Last Updated:August 26, 2025, 14:12 IST
India's Directed Energy Weapon or DEW: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने DRDO द्वारा विकसित सहस्र शक्ति लेजर हथियार IADWS का सफल परीक्षण किया, जिससे वायु रक्षा क्षमता अमेरिका, चीन, रूस, इजरायल के स्तर पर पहुंची है.

India’s Directed Energy Weapon or DEW: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने देसी हथियारों को सेना के हवाले करने का काम तेज कर दिया है. इस ऑपरेशन के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर आकाश डिफेंस सिस्टम जैसे देसी हथियारों ने पाकिस्तान को चंद घंटों के भीतर घुटनों पर ला दिया था. इसके बाद से सेना का देसी हथियारों पर भरोसा भी अब काफी मजबूत हुआ है. ऐसे में सेना को एक और बेहद खतरनाक हथियार मिलने जा रहा है. बीते शनिवार को ही इसका सफल परीक्षण किया गया. इस हथियार का नाम है- एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS). यह डिफेंस प्रणाली है लेकिन, यह एस-400 और आकाश डिफेंस सिस्टम में पूरी तरह अलग है. डीआरडीओ द्वारा विकसित इस प्रणाली में क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM), एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) और लेजर निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapon, DEW) लगे हैं. इस डिफेंस प्रणाली के इन तीनों हथियारों में सबसे अहम है DEW.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत की मल्टी-लेयर वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर करार दिया, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमलों और अन्य हवाई खतरों से महत्वपूर्ण रक्षा सुविधाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा. इस उपलब्धि ने भारत को अमेरिका, चीन, रूस और इजरायल जैसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है. ये देश पहले से ही लेजर आधारित हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या डीईओ सिस्टम
डीआरडीओ के सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज द्वारा विकसित 30 किलोवाट DEW-MK II(A) पांच किलोमीटर तक की रेंज में ड्रोन, हेलीकॉप्टर और कम दूरी की मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है. इस हथियार को सहस्र शक्ति नाम दिया गया है. यह वेहिकल माउंटेड सिस्टम उन्नत इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग, बीम-फोकसिंग तकनीक और ऑटोमेटेड किल असेसमेंट एल्गोरिदम से लैस है. इससे बेहद शक्तिशाली बीम निकलते हैं और ये दुश्मन के ड्रोन में एंटीना और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम को सेकेंडों में जला देते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली एक साथ सैकड़ों ड्रोन को मार गिराने में सक्षम है.
लेजर हथियारों का महत्व
इस लेजर हथियार की सबसे बड़ी खासियत इसकी सटीकता और कम लागत है. ये मॉडर्न युद्ध में गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं. पारंपरिक मिसाइल सिस्टम जैसे कि भारत का आकाश या इजरायल का आयरन डोम या फिर एस-400 से एक शॉट दागने पर हजार डॉलर की लागत आता है. ये बहुत खर्चीले सिस्टम हैं. इसके विपरीत लेजर हथियार प्रकाश की गति से हमला करते हैं, न्यूनतम कोलैटरल डैमेज करते हैं और ये बार-बार वार हमला कर सकते हैं. इनके हमलों की संख्या असीमित है. क्योंकि इनका संचालन केवल बिजली पर निर्भर है.
डीआरडीओ के अनुसार सहस्र शक्ति यानी लेजर हथियार के प्रति शॉट की लागत मात्र 1 से 2 डॉलर है. रुपये में ये करीब 150 रुपये के आसपास है. ये दुश्मन के सस्ते ड्रोन यानी दो से पांच हजार डॉलर वाले ड्रोन को नष्ट करने के लिए मुफीद हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत की ओर ऐसे ही ड्रोन भेजे थे. उस वक्त इस लेजर हथियार की सख्त जरूरत महसूस की गई थी. ये लेजर हथियार कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन, हेलीकॉप्टर और क्रूज मिसाइलों के खिलाफ बेहद प्रभावी हैं.
क्या पाकिस्तान के पास लेजर हथियार हैं?
पाकिस्तान के पास अभी तक कोई परिचालित लेजर हथियार नहीं है. उसकी वायु रक्षा प्रणाली मुख्य रूप से चीनी मूल के HQ-9, LY-80 और FN-16 मिसाइल सिस्टम पर निर्भर है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय ड्रोन ने रावलपिंडी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में घुसपैठ की जहां पाकिस्तान की HQ-9 प्रणाली असफल रही. रक्षा विश्लेषकों के अनुसार पाकिस्तान ने लेजर DEW पर प्रारंभिक शोध शुरू किया है, लेकिन यह तकनीक अभी प्रारंभिक चरण में है. पाकिस्तान अपनी रक्षा जरूरतों के लिए 81 फीसदी हथियार चीन से आयात करता है और चीन से उसको साइलेंट हंटर जैसे लेजर सिस्टम की आपूर्ति की अभी कोई पुष्टि रिपोर्ट नहीं है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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First Published :
August 26, 2025, 14:11 IST