Last Updated:October 18, 2025, 22:29 IST

लेह. ‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) ने पिछले महीने यहां हुई हिंसक झड़पों की न्यायिक जांच कराने के केंद्र के फैसले का शनिवार को स्वागत किया और जांच के लिए गठित आयोग में लद्दाख से एक प्रतिनिधि को शामिल करने की मांग की. समूह ने दिन में मौन मार्च को विफल करने के लिए उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन की आलोचना की और कहा, “ऐसी कार्रवाइयां कभी भी फलदायी साबित नहीं हो सकतीं या हमें केंद्र के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए राजी नहीं कर सकतीं.”
केंद्र ने शुक्रवार को लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की घोषणा की थी और यह लद्दाख के प्रदर्शनकारी समूहों की एक प्रमुख मांग को पूरा करने की दिशा में कदम था. लेह में हुई इस झड़प में 1999 के कारगिल युद्ध में हिस्सा लेने वाले एक अनुभवी सैनिक सहित चार लोगों की जान चली गई थी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी. एस. चौहान की अध्यक्षता में जांच आयोग को कानून व्यवस्था के हालात बिगड़ने, पुलिस कार्रवाई और इसके परिणामस्वरूप चार लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की पड़ताल करनी है. सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहन सिंह परिहार न्यायिक सचिव के रूप में कार्य करेंगे, जबकि आईएएस अधिकारी तुषार आनंद जांच आयोग के प्रशासनिक सचिव होंगे.
एलएबी के सह-अध्यक्ष और लद्दाख बौद्ध संघ के प्रमुख चेरिंग दोरजे लकरुक ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हम न्यायिक जांच के लिए गृह मंत्रालय की अधिसूचना का स्वागत करते हैं. लेकिन हमें प्राथमिकी संख्या 144 का संदर्भ जैसी कुछ कमियां नजर आईं. ऐसा लग रहा है कि जांच हमारे जवानों के ख़िलाफ़ है और दूसरी बात तीनों में से कोई भी लद्दाख का नहीं है.”
लकरुक ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह जांच पूरी तरह पारदर्शी हो और इसमें कुछ भी छिपाने की कोशिश न की जाए. हम चाहते हैं कि लद्दाख से भी किसी को इस आयोग का हिस्सा बनाया जाए.” उन्होंने कहा कि मौन मार्च को विफल करने के लिए लोगों पर लगाए गए प्रतिबंध ‘हम सभी के लिए बहुत दुखद बात है’ और ‘हम ऐसे उपायों को अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी मानते हैं.’
इस बीच, शाम छह बजे से लद्दाख में ब्लैकआउट देखा गया और अधिकतर निवासियों ने एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) द्वारा शनिवार शाम अपने विरोध कार्यक्रम के तहत दिए गए आह्वान के जवाब में अपने घरों की लाइटें बंद कर दीं.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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First Published :
October 18, 2025, 22:29 IST