Last Updated:August 22, 2025, 19:46 IST
HINDON AIRPORT: उड़े देश के आम नागरिक (UDAN) स्कीम को एक क्रांतिकारी मुहीम के तौर पर देखा जाता है. देश के दूर दराज इलाके को एयर ऑपरेशन के साथ जोड़ देने के मकसद से UDAN प्रोग्राम की शुरूआत की थी. जिसके तहत सभी द...और पढ़ें

HINDON AIRPORT: गुरुवार को पटना से हिंडन एयरपोर्ट पर आने वाली फ्लाइट को 20 मिनट तक हवा में चक्कर लगाना पड़ा. इसकी वजह थी कि सिविल टर्मिनल में एयरक्राफ्ट पार्किंग की जगह नहीं थी. अब सवाल उठता है कि आखिर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पार्किंग का बंदोबस्त क्यों नहीं किया? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसके लिए एयरफोर्स को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. कहा जा रहा है कि एयरफोर्स की पाबंदियों और तकनीकी कारणों से यह समस्या बढ़ रही है. चूंकि हिंडन एक एयरफोर्स बेस है और भारत सरकार की उड़ान स्कीम का हिस्सा है, इसलिए एयरफोर्स अपने ऑपरेशनल एयर बेस के महत्वपूर्ण असेट को इस स्कीम के लिए दे रही है.
क्या है पूरा मामला?
हिंडन एयरबेस बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ऑपरेशन का महत्वपूर्ण बेस है. केंद्र सरकार की उड़े देश के आम नागरिक (UDAN) स्कीम के तहत इसका सिविल इस्तेमाल करने की मंजूरी दी गई. एग्रीमेंट के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने साल 2020 में कुल चार पार्किंग बे आवंटित किए हैं और समय रहते ही रक्षा मंत्रालय के जरिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय/AAI को सूचित किया है कि यह पार्किंग बे सिविल ऑपरेशन के लिए अस्थायी तौर पर दिए गए हैं. सिविल एविएशन मंत्रालय को अपने खुद के पार्किंग बे बनाने चाहिए थे. सूत्रों के अनुसार, यह काम जल्द से जल्द पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन 5 साल गुजरने के बाद भी इसका कोई स्थायी हल नहीं निकला है. शुरुआत में ATR यानी की 90 सीटर छोटे एयरक्राफ्ट ही ऑपरेट किया जाता था, लेकिन अब एयरबस जैसे बड़े जहाज आने शुरू हो गए हैं. हिंडन एयरपोर्ट टर्मिनल की यात्री क्षमता को 300 यात्रियों के लेहाज से बनाया गया था. लेकिन अब 400 से 420 यात्रियों के चलते टर्नअराउंड टाइम ज्यादा लगता है. एयरलाइंस दिए गए टाइम टेबल का पालन नहीं कर पाती हैं, जिससे यात्री विमान को जमीन पर या हवा में और देरी होती है. फिलहाल घोषित क्षमता 2 एयरक्राफ्ट प्रति घंटा है. पार्किंग बे कम होने के चलते एयरक्राफ्ट को जब तक पार्किंग खाली ना हो, कोई दूसरा एयरक्राफ्ट लैंड नहीं कर सकता. मजबूरन कुछ मौकों पर एयरक्राफ्ट को दिल्ली या चंडीगढ़ डाइवर्ट किया जाता है, जिससे यात्रियों को परेशानी होती है. सूत्रों के अनुसार, एयरपोर्ट अथॉरिटी एयरफोर्स के ऑपरेशन पार्किंग बे की मांग कर रही है.
भारतीय वायुसेना के पास है पूरा एयर ऑपरेशन
भारतीय वायुसेना के देश भर में कुल 54 एयरफील्ड मौजूद हैं. इनमें से 39 एयरफील्ड और 9 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को ड्यूल यूज किया जाता है, यानी एयरफोर्स के ऑपरेशन के अलावा सिविल ऑपरेशन के लिए भी. एयरफोर्स का फ्लाइंग ऑपरेशन शेड्यूल डस्क टू डाउन यानी सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रहता है. एयरबेस के एयर ऑपरेशन का पूरा जिम्मा एयरफोर्स के पास ही होता है. इसमें एयर ट्रैफिक कंट्रोल, फायर फाइटिंग ऑपरेशन, रनवे लाइट, बर्ड हैजार्ड कंट्रोल टीम, कम्यूनिकेशन टीम से लेकर अन्य सभी तरह के ऑपरेशन शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक, एयरपोर्ट अथॉरिटी अपने सिविल ऑपरेशन के समय को डस्क टू डाउन से बढ़ाने की बात कह रही है. चूंकि एयरफोर्स अपने मिलिट्री ऑपरेशन के साथ-साथ सिविल ऑपरेशन को अपने ऑपरेशनल घंटों के भीतर कर रही है और वो भी अपने मैनपावर के साथ.
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First Published :
August 22, 2025, 19:22 IST