Last Updated:March 05, 2025, 12:58 IST
यह लेडी प्रोफेसर 16 तक एक बैंक ऑफिसर के साथ लिव-इन रिलेशन में रही. दोनों की पोस्टिंग अलग-अलग शहर में हो गई तब भी आपस में मिलते हैं. फिर एक दिन महिला ने अपने इस लिव इन पार्टनर पर केस कर दिया. यह मामला आखिरकार सु...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप पर बड़ा फैसला सुनाया है.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशन पर बड़ा फैसला सुनाया.16 साल लिव-इन में रहने पर शादी का झांसा मान्य नहीं.शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बने थे: सुप्रीम कोर्ट.सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशन को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि लंबे समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिला अपने पार्टनर पर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप नहीं लगा सकती. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में यह साबित करना मुश्किल हो जाता है कि शारीरिक संबंध सिर्फ शादी के वादे के कारण बने थे.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने एक बैंक अधिकारी के खिलाफ दायर रेप के मुकदमे को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. इस मामले में शिकायतकर्ता एक लेक्चरर हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके पार्टनर के शादी के वादे पर 16 वर्षों तक उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. हालांकि, कोर्ट ने यह कहते हुए उनकी दलील को खारिज कर दिया कि दोनों पढ़े-लिखे थे और यह रिश्ता आपसी सहमति से चला था.
’16 साल तक विरोध क्यों नहीं किया?’
कोर्ट ने कहा, ‘यह मानना मुश्किल है कि शिकायतकर्ता 16 साल तक लगातार इस संबंध में बनी रही और इस दौरान किसी भी स्तर पर इस कथित धोखे के खिलाफ कोई आपत्ति नहीं जताई. इतने लंबे समय तक चला रिश्ता यह साबित करता है कि इसमें किसी प्रकार का बल या धोखा नहीं था.’
कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि शादी का झांसा दिया गया था, लेकिन 16 साल तक यह संबंध बनाए रखना यह साबित करता है कि सहमति किसी गलतफहमी की वजह से नहीं थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप में लंबे समय तक रहने के बाद किसी महिला के लिए यह कहना कि उसे शादी के झूठे वादे पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया, कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 05, 2025, 12:58 IST