189 मौतों का कौन जिम्मेदार? ट्रेन ब्लास्ट के सभी 12 आरोपी हाईकोर्ट से बरी

6 hours ago

Last Updated:July 21, 2025, 10:22 IST

Mumbai Train Blasts: मुंबई की लोकल ट्रेनों में 2006 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार सभी 12 लोगों को बरी कर दिया है. इससे पहले निचली अदालत ने इन...और पढ़ें

189 मौतों का कौन जिम्मेदार? ट्रेन ब्लास्ट के सभी 12 आरोपी हाईकोर्ट से बरी

2006 में मुंबई ट्रेन धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को बरी किया.2006 मुंबई ट्रेन धमाकों में 189 लोगों की मौत हुई थी.राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है.

2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को ‘विश्वसनीय और ठोस सबूतों’ के साथ साबित करने में असफल रहा. यह फैसला उस केस को पूरी तरह उलट देता है, जिसमें निचली अदालत ने सभी को दोषी ठहराया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा. सबूतों में कोई दम नहीं है. सभी 12 आरोपियों को बरी किया जाता है.’

क्या है पूरा मामला?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक सात बम धमाके हुए थे. इन सिलसिलेवार धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से अधिक घायल हो गए थे. यह हमला भारत के सबसे भीषण आतंकी हमलों में गिना जाता है.

2015 में महाराष्ट्र की विशेष मकोका अदालत ने 13 आरोपियों में से 12 को दोषी ठहराया था. कोर्ट ने इनमें से 5 को फांसी की सज़ा, जबकि 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

इन आरोपियों में बिहार के कमाल अंसारी, मुंबई के मोहम्मद फैजल अताउर रहमान शेख, ठाणे के एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, सिकंदराबाद के नवीद हुसैन खान और महाराष्ट्र के जलगांव के आसिफ खान शामिल थे, जिन्हें बम लगाने का दोषी पाया गया और फांसी की सजा सुनाई गई थी.

अब आगे क्या?

माना जा रहा है कि राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है. सरकारी वकील का कहना है कि वे फैसले की कॉपी का अध्ययन करने के बाद आगे की कानूनी रणनीति तय करेंगे.

यह फैसला सिर्फ 12 लोगों को बरी किए जाने का नहीं, बल्कि एक दशक से अधिक समय तक चले उस न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है, जिसमें सैकड़ों गवाह, सैकड़ों दस्तावेज और हजारों पन्नों की दलीलें शामिल थीं.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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Location :

Mumbai,Maharashtra

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