लालू के बर्थडे पर क्यों पटना में थे भागवत... इस दौरे से किसको लगी मिर्ची?

1 day ago

Last Updated:June 11, 2025, 17:44 IST

Mohan Bhagwat Bihar Visit News: मोहन भागवत का बिहार दौरा लालू यादव के जन्मदिन पर हुआ, जिससे सियासी हलचल बढ़ गई है. 2025 विधानसभा चुनाव से पहले RSS चीफ का यह दौरा BJP और एनडीए के लिए कितना महत्वपूर्ण साबित होगा?

लालू के बर्थडे पर क्यों पटना में थे भागवत... इस दौरे से किसको लगी मिर्ची?

लालू यादव के जन्मदिन पर आरएसएस चीफ बिहार क्या करने आए थे?

हाइलाइट्स

मोहन भागवत का बिहार दौरा लालू के जन्मदिन पर क्यों हुआ?क्या भागवत का यह दौरा BJP के लिए चुनावी जमीन तैयार करने का हिस्सा?राजद खेमा मोहन भागवत के इस दौरे से असहज क्यों है?

पटना. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत का दो दिन का बिहार दौरा बुधवार को समाप्त हो गया. बुधवार को ही आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का बर्थडे भी था. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के 78वां जन्मदिन और आरएसएस चीफ का दौरे के साथ मेल खाने के कारण सियासी हलचल का केंद्र बन गया. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू होने के बीच भागवत का यह दो दिवसीय दौरा, जो पटना के केशव सरस्वती विद्या मंदिर में कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग के निरीक्षण और संबोधन से जुड़ा है, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सहयोगियों के लिए रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है. इस दौरे ने राजद खेमे में खलबली मचा दी है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह RSS-BJP की संयुक्त रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद बिहार की सियासत में हिंदुत्व की धमक बढ़ाना है.

भागवत का यह दौरा 2025 में उनका दूसरा बिहार प्रवास है. इससे पहले मार्च में वे मुजफ्फरपुर और सुपौल में पांच दिन के दौरे पर थे, जहां उन्होंने संगठनात्मक बैठकों और सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था. इस बार पटना में उनका आगमन लालू के जन्मदिन के मौके पर हुआ, जिसे राजद समर्थक एक सुनियोजित कदम के रूप में देख रहे हैं. लालू, जो सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों की राजनीति के ध्वजवाहक रहे हैं, ने अतीत में RSS और भागवत के बयानों को लेकर तीखी आलोचना की है. खासकर 2015 के विधानसभा चुनाव में भागवत के आरक्षण पर बयान को लालू ने ‘बैकवर्ड बनाम फॉरवर्ड’ की लड़ाई में बदलकर महागठबंधन की शानदार जीत हासिल की थी.

लालू का बर्थडे और बिहार में भागवत
खास बात यह है कि यह दौरा लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन पर हुआ, जो बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक हस्ती में से एक हैं. चुनावी साल में इस दौरे को लेकर विपक्षी दलों में खासा हड़कंप मचा है, जबकि एनडीए गठबंधन और बीजेपी इसे एक मजबूत राजनीतिक संदेश के रूप में देख रहे हैं. मोहन भागवत का यह दौरा सिर्फ धार्मिक या सामाजिक आयोजन नहीं बल्कि साफ तौर पर राजनीतिक रणनीति की एक कड़ी है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले RSS का यह कदम बिहार की जमीनी राजनीति में अपनी पकड़ और प्रभाव बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है. बिहार में आरएसएस की साख और संगठनात्मक ताकत वर्षों से मजबूत होती जा रही है, और अब मोहन भागवत की मौजूदगी ने इसे और भी मजबूती दी है.

क्या बीजेपी के लिए हो गया जमीन तैयार?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भागवत का यह दौरा BJP के लिए चुनावी जमीन तैयार करने का हिस्सा है. RSS का जमीनी नेटवर्क, जो स्वयंसेवकों के छोटे-छोटे समूहों के जरिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में सक्रिय है, BJP के लिए मतदाताओं को लामबंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हाल ही में PM नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा के बिहार दौरे भी इस रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं. RSS की यह सक्रियता बिहार में NDA को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है, खासकर तब जब JDU और BJP के बीच गठबंधन में छोटे-मोटे मतभेद सामने आ रहे हैं.

राजद खेमा इस दौरे से असहज है. सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि RSS और BJP लालू के प्रभाव को कम करने के लिए बार-बार बिहार में सक्रिय हो रहे हैं. राजद नेताओं का कहना है कि यह दौरा हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश है, जो बिहार की सामाजिक न्याय की राजनीति के खिलाफ है. तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक बयान में कहा, ‘हमारी लड़ाई विचारधारा की है, और हम बिहार की जनता के हक के लिए लड़ते रहेंगे.’ हालांकि, RSS ने दावा किया है कि भागवत का दौरा विशुद्ध रूप से संगठनात्मक है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. इस दौरे से बिहार की सियासत में एक बार फिर “हिंदुत्व बनाम सामाजिक न्याय” की बहस छिड़ने की संभावना है. ऐसे में लालू के जन्मदिन पर आरएसएस चीफ यह दौरा राजद के लिए ‘मिर्ची’ का काम कर रहा है.

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