₹100000 करोड़ की डिफेंस डील, अब पानी के अंदर से दुश्‍मन खेमे में मचेगा हाहाकार

4 hours ago

Last Updated:July 11, 2025, 06:42 IST

Project 75I: आसमान और जमीन के बाद अब भारत अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने में जुटा है. इंडियन नेवी एयरक्राफ्ट कैरियर, वॉरशिप और सबमरीन यानी पनडुब्‍बी पर हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है. अब एक और बड़ी डिफेंस डील क...और पढ़ें

₹100000 करोड़ की डिफेंस डील, अब पानी के अंदर से दुश्‍मन खेमे में मचेगा हाहाकार

भारत समंदर में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पनडुब्‍बी से जुड़े प्रोजेक्‍ट पर हैवी इन्‍वेस्‍टमेंट करने जा रहा है. (फोटो: एपी/फाइल)

हाइलाइट्स

इंडियन नेवी सबमरीन डेवलपमेंट पर हजारों करोड़ खर्च कर रही हैप्रोजेक्‍ट-75I के तहत अब 1 लाख करोड़ से ज्‍यादा का डिफेंस कॉन्‍ट्रैक्‍टमझगांव डॉक शिपबिल्‍डर्स को मिल सकता है बड़ा ठेका, चल रही तैयारी

Project 75I: कुछ दिनों पहले ही इंडियन नेवी के बेड़े में INS तमाल वॉरशिप को शामिल किया गया था. रूस के साथ पार्टनरशिप के तहत इस युद्धपोत को डेवलप किया गया है. आईएएनएस तमाल ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से भी लैस है. भारतीय नौसेना के पनडुब्बी बेड़े में वर्तमान में 16 ट्रेडिशनल पनडुब्बियां हैं, जिनमें से हाल ही में जनवरी 2025 में INS वाघशीर के शामिल होने से ऑरिजनल प्रोजेक्ट-75 प्रोग्राम पूरा हो गया. प्रोजेक्ट-75 के तहत कलवरी क्‍लास की 8 सबमरीन समंदर के अंदर फिलहाल इंडियन नेवी की सबसे बड़ी ताकत हैं. ये पनडुब्बियां एशिया-प्रशांत, हिन्‍द महासागर और हिन्‍द-प्रशांत क्षेत्र में चीन और पाकिस्‍तान के खिलाफ बड़ा हथियार हैं. खासकर हिन्‍द महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर नकेल कसने को लेकर इसकी अहमियत काफी बढ़ जाती है. चीनी पीएलए-नेवी 355 युद्धपोत और पनडुब्बियों को ऑपरेट करती है, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी नौसैनिक शक्ति बनाती है. वहीं, जबकि पाकिस्तान अपने यार चीन की सहायता से सबमरीन कैपेबिलिटी को लगातार डेवलप कर रहा है. मरीन सिक्‍योरिटी में लगातार बदलते हालात को देखते हुए भारत भी एक्टिव हुआ है और प्रोजेक्‍ट-75I के तहत इंडियन नेवी की सबमरीन क्षमता को बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसमें अब बड़ा डेवलपमेंट हुआ है. मझगांव डॉक शिपबिल्‍डर्स लिमिटेड एक लाख करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा का एडवांस्‍ड और ट्रेडिशनल सबमरीन कॉन्‍ट्रैक्‍ट हासिल करने के बिल्‍कुल करीब है. डिफेंस डील को अमलीजामा पहनाने के बाद 6 से 7 साल में इंडियन नेवी समंदर में दुनिया की बड़ी ताकत बन जाएगी.

भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को अभूतपूर्व बढ़ावा देने के लिए सरकार अगले फाइनेंशियल ईयर के अंत तक मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) को दो प्रमुख पनडुब्बी परियोजनाओं के लिए ₹1.06 लाख करोड़ के ठेके देने की तैयारी में है. यह भारत के रक्षा इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा सौदा होगा, जो न केवल इंडियन नेवी की युद्ध क्षमता को सशक्त करेगा, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नई शुरुआत भी करेगा. प्रोजेक्ट-75I के तहत ₹70,000 करोड़ की एडवांस्‍ड सबमरीन प्रोजेक्‍ट को जल्‍द ही फाइनल करने की प्‍लानिंग है. इस मेगा डील के तहत ₹70,000 करोड़ की लागत से 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियां बनाई जाएंगी. इस परियोजना में MDL की साझेदारी जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) के साथ होगी. प्रस्तावित पनडुब्बियां HDW क्लास 214 डिज़ाइन पर आधारित होंगी, जो अत्याधुनिक फीचर्स और हाइएस्‍ट स्टील्थ कैपेबिलिटी से लैस होंगी.

मझगांव डॉक शिपबिल्‍डर्स 1 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा का ठेका हासिल कर सकती है. (फोटो: एपी/फाइल)

72 मीटर लंबाई, 2000 टन वजन

HDW क्लास 214 पनडुब्बियों की लंबाई 72 मीटर, वजन लगभग 2,000 टन और इनमें 8 हथियार ट्यूब होंगे. यह पनडुब्बियां 27 क्रू मेंबर्स को लेकर चल सकती हैं और इनमें एक विशेष एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम होगा, जो इन्हें सतह पर आए बिना दो सप्ताह तक पानी के अंदर से ऑपरेट करने की क्षमता देगा. यह सिस्टम हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली पैदा करता है, जिससे शोर रहित और सीक्रेट ऑपरेशन संभव होता है. प्रोजेक्ट-75I के तहत पहली पनडुब्बी में 45% स्वदेशी इक्विपमेंट का उपयोग अनिवार्य किया गया है, जो छठी पनडुब्बी तक बढ़कर 60% हो जाएगा. TKMS से टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर के माध्यम से भारत को भविष्य में देसी पनडुब्बी निर्माण की क्षमता मिलेगी. इस परियोजना की पहली पनडुब्बी का निर्माण ठेका हस्ताक्षर के सात साल बाद होगा, जबकि बाकी हर साल एक-एक करके दी जाएगी.

दो क्‍लास में सबमरीन डेवलप करने की प्‍लानिंग है. (फोटो: पीटीआई/फाइल)

₹36,000 करोड़ की स्कॉर्पीन-क्लास सबमरीन

दूसरा बड़ा कॉन्‍ट्रैक्‍ट ₹36,000 करोड़ की लागत से तीन नई स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियों के निर्माण का है. ये पनडुब्बियां मौजूदा कलवरी-क्लास से बड़ी और अधिक उन्नत होंगी, जिनमें 60% स्वदेशी सामग्री होगी. इनका डिज़ाइन ब्राजील नेवी को आपूर्ति की गई पनडुब्बियों से मेल खाएगा. पहली स्कॉर्पीन पनडुब्बी 6 साल में तैयार होगी, बाकी दो पनडुब्बियां हर साल डेलीवर करने की प्‍लानिंग है. वर्तमान में इंडियन नेवी के पास 16 पनडुब्बियां हैं, जिनमें हाल ही में INS वाघशीर के शामिल होने से प्रोजेक्ट 75 की छह कलवरी-क्लास पनडुब्बियों का निर्माण पूरा हो गया है. रीजनल सिक्‍योरिटी को देखते हुए (खासकर चीन की हिंद महासागर में बढ़ती मौजूदगी और पाकिस्तान की सबमरीन क्षमता में विस्तार) ने भारत को पनडुब्बियों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने को मजबूर किया है. चीन के पास इस समय 355 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं, जो उसे दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाती हैं. इसके जवाब में भारत 2035 तक 175 जहाजों वाली नौसेना बनाने की योजना पर काम कर रहा है. फिलहाल भारत के पास 130 से अधिक जहाज हैं और 61 युद्धपोत निर्माणाधीन हैं.

देसी तकनीक

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने कलवरी-क्लास पनडुब्बियों के लिए स्वदेशी AIP सिस्टम विकसित किया है. दिसंबर 2024 में सरकार ने इसके लिए ₹1,990 करोड़ का अनुबंध MDL के साथ साइन किया. इस सिस्टम का पहला प्लग INS कलवरी पर सितंबर 2025 में उसके मेजर रीफिट के दौरान लगाया जाएगा. साथ ही एक अन्य कॉन्‍ट्रैक्‍ट ₹877 करोड़ का नेवल ग्रुप (फ्रांस) के साथ किया गया है, जिसके तहत कलवरी-क्लास पनडुब्बियों में इलेक्ट्रॉनिक हेवी वेट टॉरपीडो लगाए जाएंगे, जिससे उनकी मारक क्षमता बढ़ेगी. इन परियोजनाओं से देश में बड़ी तादाद में रोजगार के मौके बनेंगे. AIP परियोजना अकेले लगभग तीन लाख मैन-डे का रोजगार उत्पन्न करेगी. MDL और इसके सहयोगी पहले ही 50 से अधिक भारतीय कंपनियों को शामिल कर चुके हैं. फ्रांसीसी नेवल ग्रुप की भारतीय शाखा भी 70 से अधिक भारतीय इंजीनियरों को नौसेना परियोजनाओं में सहायता दे रही है. MDL की निर्माण क्षमता में एक साथ 11 पनडुब्बियों और 10 विध्वंसक जहाजों का निर्माण शामिल है. कंपनी पहले ही छह स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियों की सफल डिलीवरी कर चुकी है.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

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