Last Updated:July 16, 2025, 15:19 IST
2633 Indians in Saudi Arabia jails: सऊदी अरब की जेलों में 2633 भारतीय नागरिक बंद हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है वहां के कठोर कानून और भारतीयों की उनको लेकर अज्ञानता.

भारतीय दुनिया के लगभग हर देश में रहते हैं. लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि सबसे ज्यादा भारतीय एक मुस्लिम देश में कैद में हैं.
हाइलाइट्स
सऊदी अरब की जेलों में 2633 भारतीय बंद हैंवहां के कठोर कानून और अज्ञानता मुख्य कारण हैंभारतीय दूतावास कानूनी सहायता प्रदान करता है2633 Indians in Saudi Arabia jails: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया यमन में 2017 से जेल में बंद हैं. उन्हें एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है. उनकी फांसी की सजा फिलहाल टाल दी गई है. आप को यह जानकर हैरत होगी कि निमिषा प्रिया विदेश में जेल में अकेली बंदी नहीं है. दस हजार से ज्यादा भारतीय नागरिक 86 देशों की जेलों में या तो विचाराधीन कैदी के रूप में या विभिन्न अपराधों के दोषी के रूप में बंद हैं. हालांकि अधिकांश भारतीय नागरिक खाड़ी देशों और अन्य एशियाई देशों की जेलों में बंद हैं. साल 2025 की शुरुआत में लोकसभा में विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा 2633 भारतीय नागरिक सऊदी अरब की जेलों में बंद हैं. उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (2518) और नेपाल (1317) का नंबर आता है.
सऊदी अरब में लगभग 27 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है. इनमें से अधिकांश लोग कम वेतन वाली नौकरियों जैसे निर्माण, घरेलू सेवा और खुदरा क्षेत्र में काम करते हैं. इनमें से ज्यादातर प्रवासी वहां के स्थानीय कानूनों, रीति-रिवाजों और न्यायिक प्रक्रियाओं से अनजान होते हैं. सऊदी अरब में शरिया कानून लागू होता है, जो पश्चिमी देशों के कानूनों से काफी अलग है. छोटी-मोटी गलतियां जो भारत में सामान्य मानी जा सकती हैं, वहां गंभीर अपराध हो सकती हैं. सऊदी अरब में बड़ी संख्या में भारतीयों का जेल में बंद होना मुख्य रूप से बड़ी प्रवासी आबादी, वहां के कठोर कानूनी नियमों और वहां के कानूनों की अज्ञानता का परिणाम है.
वीजा और निवास नियमों का उल्लंघन: कई भारतीय पर्यटक वीजा पर जाते हैं और फिर काम करने की कोशिश करते हैं. या उनका वीजा समाप्त हो जाता है. सऊदी अरब में यह एक गंभीर अपराध है.
ड्रग्स और शराब से संबंधित अपराध: सऊदी अरब में शराब का सेवन, उत्पादन या बिक्री सख्त रूप से प्रतिबंधित है. ड्रग्स से संबंधित अपराधों के लिए मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है.
छोटे-मोटे अपराध: कई मामलों में भारतीय लोग छोटी-मोटी गलतियों के कारण जेल में फंस जाते हैं. जैसे कि ट्रैफिक सिग्नल तोड़ना या बिना अनुमति के सब्जियां या पानी बेचना.
आर्थिक अपराध: कर्ज न चुकाना या वित्तीय धोखाधड़ी भी जेल जाने का एक कारण है.
गलत एजेंटों के जाल में फंसना: कई बार, भारतीय कामगार गलत एजेंटों के झांसे में आकर सऊदी अरब जाते हैं. जहां उन्हें झूठे वादों के साथ भेजा जाता है. जब उनकी स्थिति कानूनी रूप से अस्थिर होती है तो वे आसानी से जेल के चक्कर में फंस जाते हैं.
गंभीर अपराधों में शामिल
कम संख्या में भारतीय नागरिक हत्या, अपहरण और रिश्वतखोरी जैसे गंभीर अपराधों में भी शामिल पाए गए हैं. कुछ मामलों में, मौत की सजा भी सुनाई गई है. ऐसे मामलों में भारतीय दूतावास कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रयास करते हैं और पीड़ितों के परिवारों के साथ मिलकर ‘ब्लड मनी’ (के भुगतान के लिए बातचीत करते हैं. ताकि मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदला जा सके.
किस देश की जेल में कितने भारतीय
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह द्वारा लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार अमेरिका की जेलों में 169 और ब्रिटेन की जेलों में 288 भारतीय नागरिक बंद हैं. इसके अलावा कतर की जेलों में 611, कुवैत में 387, मलेशिया में 338, पाकिस्तान में 266, बहरीन में 181, चीन में 173, इटली में 168, ओमान में 148, श्रीलंका में 98, सिंगापुर में 92, भूटान में 69, फ्रांस और जॉर्जिया में 45-45, फिलीपींस में 44, आर्मेनिया में 39, थाईलैंड में 37, स्पेन में 34, जॉर्डन में 28, ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार और रूस में 27-27, जर्मनी में 25, कनाडा में 23, कंबोडिया में 22, साइप्रस और इंडोनेशिया में 21-21, ईरान में 18, कोट डी आइवरी कोस्ट में 14, युगांडा में 11, अजरबैजान, मालदीव और मॉरीशस में 10-10, बेलारूस में 9, अफगानिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में 8-8 भारतीय नागरिक बंद हैं. ये आंकड़े 18 फरवरी, 2025 तक के हैं.
कानूनी प्रक्रियाएं और दूतावास की भूमिका
सऊदी अरब में कानूनी प्रक्रियाएं बहुत सख्त हैं और अक्सर गोपनीय होती हैं. कैदी की सहमति के बिना स्थानीय अधिकारी कैदियों के बारे में जानकारी साझा नहीं करते हैं. भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास विदेशों में बंद भारतीयों की सुरक्षा और कल्याण को प्राथमिकता देते हैं. वे नियमित रूप से जेलों का दौरा करते हैं, कानूनी सहायता प्रदान करते हैं और स्थानीय अधिकारियों से कैदियों की रिहाई के लिए संपर्क करते हैं. कई बार मानवीय आधार पर या क्षमा याचिकाओं के माध्यम से भी कैदियों की रिहाई के प्रयास किए जाते हैं.
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