Last Updated:July 11, 2025, 13:56 IST
Suvendu Adhikari: पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने एक ऐसा बयान दिया है, जो उनकी पद और गरिमा के बिल्कुल उलट है. उनके बयान पर पूरे देश से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

सुवेंदु अधिकारी के बयान पर बवाल मच गया है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के सीनियर लीडर सुवेंदु अधिकारी के एक बयान पर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की जनता को मुस्लिम बहुल इलाकों में जाने से परहेज करने की बेतुकी सलाह दे डाली है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पश्चिम बंगाल के लोगों को जम्मू-कश्मीर आने का न्योता दिया था. इसके बाद जिम्मेदार पद पर बैठे सुवेंदु अधिकारी ने बंगाल के लोगों को अजीब सलाह देकर उन्हें आगाह करने की कोशिश की है. उमर अब्दुल्ला का नाम लिए बगैर सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि कोई भी बंगाली जम्मू-कश्मीर नहीं जाएगा. अधिकारी ने कहा, ‘कोई भी बंगाली कश्मीर नहीं जाएगा. मैं यह बात पार्टी से जुड़ाव के कारण कह रहा हूं. उन जगहों पर न जाएं, जहां मुस्लिम बहुल हैं.’ उन्होंने इसके लिए पहलगाम अटैक का हवाला भी दिया.
कश्मीर को भारत के माथे का तिलक कहा जाता है. सुवेंदु अधिकारी ने उसी कश्मीर को मुस्लिम बहुल इलाका कह कर लोगों को वहां जाने से परहेज करने की बात कह डाली. सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक उनके बयान की व्यापक निंदा हो रही है. विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे न केवल असंवेदनशील, बल्कि देश की एकता और अखंडता के खिलाफ करार दिया है. विभिन्न दलों ने सुवेंदु अधिकारी के बयान को धार्मिक आधार पर भेदभाव फैलाने वाला बताते हुए कहा है कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसी बातें शोभा नहीं देती हैं. टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कड़ी प्रतिक्रिया में कहा, ‘कश्मीर देश के माथे का तिलक है. उसे ‘मुस्लिम इलाका’ कहकर संबोधित करना विभाजनकारी राजनीति को उजागर करता है. यह देश की आत्मा को ठेस पहुंचाने वाला बयान है.’
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. उसको लेकर किसी भी तरह का असंवेदनशील बयान देश की एकता और अखंडता के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है. जैसा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा. ऐसे बयान देश की एकता को नुकसान पहुंचाते हैं. सुवेंदु अधिकारी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए.’ सरकार के स्तर पर कश्मीर घाटी को देश से जोड़ने और उसे मुख्यधारा में लाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है. इसी सिलसिले में हजारों रुपये खर्च कर चेनाब ब्रिज बनाया गया और कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों से रेल नेटवर्क से जोड़ा गया है.
धार्मिक पहचान नहीं, धरती का जन्नत है कश्मीर
बता दें कि कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है. कवियों से लेकर शायरों और दार्शनिकों तक ने कश्मीर की अपने शब्दों में व्याख्या की है. सुवेंदु अधिकारी के बयान पर जम्मू-कश्मीर से भी प्रतिक्रियाएं आई हैं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘कश्मीर को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता है. यह एक क्षेत्र है, जिसमें हर धर्म, जाति और विचारधारा के लोग रहते हैं.’ टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, ‘सुवेंदु अधिकारी का यह बयान स्पष्ट रूप से नफरत फैलाने वाला है. क्या वे यह कहना चाह रहे हैं कि किसी इलाके की बहुसंख्यक आबादी के आधार पर उसकी भारतीयता तय की जाएगी?’
भाजपा की सफाई
विवाद बढ़ने के बाद भाजपा की ओर से सफाई भी आई है. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सामिक भट्टाचार्य ने कहा कि सुवेंदु अधिकारी का आशय किसी समुदाय को ठेस पहुंचाने का नहीं था. उनका बयान सिर्फ जम्मू-कश्मीर में वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित था, न कि किसी धर्म विशेष पर. हालांकि, सुवेंदु अधिकारी ने अब तक अपने बयान को लेकर कोई माफी नहीं मांगी है और न ही स्पष्ट किया है कि उनका आशय क्या था. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. एक राज्य के विपक्ष के नेता होने के नाते सुवेंदु अधिकारी को कुछ भी बोलने से पहले सौ बार सोचना चाहिए. संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का संविधान किसी भी प्रकार के धार्मिक विभाजन को बढ़ावा नहीं देता.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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