Last Updated:August 26, 2025, 16:06 IST
सुपौल के विज्ञान शिक्षक दिलीप कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है. विज्ञान शिक्षा में नवाचार (Innovation) और प्रयोगात्मक शिक्षण के लिए उनकी पहचान बनी. साधारण ग्रामीण पृष्ठ...और पढ़ें

सुपौल. बिहार के सुपौल जिले में त्रिवेणीगंज स्थित ललित नारायण लक्ष्मी नारायण प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय के विज्ञान शिक्षक दिलीप कुमार को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है. भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने इसकी घोषणा की है. दिलीप कुमार को यह सम्मान विज्ञान शिक्षा में नवाचार, प्रयोगात्मक शिक्षण (Innovation and experimental work) और छात्राओं को प्रेरित करने के लिए दिया जाएगा. राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मारक और एक लाख रुपये दिये जाएंगे. दिलीप कुमार ने विज्ञान को सरल और रोचक बनाकर छात्राओं में इसकी रुचि जगाई और उनके मार्गदर्शन में छात्राओं ने मॉडल निर्माण, क्विज और विज्ञान ओलंपियाड में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीते हैं. उनके निर्देशन में विकसित शिक्षण पद्धतियां जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को आसान बनाती हैं. बता दें कि इससे पहले बिहार दिवस 2025 पर उन्हें एसीएस से प्रशस्ति पत्र मिला था और अब राष्ट्रीय सम्मान ने उनकी मेहनत को नई ऊंचाई दी है.
बता दें कि विद्यालय में प्रयोगात्मक विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए मिला है. छात्राओं को मॉडल और प्रोजेक्ट के माध्यम से विज्ञान की जटिल अवधारणाओं को सरल बनाने और नई शिक्षण पद्धतियों को लागू करने के लिए भी उन्हें लगातार सराहा जाता रहा है. दिलीप कुमार की मेहनत ने छात्राओं में विज्ञान की रुचि जगाई है. उनको मिला यह सम्मान सुपौल और बिहार के लिए गर्व का क्षण है जो ग्रामीण शिक्षकों को प्रेरित करेगा.
दिलीप कुमार की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का यह सम्मान न केवल दिलीप कुमार बल्कि पूरे सुपौल जिले के लिए गर्व का विषय है. उनकी उपलब्धि से साबित होता है कि यदि लगन और ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो छोटे कस्बों और गांवों से भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान बनाई जा सकती है. सम्मान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिलीप कुमार ने भावुक होते हुए कहा- “यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं है, बल्कि मेरी छात्राओं की मेहनत और मेरे सहकर्मी शिक्षकों के सहयोग का परिणाम है. मेरा प्रयास हमेशा यही रहा है कि विज्ञान को सरल और रोचक तरीके से पढ़ाया जाए, ताकि छात्राओं की रुचि बनी रहे और वे भविष्य में भी विज्ञान को अपनाने के लिए प्रेरित हों. यह सम्मान मुझे और बेहतर काम करने की प्रेरणा देगा”
त्रिवेणीगंज के शिक्षक दिलीप कुमार को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, ग्रामीण पृष्ठभूमि से राष्ट्रीय सम्मान तक सफर तय कर रचा इतिहास,
छात्राओं में विज्ञान की रुचि जगाकर दिलीप बने प्रेरणा, विद्यालय में जश्न.
साधारण परिवार से राष्ट्रीय स्तर तक सफर
जदिया थाना क्षेत्र के परवाहा गांव निवासी स्व. सत्यनारायण प्रसाद यादव और स्व. उर्मिला देवी के पुत्र दिलीप कुमार का यह सफर आसान नहीं रहा. साधारण ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े दिलीप ने कठिन परिश्रम और शिक्षा के प्रति अपनी निष्ठा से यह मुकाम हासिल किया. परिवार की पृष्ठभूमि साधारण होने के बावजूद उन्होंने अपने समर्पण और जुनून से छात्राओं के बीच विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और रुचि पैदा की. राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा से पहले भी दिलीप कुमार को कई अवसरों पर सम्मानित किया जा चुका है. हाल ही में बिहार दिवस 2025 के मौके पर उन्हें एसीएस द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया था. स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर भी उनकी कार्यशैली को कई बार सराहना मिली है.
विद्यालय परिसर में जश्न
पुरस्कार की घोषणा के बाद विद्यालय परिसर में जश्न का माहौल रहा. छात्राओं और शिक्षकों ने ढोल-नगाड़ों, फूल-मालाओं और स्काउट-गाइड की प्रस्तुति के साथ अपने प्रिय शिक्षक का स्वागत किया. इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक सौरभ सुमन सहित शिक्षक रविन्द्र कुमार, गजेंद्र कुमार, खुशबू कुमारी, आनंद कुमार, आश्रित कुमार, कुमारी स्नेहा, राजू कुमार, सुनीता कुमारी, नेकराज, परिचारी मनोरमा कुमारी और राग जी मौजूद रहे. सभी ने एक स्वर में कहा कि दिलीप कुमार की सफलता से विद्यालय का गौरव बढ़ा है.
परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर
दिलीप कुमार के बड़े भाई ब्रजेश कुमार भी शिक्षा सेवा से जुड़े हैं और वर्तमान में उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय, मानगंज में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं. परिवार ने इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा कि दिलीप ने न केवल परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है. क्षेत्रवासियों ने भी पटाखे जलाकर और मिठाई बांटकर इस सफलता का जश्न मनाया. स्थानीय लोगों का कहना है कि दिलीप जैसे समर्पित शिक्षक आज के समाज के लिए प्रेरणा हैं.
क्या है राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार?
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1958 में हुई थी. इस सम्मान का उद्देश्य देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले शिक्षकों को पहचान और प्रोत्साहन देना है. शिक्षा मंत्रालय प्रत्येक वर्ष देशभर से योग्य शिक्षकों का चयन करता है. इसके लिए पहले राज्य स्तर पर शिक्षकों का नामांकन और सिफारिश की जाती है, उसके बाद केंद्र स्तर पर कड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. चयनित शिक्षकों को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्वारा स्मारक, प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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Location :
Supaul,Supaul,Bihar
First Published :
August 26, 2025, 16:06 IST