1 सुरंग, 3 दोस्त और 1971 की खतरनाक रात: PAK से Capt पारुलकर की भागने की दासतान

2 days ago

Last Updated:August 10, 2025, 21:52 IST

DK Parulkar Death News: 1971 के युद्ध नायक ग्रुप कैप्टन दिलीप पारुलकर ने पाकिस्तान के पीओडब्ल्यू कैंप से दो साथियों के साथ सुरंग खोदकर भागने की कोशिश की थी. चार मील पहले पकड़े गए, लेकिन उनकी वीरता इतिहास में अम...और पढ़ें

 PAK से Capt पारुलकर की भागने की दासतानग्रुप कैप्टन दिलीप पारुलकर ने 1971 में पाकिस्तान के पीओडब्ल्यू कैंप से दो साथियों संग महीनों सुरंग खोदी और भागने की कोशिश की.

DK Parulkar Death News: देश ने अपने एक और वीर सपूत को खो दिया. 1971 के युद्ध नायक और भारतीय वायु सेना के गर्व ग्रुप कैप्टन दिलीप कमलाकर पारुलकर (सेवानिवृत्त) का रविवार को निधन हो गया. लेकिन उनका नाम हमेशा याद किया जाएगा… उस साहसिक घटना के लिए, जब उन्होंने पाकिस्तान के युद्धबंदी शिविर में दो साथियों के साथ महीनों सुरंग खोदकर आजादी की राह बनाई. यह मिशन उनके जीवन का सबसे खतरनाक सफर था. इसमें हर पल मौत का साया मंडरा रहा था.

पारुलकर 1971 के युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए पकड़े गए थे. उन्हें पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित POW (Prisoner of War) कैंप में रखा गया. वहां उनकी मुलाकात भारतीय वायु सेना के दो और जांबाज अफसरों एम.एस. ग्रेवाल और हरीश सिंहजी से हुई. तीनों ने मिलकर ठान लिया कि कैद में बैठकर दिन गिनने के बजाय वे अपनी आजादी खुद हासिल करेंगे.

Gp Capt DK Parulkar (Retd) VM, VSM — 1971 War hero, who led a daring escape from captivity in Pakistan, embodying unmatched courage, ingenuity & pride in the IAF — has left for his heavenly abode.
All Air Warriors of the IAF express their heartfelt condolences.#IndianAirForcepic.twitter.com/cti0X24u7g

सुरंग खोदने की सीक्रेट प्लानिंग
प्लानिंग जितनी सीधी लगती थी, उतनी ही खतरनाक थी. कैंप से बाहर निकलने के लिए एक सुरंग बनाना. लेकिन न औजार थे, न साधन और हर जगह दुश्मन की सख्त निगरानी. फिर भी पारुलकर और उनके दोस्तों ने हिम्मत नहीं हारी. रात के सन्नाटे में उन्होंने अपनी बैरक के फर्श को सावधानी से हटाकर खुदाई शुरू की. निकली हुई मिट्टी को कपड़ों में भरकर गार्ड की नजरों से बचाते हुए कैंप के अलग-अलग हिस्सों में फैला दिया जाता. यह सिलसिला महीनों तक चला. दिन में कैदी, रात में सुरंग खोदने वाले. हर दिन यह डर था कि कहीं गार्ड उन्हें रंगे हाथ न पकड़ लें. लेकिन आजादी का सपना उन्हें आगे बढ़ाता रहा.

कैम्प की सीमाओं को पार करते ही उनके सामने था अनजाना रास्ता… रावलपिंडी की सुनसान गलियां, खेत और जंगल, और हर कोने में दुश्मन का खतरा. तीनों ने तेज कदमों से भारत की बॉर्डर की दिशा में चलना शुरू किया. रास्ते में उन्हें कई बार रुकना पड़ा ताकि गश्ती सैनिकों की नजरों से बचा जा सके. भूख और प्यास से बदन टूट रहा था लेकिन मंजिल तक पहुंचने का जुनून हर थकान पर भारी था.

पारुलकर 1971 के युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए पकड़े गए थे. (फोटो Bharat Rakshak.com)

चार मील पहले ही थम गई यात्रा
कई घंटों की पैदल यात्रा के बाद भारतीय सीमा अब केवल चार मील यानी लगभग 6 किलोमीटर दूर थी. लेकिन किस्मत ने यहां साथ नहीं दिया. एक पाकिस्तानी गश्ती दल ने उन्हें देख लिया और वे फिर से पकड़ लिए गए. दुश्मन के हाथों दोबारा कैद होना उनके लिए सबसे बड़ा झटका था. लेकिन इस कोशिश ने उन्हें भारतीय सेना के इतिहास में अमर कर दिया.

कहानी बनी प्रेरणा और फिल्म
ग्रुप कैप्टन पारुलकर और उनके साथियों के इस मिशन ने न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों को प्रेरित किया. उनकी कहानी पर बाद में “द ग्रेट इंडियन एस्केप” नाम की फिल्म बनाई गई. इसमें उनकी बहादुरी, टीमवर्क और देश के लिए अटूट प्रेम को पर्दे पर उतारा गया. इस फिल्म ने नई पीढ़ी को यह सिखाया कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों हार मानना कभी विकल्प नहीं होना चाहिए.

वीरता की विरासत
पारुलकर की बहादुरी सिर्फ 1971 के युद्ध तक सीमित नहीं थी. 1965 के भारत–पाक युद्ध में भी उन्होंने अदम्य साहस दिखाया था. उस समय उनका फाइटर जेट दुश्मन की गोलीबारी में घायल हुआ था. लेकिन उन्होंने उसे सुरक्षित बेस तक ले जाने में सफलता पाई. इस अद्वितीय साहस के लिए उन्हें वायु सेना पदक से सम्मानित किया गया.

हमेशा जिंदा रहेगी यह दास्तान
ग्रुप कैप्टन दिलीप कमलाकर पारुलकर का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा देशभक्त और सैनिक कभी हार नहीं मानता… चाहे वह रणभूमि हो या कैद की सलाखें. एक सुरंग, तीन दोस्त और आज़ादी का सपना… यह कहानी न सिर्फ इतिहास का हिस्सा है बल्कि हर भारतीय के दिल में बसी प्रेरणा भी है.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...

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First Published :

August 10, 2025, 20:03 IST

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