Last Updated:June 01, 2025, 14:49 IST
Muhammad Yunus News: बांग्लादेश में जबसे लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बेदखल होने के बाद कट्टरपंथियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस भारत से दुश...और पढ़ें

मोहम्मद यूनुस की प्रयासों के चलते अब कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी का चुनावी स्टेटस बहाल होने जा रहा है. (फोटो: एपी)
हाइलाइट्स
मोहम्मद यूनुस बंग्लादेश को कट्टरपंथ की खाई में धकेलने पर आमदाभारत विरोधी पार्टी जमात-ए-इस्लामी का चुनावी स्टेटस जल्द होगा बहालयूनुस सरकार के बाद अब बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसलाढाका. बांग्लादेश में जबसे मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की कमान संभाली है, पड़ोसी देश हर दिन गर्त की ओर एक कदम बढ़ा रहा है. यूनुस ने तकरीबन 8 महीने पहले जो साजिश रची थी, अब बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने उसे अंजाम तक पहुंचा दिया है. शीर्ष अदालत ने रविवार 1 जून 2025 को भारत विरोधी कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी का चुनावी स्टेटस बहाल करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश के चुनाव आयोग को जमात-ए-इस्लामी का रजिस्ट्रेशन बहाल करने को कहा है. ऐसे में बांग्लादेश में भारत के दुश्मन नंबर-एक जमात-ए-इस्लामी का मुख्य धारा की राजनीति में आने का रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि मोहम्मद यूनुस पर बांग्लादेश में चुनाव करने का दबाव लगातार बढ़ रहा था. अब उन्होंने पर्दे के पीछे से सत्ता हथियाने का नया तरीका इजाद कर लिया है. जमात-ए-इस्लामी के रजिस्ट्रेशन को बहाल करना इस दिशा में बड़ा कदम है.
बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ उस समय आया जब रविवार को सुप्रीम कोर्ट जमात-ए-इस्लामी के रजिस्ट्रेशन को बहाल करने का निर्देश चुनाव आयोग को दिया. इस फैसले ने देश की राजनीति में जमात की वापसी का रास्ता साफ कर दिया है, जो पिछले एक दशक से प्रतिबंधित थी. चीफ जस्टिस सैयद रफात अहमद के नेतृत्व में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमात पारंपरिक चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ सकती है या नहीं, इसका निर्णय चुनाव आयोग को करना होगा. जमात का पंजीकरण साल 2013 में रद्द किया गया था, जब हाईकोर्ट ने इसे चुनाव के लिए अयोग्य करार दिया था. इसके बाद 2018 में चुनाव आयोग ने पार्टी का रजिस्ट्रेशन औपचारिक रूप से खत्म कर दिया गया था, लेकिन साल 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अंतरिम सरकार ने जमात पर लगे प्रतिबंध हटा दिए थे. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 5 अगस्त 2024 को छात्रों के संगठन ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ (SAD) द्वारा चलाए गए उग्र जनआंदोलन के बाद सत्ता गंवाई. जमात और कुछ अन्य दलों ने SAD का समर्थन किया था.
यूनुस सरकार ने जताई खुशी
जमात के वरिष्ठ वकील मोहम्मद शिशिर मनीर ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘आज (1 जून 2025) एक दशक पुराने कानूनी संघर्ष का अंत हुआ. हमें उम्मीद है कि यह फैसला देश में जीवंत संसद लाने में मदद करेगा और लोग जमात के उम्मीदवार को वोट देने का अधिकार पा सकेंगे.’ यह फैसला ऐसे समय आया है जब जमात के शीर्ष नेता और मौत की सजा पाए एटीएम अज़हरुल इस्लाम को भी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में रिहा कर दिया था. उनपर 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना का साथ देकर युद्ध अपराध करने का आरोप था. अंतरिम सरकार के कानून सलाहकार डॉ. आसिफ नज़रूल ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘इस न्याय के मार्ग को बनाने का श्रेय जुलाई-अगस्त 2024 के जनांदोलन को जाता है.’
नई राजनीतिक तस्वीर
शेख हसीना की पार्टी (अवामी लीग) को हाल ही में अंतरिम सरकार ने भंग कर दिया. ऐसे में खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) मुख्य विपक्षी ताकत बनकर उभरी है. हालांकि BNP ने जमात से दूरी बना ली है. गौरतलब है कि हसीना सरकार ने 2009 में पाकिस्तान समर्थक युद्ध अपराधियों के खिलाफ मुकदमे चलाने शुरू किए थे. इनमें 6 जमात नेता और एक BNP नेता को फांसी दी गई थी. अब उसी युद्ध अपराध ट्रिब्यूनल द्वारा हसीना सरकार के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर भी मुकदमा चलाया जा रहा है, जो 2024 के आंदोलन के दौरान हिंसा में शामिल थे. UN मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई से अगस्त 2024 के बीच हुई हिंसा में करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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