संघ में आओगे तो कुछ मिलेगा नहीं, जो है वह भी चला जाएगा... बोले मोहन भागवत

3 hours ago

Last Updated:August 27, 2025, 18:35 IST

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'भारत ने हमेशा संयम बरता है और अपने नुकसान की परवाह नहीं की है. नुकसान होने पर भी, उसने मदद की पेशकश की है, यहां तक​कि उन लोगों की भी जिन्होंने उसे नुकसान पहुंचाया. व्यक्तिगत अह...और पढ़ें

संघ में आओगे तो कुछ मिलेगा नहीं, जो है वह भी चला जाएगा... बोले मोहन भागवतRSS के 100 साल पूरे होने पर कार्यक्रम को संबोधित करते मोहन भागवत.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ की नींव सात्त्विक प्रेम पर टिकी है. उन्होंने कहा कि किसी भी स्वयंसेवी संगठन का इतना विरोध नहीं हुआ, जितना संघ का हुआ. बावजूद इसके, संघ आज भी मजबूती से खड़ा है. संघ के 100 साल पूरे होने पर भागवत ने 1925 की विजयदशमी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार ने उसी दिन संघ की स्थापना की थी. उनका विचार साफ था- हिंदू कहलाने वाले हर व्यक्ति को राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए. यही संघ की शुरुआत का आधार था. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का असली सार सत्य और प्रेम है. ये दोनों दिखने में अलग हैं, लेकिन असल में एक ही हैं. दुनिया लेन-देन से नहीं, अपनेपन से चलती है. रिश्ते अनुबंध पर नहीं, आत्मीयता पर बनते हैं. संघ इन्हीं मूल्यों पर आधारित है.

भागवत ने यह भी कहा कि संघ में कोई लालच या प्रोत्साहन नहीं है. स्वयंसेवक सिर्फ इसलिए काम करते हैं क्योंकि उन्हें अपने कार्य में आनंद मिलता है. यह आनंद इसलिए है क्योंकि उनका कार्य राष्ट्र और विश्व कल्याण से जुड़ा है.

‘दुनिया का माहौल तीसरे वर्ल्ड वॉर जैसा’

आरएसएस प्रमुख ने वैश्विक हालात पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भी शांति कायम नहीं हो पाई. संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं भी स्थायी समाधान नहीं दे सकीं. आज पूरी दुनिया कट्टरपन और असहिष्णुता से घिरी हुई है.

उन्होंने कहा कि तीसरा विश्वयुद्ध भले ही वैसे न हो जैसा पहले हुआ, लेकिन माहौल उतना ही खतरनाक है. कट्टर सोच वाले लोग न सिर्फ विरोधियों को दबा रहे हैं, बल्कि ‘कैंसिल कल्चर’ को भी बढ़ावा दे रहे हैं. इससे समाज और देशों के बीच दूरी बढ़ रही है. भागवत ने कहा कि दुनिया के बड़े नेता भी चिंतित हैं. कारण यह है कि कोई जोड़ने वाला तत्व सामने नहीं है. चर्चा बहुत होती है, उपाय भी सुझाए जाते हैं, लेकिन स्थायी शांति नजर नहीं आती.

‘धर्म में कन्वर्जन नहीं होता’

उन्होंने धर्म की परिभाषा पर भी जोर दिया. भागवत ने कहा कि धर्म का अर्थ पूजा-पाठ नहीं है. धर्म वह मार्ग है, जो व्यक्ति को संतुलन और मोक्ष की ओर ले जाता है. उन्होंने कहा कि धर्म सर्वत्र जाना चाहिए, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि धर्म परिवर्तन कराया जाए. धर्म में conversion नहीं होता. धर्म संतुलन सिखाता है.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारतीय दृष्टि ही विश्व को जोड़ सकती है. अगर दुनिया को स्थायी शांति चाहिए, तो धर्म संतुलन को अपनाना होगा. यही भारत का योगदान हो सकता है. भागवत ने दोहराया कि संघ का असली स्वरूप सात्त्विक प्रेम है. संघ का हर कार्य उसी पर आधारित है. यही हिंदुत्व का सार है और यही मार्ग दुनिया को शांति और स्थिरता दे सकता है.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 27, 2025, 18:33 IST

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