12वीं के बाद बैचलर्स करें या 5 साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में लें एडमिशन?

4 hours ago

Last Updated:July 11, 2025, 10:44 IST

Career Options after 12th: स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद जितना मुश्किल सही कॉलेज चुनना होता है, उतना ही सही कोर्स सिलेक्ट करना भी. 12वीं के बाद इंटीग्रेटेड कोर्स का ट्रेंड बढ़ रहा है.

12वीं के बाद बैचलर्स करें या 5 साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में लें एडमिशन?

Integrated Courses: कई कॉलेज इंटीग्रेटेड कोर्स की सुविधा दे रहे हैं

हाइलाइट्स

12वीं के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए कई विकल्प हैं.आप 3 साल के यूजी और 2 साल के पीजी कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं.आप 12वीं के बाद इंटीग्रेटेड कोर्स की पढ़ाई कर सकते हैं.

नई दिल्ली (Career Options after 12th). 12वीं के बाद हायर एजुकेशन का चयन स्टूडेंट के करियर गोल्स, रुचियों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. स्टूडेंट्स चाहें तो ट्रडिशनल बैचलर्स और मास्टर्स डिग्री (जैसे बीएससी के बाद एमएससी) या 5-वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स (जैसे इंटीग्रेटेड एमएससी या बीटेक-एमटेक) चुन सकते हैं. दोनों के अपने फायदे और चुनौतियां हैं. 3 साल का बैचलर्स + 2 सालों का मास्टर्स कोर्स ज्यादा फ्लेक्सिबल माना जाता है. इसमें स्टूडेंट्स विभिन्न संस्थानों और विषयों का अनुभव ले सकते हैं.

इंटीग्रेटेड कोर्स में 12वीं के बाद एडमिशन लिया जाता है. यह 4 या 5 सालों का कोर्स है और आप इसमें एडमिशन लेने के बाद बीच में संस्थान नहीं बदल सकते हैं. डिग्री के लिए आपको कोर्स पूरा करना ही होगा. दोनों विकल्पों के अपने फायदे और चुनौतियां हैं. स्टूडेंट्स अपने फ्यूचर गोल्स और बजट के हिसाब से बेस्ट कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. यह फैसला लेते समय कोर्स की अवधि, फीस, करियर अवसर जैसे फैक्टर्स को ध्यान में रखना जरूरी है.

बैचलर्स+मास्टर्स वर्सेस इंटीग्रेटेड कोर्स

इन दोनों कोर्सेस में बहुत अंतर है. ज्यादातर लोग 3 साल के यूजी कोर्स और 2 साल के पीजी कोर्स के बारे में ही जानते हैं. लेकिन नई जेनरेशन के बीच इंटीग्रेटेड कोर्सेस भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं.

पारंपरिक बैचलर्स + मास्टर्स

अवधि: बैचलर्स (3-4 वर्ष) और मास्टर्स (2 वर्ष), कुल 5-6 वर्ष.

फ्लेक्सिबिलिटी: आप बैचलर्स और मास्टर्स के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर सकते हैं, जिससे नए शहरों और शैक्षिक वातावरण का अनुभव मिलता है.

खासियत: बैचलर्स में सामान्य विषय (जैसे बीएससी केमिस्ट्री) और मास्टर्स में खास क्षेत्र (जैसे एमएससी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री) चुन सकते हैं.

करियर बदलाव: बैचलर्स की पढ़ाई करने के बाद अगर आपकी रुचि बदलती है तो मास्टर्स में अन्य क्षेत्र (जैसे MBA, डेटा साइंस) की पढ़ाई कर सकते हैं.

अवसर: प्रतिष्ठित संस्थानों में मास्टर्स के लिए प्रवेश परीक्षाएं (जैसे IIT JAM) दे सकते हैं.

चुनौतियां: अधिक समय और लागत क्योंकि दो अलग-अलग कोर्स और प्रवेश प्रक्रियाएं. मास्टर्स में एडमिशन के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी.

इंटीग्रेटेड कोर्स

अवधि: 5 साल, इसमें बैचलर्स और मास्टर्स दोनों शामिल हैं.

समय और लागत की बचत: एक ही कोर्स में दोनों डिग्री, जिससे एक साल की बचत हो सकती है.

बेहतर सिलेबस: जो रिसर्च या पीएचडी के लिए बेस्ट.

स्टेबिलिटी: एक ही संस्थान में लंबे समय तक पढ़ाई से स्टेबिलिटी बढ़ती है.

चुनौतियां: कुछ सालों की पढ़ाई के बाद मन न लगने पर विषय या संस्थान बदलना मुश्किल है. लंबे समय तक एक ही कैंपस में रहना कई बार बोरिंग हो जाता है.

दोनों में से किसमें लें एडमिशन?

बैचलर्स + मास्टर्स: अगर आप विभिन्न संस्थानों का अनुभव चाहते हैं, विषय बदलने की आजादी चाहते हैं या करियर में विविधता की संभावना तलाश रहे हैं तो इसमें एडमिशन ले सकते हैं.

इंटीग्रेटेड कोर्स: अगर आप समय और लागत बचाना चाहते हैं, रिसर्च-ओरिएंटेड करियर चाहते हैं और एक डायवर्स सिलेबस पसंद करते हैं तो इसमें दाखिला ले सकते हैं.

Deepali Porwal

Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें

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