सावरकुंडला में दिवाली पर इंगोरिया युद्ध की अनोखी परंपरा और उत्सव

5 hours ago

Last Updated:October 21, 2025, 10:31 IST

गुजरात के सावरोकुंडला में युवा इन्गोरिया जलाकर एक-दूसरे पर फेंकते हैं. अब यह चौथी पीढ़ी इसे खेल रही है. यह युद्ध शहर के मुख्य चौराहों पर खेला जाता है, लेकिन अब तक कोई गंभीर चोट की घटना हुई है.

सावरकुंडला में दिवाली पर इंगोरिया युद्ध की अनोखी परंपरा और उत्सवसावरकुंडला में दिवाली पर इंगोरिया युद्ध खेला

देशभर में दीपावली का पर्व पटाखों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है और चारों ओर पटाखों की गूंज सुनाई देती है, लेकिन हैरानी की बात है कि गुजरात के एक गांव में हर साल दिवाली पर युद्ध खेला जाता है. गुजरात के सावरकुंडला में हर साल दिवाली पर इंगोरिया युद्ध खेला जाता है. यह परंपरा पिछले छह दशकों से चल रही है, जहां लोग इंगोरिया (देशी पटाखे) एक-दूसरे पर फेंकते हैं, यह उत्सव सामूहिकता का प्रतीक है.

सावर और कुंडला के बीच दिवाली के दिन इन्गोरिया युद्ध की परंपरा है. जैसे रणभूमि का मैदान हो, वैसे सावर्कुंडला शहर की गलियों में दीवाली की रात को इन्गोरिया युद्ध खेला जाता है. खिलाड़ी इस खेल का खुलकर आनंद लेते हैं. दूसरी ओर, इस युद्ध को देखने के लिए बड़ी संख्या में गांव के लोग भी इकट्ठा होते हैं. जलते हुए आग के गोले युवा अपने हाथों में इस तरह पकड़ते हैं, मानो गुलाब का फूल थामे हों.

युवा एक-दूसरे पर फेंकते हैं इंगोरिया

इंगोरिया को जलाकर युवा एक-दूसरे पर फेंकते हैं. यह खेल सालों से चला आ रहा है और अब यह चौथी पीढ़ी इसे खेल रही है. पहले सावरो और कुंडला के बीच यह “युद्ध” होता था, लेकिन अब शहर के तीन मुख्य चौराहों – नावली चौराहा, राउंड क्षेत्र, और देवलागेट क्षेत्र में यह खेल खेला जाता है. इस खेल से अब तक कोई व्यक्ति झुलसा नहीं है, न ही कोई गंभीर चोट की घटना हुई है.

इसे देखने के लिए लोग अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता, राजकोट जैसे बड़े शहरों से आते हैं. यह अनोखा और रोमांचक खेल सावरोकुंडला की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है. दिवाली से एक महीने पहले युवा ग्रामीण क्षेत्रों से इन्गोरिया खोजकर पेड़ से तोड़कर उसे सूखा देते हैं. उसके बाद ऊपर से छाल को चप्पू से निकालकर उसमें एक छिद्र बनाया जाता है, जिसमें अंदर दारू, गंधक, सुरुखार और कोयले का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह भरा जाता है.

आग के युद्ध के लिए लड़ाके तैयार

इसके बाद नदी की मिट्टी के पत्थर से उस छिद्र को बंद कर दिया जाता है और इसे सूखने के लिए रखा जाता है. इसके बाद इन्गोरिया तैयार हो जाता है, जिसे दिवाली की रात हजारों तैयार किए गए इन्गोरिया के थैले भरकर लड़ाके आग का युद्ध खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं. इस युद्ध के दौरान पुलिस, फायर, और डॉक्टरों की टीम भी तैनात की जाती है.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

First Published :

October 21, 2025, 10:31 IST

homenation

सावरकुंडला में दिवाली पर इंगोरिया युद्ध की अनोखी परंपरा और उत्सव

Read Full Article at Source