कैंसर-HIV के मरीजों को राहत, अब सस्ता होगा इलाज, 200 दवाओं की कीमत पर कैंची!

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Last Updated:July 11, 2025, 09:15 IST

Health News: भारत सरकार ने कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की 200 दवाओं पर कस्टम शुल्क में छूट की सिफारिश की है, जिससे इलाज की लागत में कमी आएगी.

कैंसर-HIV के मरीजों को राहत, अब सस्ता होगा इलाज, 200 दवाओं की कीमत पर कैंची!

कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की 200 दवाओं पर कस्टम शुल्क में छूट की सिफारिश की गई है. (फाइल फोटो)

कैंसर और एचआईवी जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत की खबर है. बहुत जल्द उनके ऊपर से महंगी दवाओं का बोझ कुछ हद तक कम हो सकता है. जी हां, भारत में जल्द ही एचआईवी, कैंसर, ट्रांसप्लांट मेडिसिन और हेमेटोलॉजी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज की लागत में कमी देखी जा सकती है. इसकी वजह है कि सरकारी पैनल ने करीब 200 दवाओं पर कस्टम शुल्क में छूट यानी ढील देने की सिफारिश की है. इससे इलाज की लागत में कमी आ जाएगी.

कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित एक अंतर-विभागीय समिति ने उच्च प्रभाव वाली मेडिकल आयातों पर कस्टम शुल्क में छूट और रियायतों देने की सिफारिश की है. News18 को मिली रिपोर्ट में कई वैश्विक ब्लॉकबस्टर कैंसर दवाओं जैसे कि पेम्ब्रोलिज़ुमैब (ब्रांड Keytruda), ओसिमर्टिनिब (ब्रांड Tagrisso), और ट्रास्टुज़ुमैब डेरुक्सटेकन (ब्रांड Enhertu) पर पूर्ण कस्टम शुल्क छूट की सिफारिश की गई है. ये दवाएं फेफड़े, स्तन और अन्य आक्रामक कैंसर के इलाज में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं. ये दवाएं उच्च आयात शुल्क के कारण कई लोगों की पहुंच से बाहर रही हैं. कारण कि इन दवाओं की कीमत प्रति खुराक लाखों की है.

भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने अगस्त 2024 में पैनल का गठन किया था. इस पैनल का नेतृत्व ज्वाइंट ड्रग कंट्रोलर आर चंद्रशेखर कर रहे हैं. इसमें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), फार्मास्यूटिकल्स विभाग और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशालय (DGHS) के सदस्य शामिल हैं. पैनल का मकसद भारतीय मरीजों के लिए कैंसर, दुर्लभ रोग, ट्रांसप्लांट और उन्नत डायग्नोस्टिक्स के लिए जीवन रक्षक उपचार को काफी सस्ता बनाना है.

कैंसर की दवाओं के अलावा सिफारिशों में कई अन्य अहम दवाएं शामिल हैं. इनमें ट्रांसप्लांट दवाएं, क्रिटिकल केयर मेडिसिन और उन्नत डायग्नोस्टिक किट शामिल हैं जो इम्पोर्टेड इनपुट पर निर्भर हैं या जिनका घरेलू बाजार में कोई समकक्ष नहीं है. दूसरी श्रेणी की दवाओं- जो आवश्यक हैं मगर अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध हैं- के लिए 5% कस्टम शुल्क की सिफारिश की गई है. इस सूची में हाइड्रॉक्सी यूरिया शामिल है, जो कैंसर और सिकल सेल एनीमिया दोनों का इलाज करती है. इस लिस्ट में एक और लोकप्रिय दवा लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन शामिल है, जिसे Enoxaparin के ब्रांड नाम से बेचा जाता है, जो रक्त के थक्कों और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के इलाज और रोकथाम में उपयोग की जाती है.

5% कस्टम शुल्क की सिफारिश वाली सूची में 74 दवाएं शामिल हैं, जबकि पूर्ण छूट की सिफारिश वाली सूची में 69 दवाएं हैं. रेयर डिजीज यानी दुर्लभ रोगों की दवाओं के लिए अलग सूची में 56 दवाओं के नाम कस्टम शुल्क छूट के लिए शामिल हैं.

रिपोर्ट का एक हिस्सा रेयर डिजीज यानी दुर्लभ रोगों पर केंद्रित है, जहां उपचार की लागत अक्सर परिवारों के लिए औकात से बाहर होती है. पैनल ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, गौचर रोग, फैब्री रोग, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर और हेरिडिटरी एंजाइम की कमी जैसी स्थितियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली चिकित्सा पर कस्टम शुल्क छूट की सिफारिश की है. इनमें से कई उपचार जीन आधारित और एंजाइम रिप्लेसमेंट उपचार (दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में शामिल) हैं, जिनकी एक कोर्स की लागत कई करोड़ों में होती है. दुर्लभ रोगों की सूची में ब्लॉकबस्टर दवाओं में Zolgensma, Spinraza, Evrysdi, Cerezyme और Takhzyro शामिल हैं. ये सभी दवाएं बहुत महंगी हैं और अधिकांश मामलों में भारतीय मरीजों के लिए औकात से बाहर होती हैं.

बहरहाल, इस सरकारी पैनल ने ‘DGHS’ के तहत एक स्थायी अंतर-विभागीय समिति गठित करने की सिफारिश की है जो ऐसी दवाओं की समीक्षा करे और इस संबंध में राजस्व विभाग को सिफारिशें प्रदान करे.

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