स्पेस से लौट अब शुभांशु क्या करते रहेंगे एयरफोर्स की नौकरी या इसरो से जुड़ेंगे

7 hours ago

Last Updated:July 16, 2025, 12:13 IST

भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर लौट आए हैं. क्या वह वापस भारतीय वायुसेना की नौकरी को बरकरार रखेंगे.

स्पेस से लौट अब शुभांशु क्या करते रहेंगे एयरफोर्स की नौकरी या इसरो से जुड़ेंगे

शुभांशु शुक्ला तीन अन्य एस्ट्रोनॉट के साथ धरती पर लौट आए हैं.

हाइलाइट्स

शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को अंतरिक्ष से लौटे हैंशुभांशु फिलहाल एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टेन हैंशुभांशु वायुसेना की नौकरी जारी रख सकते हैं

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से पृथ्वी से लौटकर आ चुके हैं. वह एक हफ्ते तक नासा के ही आइसोलेशन सेंटर में रहेंगे. अगस्त में वह भारत लौटेंगे. ये सवाल लाजिमी है कि वह भारत आने के बाद वापस अपनी एयरफोर्स की नौकरी ज्वाइन करेंगे या फिर इसरो से जुड़कर गगनयान मिशन पर काम करेंगे.

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन बिताए. वह 15 जुलाई 2025 को पृथ्वी पर लौट आए. इस मिशन के दौरान उन्होंने ISRO और NASA के सहयोग से कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जो भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण कहे जा सकते हैं.

एक साल पहले एयरफोर्स में बने थे ग्रुप कैप्टेन

एक साल पहले ही एयरफोर्स में शुभांशु शुक्ला का ग्रुप कैप्टेन के तौर पर प्रोमोशन हुआ था. वह आगे एयरफोर्स की नौकरी ज्वाइन करेंगे, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन आमतौर पर ये माना जा रहा है कि वह एयरफोर्स की नौकरी के साथ उसी तरह जुड़े रहेंगे, जिस तरह भारत के पहले अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा ने किया था.

कैलिफोर्निया में सैन डिएगो के नजदीक समंदर में उतरे अंतरिक्ष यान ड्रैगन कैप्सूल ‘ग्रेस’ से सबसे पहले कमांडर पैगी व्हिट्सन बाहर निकलीं और उसकेकुछ मिनट बाद शुक्ला भी मुस्कुराते हुए बाहर निकले.

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने क्या किया था

राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री थे, जिन्होंने 1984 में सोवियत संघ के सोयुज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी. अंतरिक्ष से लौटने के बाद भी उन्होंने भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा जारी रखी. वह उस समय वायुसेना में विंग कमांडर थे. अंतरिक्ष यात्रा के बाद उन्हें हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन और भारत में अशोक चक्र जैसे सम्मान मिले.

राकेश शर्मा में बाद एयर फोर्स से ही रिटायर हुए

राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष मिशन के बाद भी वायुसेना में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं. बाद में टेस्ट पायलट के रूप में कार्य किया. उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ भी काम किया, जहां वे तेजस (LCA) जैसे विमान के विकास में शामिल रहे. उनकी अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव उनकी सैन्य और तकनीकी भूमिकाओं में सहायक रहा. वह इंडियन एयरफोर्स से ही रिटायर हुए.

भारत के पहले अंतिरक्षयात्री राकेश शर्मा सोवियत संघ के सोयुज यान के साथ स्पेस में गए थे. वहां से लौटने के बाद भी वह ताजिंदगी भारतीय वायुसेना की नौकरी करते रहे. अब वह रिटायर होकर दक्षिण भारत के खूबसूरत शहर कु्न्नूर में रह रहे हैं.

शुभांशु भारतीय वायुसेना की सेवा जारी रखेंगे

राकेश शर्मा का उदाहरण देखते हुए, यह संभावना प्रबल है कि शुभांशु शुक्ला भी अपनी भारतीय वायुसेना की सेवा जारी रख सकते हैं. उनकी एक्सिओम-4 मिशन (2025) की यात्रा और गगनयान मिशन के लिए प्रशिक्षण को देखते हुए, वह वायुसेना में रहते हुए ISRO के साथ सहयोग कर सकते हैं, जैसा राकेश शर्मा ने अपने समय में किया था. हालांकि शुभांशु के मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं है, लेकिन राकेश शर्मा का करियर पथ उनके लिए एक संभावित मॉडल हो सकता है.

उनका करियर वायुसेना और इसरो के साथ आगे बढ़ेगा

इस प्रकार उनका मूल करियर भारतीय वायुसेना और आगे चल कर ISRO के साथ मिलकर ही आगे बढ़ेगा. वापसी के बाद वह वायुसेना के नियमों के अनुसार एयरफोर्स मे अपनी ड्यूटी को ज्वाइन करेंगे.

औपचारिक रूप से उनकी ड्यूटी इंडियन एयर फोर्स और ISRO‑Gaganyaan के लिये 18 अगस्त 2025 के आस-पास शुरू होने की संभावना है, क्योंकि 17 अगस्त को उनकी भारत वापसी होगी. उसके तुरंत बाद प्रशासनिक प्रक्रिया चलती है.

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के अनुभवी टेस्ट पायलट रहे हैं.

कितने अनुभवी टेस्ट पायलट रहे हैं

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टेन के रूप में सेवा दे रहे हैं. वह एक अनुभवी टेस्ट पायलट भी हैं, जिनके पास लगभग 2,000 उड़ान घंटे का अनुभव है. उन्होंने सुखोई‑30 MKI, मिग‑21, मिग‑29, जगुआर, हॉक समेत कई लड़ाकू विमानों में उड़ान भरी है.

भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टेन क्या करता है

भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टेन एक सीनियर कमीशंड अफसर होता है. ये सेना में कर्नल के बराबर और नौसेना में कैप्टन के समकक्ष मानी जाती है. कई बार ग्रुप कैप्टन को एयरबेस कमांडर या स्टेशन कमांडर नियुक्त किया जाता है. एयरबेस की सारी प्रशासनिक, ऑपरेशनल और सुरक्षा गतिविधियों की ज़िम्मेदारी इनके कंधों पर होती है.

ग्रुप कैप्टेन किसी लड़ाकू स्क्वाड्रन, ट्रांसपोर्ट स्क्वाड्रन या हेलीकॉप्टर यूनिट की कमान भी संभाल सकते हैं. या एयर कमांड, एयर हेडक्वार्टर या रक्षा मंत्रालय जैसी जगहों पर स्टाफ अफसर के रूप में तैनात हो सकते हैं. वैसे शुभांशु शुक्ला की तरह जो ग्रुप कैप्टन टेस्ट पायलट होते हैं. उन्हें नए विमानों की टेस्टिंग, रिसर्च और डवलपमेंट प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी दी जाती है.

लखनऊ में कहां पढ़ाई 

वह लखनऊ के अलीगंज स्थित प्रतिष्ठित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS) अलीगंज कैंपस के छात्र रहे हैं. यहीं से उन्होंने वर्ष 2001 में अपनी स्कूलिंग पूरी की. इसके बाद उनका चयन नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA), पुणे में हुआ, जिससे उनकी हायर एजुकेशन और एयरफोर्स करियर की शुरुआत हुई.

संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

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