विदेश भेजने के नाम पर लाखों की ठगी, VFS Global के नाम पर चलता था फर्जी रैकेट

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Last Updated:September 17, 2025, 16:53 IST

Fake Visa Racket: दिल्ली पुलिस ने वीएफएस ग्‍लोबल के नाम पर चल रहे फर्जी वीजा रैकेट का पर्दाफाश कर दीपक पांडे, यश सिंह और वसीम अकरम को गिरफ्तार किया, लाखों रुपये की ठगी उजागर हुई.

विदेश भेजने के नाम पर लाखों की ठगी, VFS Global के नाम पर चलता था फर्जी रैकेट

Fake Visa Racket: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की सेंट्रल रेंज ने एक बड़े फर्जी वीजा रैकेट का पर्दाफाश कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. तीनों आरोपियों की पहचान दीपक पांडे (33), यश सिंह (23) और वसीम अकरम (25) के तौर पर हुई है. ये लोग खुद को VFS Global के कर्मचारी और वीजा कंसल्टेंट्स के तौर पर पेश करते थे और विदेश में नौकरी की चाहत रखने वाले लोगों से ठगी कर लाखों रुपये ऐंठ रहे थे. पुलिस ने इनके पास से जालसाजी में इस्तेमाल होने वाले डिवाइसेज, मोबाइल फोन्स, लैपटॉप्स और बैंक अकाउंट्स जब्त किए हैं.

क्राइम ब्रांच के डीसीपी विक्रम सिंह के अनुसार, वीजा, पासपोर्ट और कॉन्सुलर सर्विसेज के लिए जानी-मानी कंपनी वीएफएस ग्‍लोबल के कंसल्टेंट आनंद सिंह ने क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बताया गया था कि कुछ लोग वीएफएस ग्‍लोबल के नाम का गलत इस्तेमाल कर लोगों से ठग रहे हैं. ये लोग नकली वीजा और जॉब प्रोसेसिंग के नाम पर विदेश जाने की चाह रखने वालों से पैसे वसूल रहे थे. शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की, जिसमें धारा 318(4), 319(2), और 61 BNS एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ.

तीन स्‍टेप में ठगी को देते थे अंजाम
पुलिस जांच में पता चला कि यह गैंग बेहद स्मार्ट तरीके से काम करता था. इनका तरीका इतना प्रोफेशनल था कि आम लोग आसानी से उनके जाल में फंस जाते थे. इनका मॉडस ऑपरेंडी कुछ इस तरह था:

पहला स्‍टेप- कॉन्टैक्ट और भरोसा बनाना: गैंग व्हाट्सएप के जरिए पीड़ितों से संपर्क करता था. वे एक USA-बेस्ड व्हाट्सएप नंबर का इस्तेमाल करते थे ताकि उनकी बातचीत इंटरनेशनल और भरोसेमंद लगे. पीड़ितों को एक डॉक्यूमेंट चेकलिस्ट भेजी जाती थी, जो बिल्कुल असली लगती थी. इसके बाद मेडिकल टेस्ट के नाम पर फीस मांगी जाती थी. गैंग असली डायग्नोस्टिक लैब्स में अपॉइंटमेंट बुक करवाता था ताकि पीड़ितों को लगे कि सब कुछ वैध है. दूसरा स्‍टेप- फर्जी वीजा और जॉब ऑफर: पीड़ितों से उनके मनचाहे वीजा की डिटेल्स मांगी जाती थीं. इसके बाद, गैंग फर्जी वर्क वीजा एप्लिकेशन, जॉब ऑफर लेटर और एम्प्लॉयमेंट कन्फर्मेशन लेटर भेजता था. इन डॉक्यूमेंट्स के लिए भारी-भरकम फीस वसूली जाती थी. अंतिम चरण- वैरिफकेशन का जाल और फिर वसूली: गैंग फर्जी आईसीए (Immigration and Checkpoints Authority) लेटर्स, फॉर्म 16 और पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (PCC) जैसे डॉक्यूमेंट्स भेजता था. ये सब इतने प्रोफेशनल तरीके से बनाए जाते थे कि पीड़ितों का भरोसा और मजबूत हो जाता था. इसके बाद और पैसे वसूल किए जाते थे.

कुछ इस तरह पकड़ा गया यह रैकेट
क्राइम ब्रांच की सेंट्रल रेंज ने साइबर फॉरेंसिक एनालिसिस के जरिए इस रैकेट का पर्दाफाश किया. जांच में कई अहम खुलासे हुए:

फर्जी ऑनलाइन प्रोफाइल्स: गैंग ने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी प्रोफाइल्स बनाए थे, जिनमें वीएफएस ग्‍लोबल का लोगो गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया था. ये प्रोफाइल्स वीजा प्रोसेसिंग, मेडिकल अपॉइंटमेंट्स, और कॉन्सुलर सर्विसेज का दावा करते थे. वेबसाइट और डोमेन: गैंग ने 2021 में paramountoversease.co.in नाम का डोमेन खरीदा था, जिसे दिल्ली के नेहरू प्लेस और जनकपुरी से जोड़ा गया था. इस वेबसाइट को असली दिखाने के लिए वीएफएस ग्‍लोबल के लोगो और टेम्पलेट्स का इस्तेमाल किया गया. कम्युनिकेशन का तरीका: गैंग USA-बेस्ड व्हाट्सएप नंबर और फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल करता था. इनके टेम्पलेट्स और डॉक्यूमेंट्स इतने प्रोफेशनल थे कि कोई भी आसानी से धोखा खा सकता था. रुपयों की उगाही: गैंग ने कंसल्टिंग चार्जेज, वीजा फीस, मेडिकल टेस्टिंग और अपॉइंटमेंट बुकिंग के नाम पर लाखों रुपये वसूले. पीड़ितों को लगता था कि वे वीएफएस ग्‍लोबल की असली सर्विस से डील कर रहे हैं.

आखिरकार पुलिस के हत्‍थे चढ़े आरोपी
इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे की अगुवाई में क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले की गहन जांच शुरू की. डीसीपी विक्रम सिंह और एसीपी राजबीर मलिक के मार्गदर्शन में टीम ने कई ईमेल आईडी, फर्जी सिम कार्ड्स, आईपी एड्रेस, और बैंक अकाउंट्स की जांच की. इस जांच के आधार पर गैंग के ऑफिस का पता लगाया गया, जो दिल्ली के जामरुदपुर में था. 9 सितंबर 2025 को छापेमारी के दौरान मास्टरमाइंड दीपक पांडे और उनके साथी यश सिंह और वसीम अकरम को गिरफ्तार किया गया. छापेमारी में फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, मोबाइल फोन्स, लैपटॉप्स, और बैंक अकाउंट्स जब्त किए गए.

रैकेट में किस आरोपी की क्‍या थी भूमिका

दीपक पांडे: आरोपी दीपक इस रैकेट का मास्टरमाइंड था. दीपक ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने, व्हाट्सएप के जरिए पीड़ितों से बात करने और फीस वसूलने का काम किया. उसने कबूल किया कि यह पूरा स्कैम वीएफएस ग्‍लोबल के नाम पर चलाया जा रहा था. यश सिंह: फर्जी डॉक्यूमेंट्स जैसे वर्क वीजा एप्लिकेशन, जॉब ऑफर लेटर और आईसीए लेटर्स तैयार करने में शामिल था. वेबसाइट और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मैनेज करने में भी उसकी भूमिका थी. वसीम अकरम: फॉर्म 16, PCC एप्लिकेशन फॉर्म्स, और अन्य फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाने में माहिर था. फर्जी ईमेल्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए कम्युनिकेशन को मैनेज करता था.

इन पीड़ितों के साथ हुई थी ठगी
जांच में पता चला कि अतुल कुमार टाकले, अजमीरा वेंकटेश, निरंजन, और ईश्वरिया जैसे कई पीड़ितों से इस गैंग ने 3.16 लाख रुपये ठगे. ये लोग अलग-अलग देशों के लिए वीजा सर्विसेज के नाम पर ठगे गए. बैंक रिकॉर्ड्स से पता चला कि इस गैंग ने कई और लोगों से भी पैसे वसूले. पुलिस अब इस रैकेट में शामिल अन्य संभावित आरोपियों और पैसे के लेन-देन की जांच कर रही है. डीसीपी विक्रम सिंह ने बताया कि यह एक संगठित अपराध था, जिसमें तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों को ठगा गया. वीएफएस ग्‍लोबल की ब्रांड वैल्यू का गलत फायदा उठाकर इस गैंग ने कई लोगों का भरोसा तोड़ा.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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First Published :

September 17, 2025, 16:53 IST

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