हिमाचल के रोहड़ू में अनूठे भूंडा महायज्ञ का आगाज, 1.5 लाख लोग होंगे शामिल

2 days ago
हिमाचल प्रदेश के शिमला के रोहडू में भुंडा महायज्ञ का आगाज.हिमाचल प्रदेश के शिमला के रोहडू में भुंडा महायज्ञ का आगाज.

शिमला. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के रोहड़ू की स्पैल वैली में 39 साल बाद हो रहे भूंडा महायज्ञ का शुभारंभ हो गया है. दलगांव में देवता बकरालू मंदिर में आयोजित हो रहे भूंडा महायज्ञ में पहले दिन हजारों खूंद देवताओं के साथ पहुंच गए हैं. इस दौरान देव-मिलन की मुख्य परंपरा निभाई गई, जो बेहद मनमोहक होती है. देवताओं के अदभुत मिलन की तस्वीरें सामने आई. परंपरा के अनुसार मंदिर में सबसे पहले रंटाड़ी गांव के देवता मोहरिश देवता हजारों लोगों के साथ दलगांव पहुंचे, उसके बाद समकोट के पुजारली गांव से देवता महेश्वर और बछूंछ गांव से देवता बौंद्रा अनुष्ठान में पहुंचे. ऐसे में यहां पर महाकुंभ जैसा ही नजारा देखने को मिल रहा है.

मान्यताओं और परंपरा के तहत देवताओं के साथ पहुंचे हर व्यक्ति के हाथ में तलवारें , धारदार हथियार और डंडे के साथ नजर आए. अपने-अपने देवताओं के जयकारे के साथ खूंद परंपारिक वेशभूषा में नृत्य करते हुए देवता बकरालू महाराज के मंदिर पहुंचे. उसके बाद वे नाचते-गाते हुए अपने-अपने पहले से चयनित स्थानों पर अपने अपने अस्थाई शिविर के लिए निकले. इस दौरान देवताओं का मिलन विशेष आकर्षण रहा. स्थानीय लोगों ने देव मिलन का अभिवादन जयकारे के साथ और सिटियां बजा कर किया. दलगांव में देवताओं के अलग-अलग खूंदों के लिए लगे शिविरों के बाहर अलाव जलाया गया. ठंड की परवाह किए बिना लोग तंबुओं के बाहर झूमते रहे. इसके अलावा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई है.

शुक्रवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इसमें शामिल होंगे. यह महायज्ञ पौराणिक हैं और ऐतिहासिक और वैदिक है. इसका इतिहास काफी पुराना है. माना जाता है कि भंडासुर को मारने के लिए जो यज्ञ किया गया था, उसके नाम पर भी इसका नाम भुंडा पड़ा है. एक साल पहले ही इसे मनाने की तैयारी की जाती है. भूंडा महायज्ञ के पूजन का शुभारम्भ हवन कुंड से होता है, जहां पर बेड़ा व्यक्ति को प्रतीकात्मक मानव बलि के रूप में चढ़ाया जाता है.

शिमला के रोहड़ू में आयोजन के लिए स.

मंत्रोच्चारण के साथ बेड़ा व्यक्ति को रस्से पर फिसलने के लिए तैयार किया जाता है. करीब 200-300 मीटर लंबी रस्सी पर फिसलते हुए ये विशेष व्यक्ति, जिसे बेड़ा कहा जाता है, एक खाई को पार करता है. मान्यता है कि क्षेत्र की सुख,समृद्धि और शांति के लिए इस महायज्ञ का आयोजन होता है. इसे नरमेध यज्ञ से भी जोड़कर देखा जाता है.

इस महायज्ञ में देवीदेवता भी पहुंच रहे हैं.

100 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान

यहां पर पुलिस ने डेढ़ लाख लोगों के आने का अनुमान लगाया है. लोगों ने अपने घरों में ही चार दिन के लिए इंतजाम किए हैं. जो लोग भी इस आयोजन में शामिल होंगे, उनके लिए लोगों ने अपने अपने घरों में टैंट और रहने और खाने पीने की व्यवस्था की है.

FIRST PUBLISHED :

January 3, 2025, 06:32 IST

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