVE: मुर्शिदाबाद में धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. वहां रहने वाले सभी लोग शांति की कामना कर रहे हैं. मगर वो काली रातें और खौफनाक दिन उनके जेहन से नहीं हट रहा है. मगर ये हिंसा कैसे भड़की, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसका पता चलना जरूरी है. कोर्ट में सवालों और जवाबों को दौर दिल दहलाने वाला था.
वहीं, राज्य सरकार और केंद्रीय बल आज इसके संबंध में अपनी-अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करेंगे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाने की मांग किए जाने की उम्मीद है. आज शाम छह बजे बंगाल के गवर्नर मुर्शिदाबाद हिंसा के विक्टिम के साथ मुलाकात करेंगे। उधर, ममता बनर्जी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य में पावर की मांग बढ़ गयी है, डेउचा पाचांमी में पावर प्लांट तैयार हो जायेगा तो 100 साल तक कोई दिक्कत नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट के एसएससी पर सुनवायी पर ममता बनर्जी ने कहा कि फिलहाल राहत मिली है, हम लोग सोच रहे थे कि कैसे उन्हें सैलरी दें, इस साल में ही सब समाधान हो जायेगा. मैं एलीट क्लास से नहीं हूं, हिन्दी, अंग्रेज़ी बहुत अच्छी नहीं है मेरी.
कोलकाता हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?-
– राज्य सरकार के वकील कल्याण बंद्योपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि मुर्शिदाबाद के कुछ हिस्सों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है. कुछ सोशल मीडिया पोस्ट ब्लॉक कर दिए गए हैं. हिंदू राष्ट्र और हिंदुत्व का प्रचार किया जा रहा है. झूठी अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए कई सोशल मीडिया पोस्ट बंद कर दिए गए हैं. भाजपा के मुखपत्र हिंदुत्व की बात पोस्ट कर रहे हैं.
– जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसुचौधरी ने कहा कि अदालत के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केंद्रीय बल राज्य प्रशासन के सहायक के रूप में काम करेंगे. ऐसा कोई आदेश नहीं है कि सेनाएं राज्य के नियंत्रण में काम करेंगी.
– केंद्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुर्शिदाबाद और अन्य जिलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती जारी रहनी चाहिए. अर्धसैनिक बल स्वतंत्र रूप से कार्य करने में असमर्थ हैं. यह बल हाईकोर्ट के आदेश के तहत राज्य के अंडर में काम कर रहा है. अर्धसैनिक बल राज्य की अनुमति के बिना आगे नहीं बढ़ सकते. अदालत को आदेश की व्याख्या करनी चाहिए. सेना क्या करेगी?
– केंद्र सरकार ने कोर्ट से एनआईए जांच के बारे में बात की. उनके ओर से पेश वकील ने कहा कि अगर कोर्ट आदेश देता है, तो हमारे पास शक्तियां हैं. वहीं, मुर्शिदाबाद में स्थिति बहुत संवेदनशील बनी हुई है. केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात की गई हैं.
– प्रियंका ने कोर्ट में ममता बनर्जी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सीएम के पास दंगा में बाहरी लोगों के बारे में सवाल हैं, लेकिन वे बाड़ लगाने के लिए जमीन नहीं दे पा रही हैं. जब तक बाड़ नहीं लगाई जाती, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी. सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सीमा पर बाड़ लगाने की जरूरत है. वहीं, एक दूसरे याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि सार्वजनिक संपत्ति का व्यापक विनाश हुआ है. पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई है.
– वकील प्रियंका टिबरेवाल ने हिंसा पीड़ितों की दिल दहलाने वाली कहानी कोर्ट को सुनाई. उन्होंने कहा कि ‘फोन पर महिलाओं ने मुझे बताया कि दंगाईयों ने तुलसी की माला तोड़ दी. महिलाओं ने कहा कि अगर आप हमारा बलात्कार करना चाहते हैं तो कर लें मगर हमारे पति और बच्चों को छोड़ दें. महिलाओं ने मुझे बताया कि उनके गले में हंसिया रख दिया था. जब बांग्लादेश की मुक्ति हुई थी, तब मैं पैदा भी नहीं हुई थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम भारत में ऐसा कुछ देखेंगे. आग को हवा देने के बजाय, उन्हें मामले को शांत करना चाहिए.
– प्रियंका टिबरेवाल ने एनआईए की जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि मेरी याचिका भावनात्मक आधार पर है. इसकी एनआईए जांच होनी चाहिए.
– जज सौमेन सेन ने पूछा– वे (दंगा पीड़ित) अब मुर्शिदाबाद में नहीं रह रहे हैं?. सरकार की दलील दे रहीं वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कहा- नहीं सर, वे मालदा में रह रहे हैं. जब तक पुनर्वास नहीं हो जाता, वे वापस नहीं जा सकते है. सब कुछ जल गया. एनएचआरसी की टीम को वहां जाना चाहती है. हमें पता है कि वे उस इलाके का दौरा करना चाहते हैं.
कोलकता हाईकोर्ट में मुर्शिदाबाद हिंसा पर सुनवाई हो रही है. न्यायमूर्ति सौमेन सेन और राजा चौधरी की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. वहीं, कोर्ट में शुभेंदु अधिकारी के वकील अपना पक्ष रख रहे हैं-
बीएसएफ साउथ बंगाल फ्रंटियर के डीआईजी द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार, कई राजनीतिक दलों पर समन्वित और हिंसक तरीके से हमला किया गया. इन हमलों ने जमीन पर अत्यधिक तनावपूर्ण और अस्थिर स्थिति पैदा कर दी.
यह एक ऐसा मामला है जो क्षेत्र में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को दर्शाता है. हमने सबूत के तौर पर मीडिया कवरेज से तस्वीरें संलग्न की हैं. इसके अलावा, साइट से बम के टुकड़े बरामद किए गए हैं. वीडियो रिकॉर्डिंग में स्पष्ट रूप से पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में बमबारी और हिंसा की घटनाएं दिखाई दे रही हैं.
घटना की गंभीरता को देखते हुए, हमारा मानना है कि इस मामले की राष्ट्रीय जांच को एनआईए को सौंप देनी चाहिए. इसके अलावा, विस्फोटकों के इस्तेमाल और हमले की संगठित प्रकृति के कारण इस मामले में विस्फोटक अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) लागू हैं.
राज्य भर में समय-समय पर, एक समूह के लोगों पर हमला होता है. उनका डिजाइन एक ही रहता है. यह एक जिले से दूसरे जिले में हो रहा है. मालदा में भी ऐसी ही घटना हुई…स्थिति बिगड़ गई… अब यह मुर्शिदाबाद तक फैल गई. अब सत्ताधारी पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा है कि लोग बांग्लादेश से आए हैं.
इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि बीएसएफ ने हाल की झड़पों के दौरान पत्थरबाजी करने के लिए लोगों को काम पर रखा था. उनके जवाब में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने बनर्जी की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को “राष्ट्र-विरोधी” करार दिया.
भाजपा नेता राहत शिविर के लोगों से मिले
इसी तरह, हिंसा राहत शिविर के 12 लोगों ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार से मुलाकात की. मजूमदार उनके साथ पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के कार्यालय गए. वहां उन्होंने तब तक धरना दिया जब तक उन्हें डीजीपी से मिलने की अनुमति नहीं मिल गई. अधिकारी के साथ बैठक हुई. मगर, मजूमदार ने कहा कि परिणाम असंतोषजनक था.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील शशांक शेखर झा ने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर जनहित याचिका दायर की है. दायर जनहित याचिका में मुर्शिदाबाद हिंसा की की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी के गठन की मांग की गई है. इसके अलावे याचिका में राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति में विफलता के लिए पश्चिम बंगाल सरकार से स्पष्टीकरण मांगने की मांग भी की गई है. याचिका में कहा गया है कि प्रशासन के कमजोर रवैये के चलते हिंसा हुई है. सुप्रीम कोर्ट इस पर जल्द ही सुनवाई कर सकता है.