1965 युद्ध में हैदराबाद के निजाम ने दिया था 5000 किलो सोना? जानिए सच्चाई

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Last Updated:May 10, 2025, 14:52 IST

1965 India-Pakistan War: अक्सर ये बात कही जाती है कि 1965 के युद्ध के समय हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान ने 5000 किलो सेना कोष में दान दिया था. हालांकि ये बात सच नहीं है. उन्होंने 425 किलो सोना नेशनल डिफे...और पढ़ें

1965 युद्ध में हैदराबाद के निजाम ने दिया था 5000 किलो सोना? जानिए सच्चाई

पीएम लाल बहादुर शास्त्री के साथ हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान.

हाइलाइट्स

निजाम ने 5000 किलो सोना दिया नहीं, 425 किलो निवेश किया थाजबकि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने 125 किलो सोना दान दिया थापीएम लाल बहादुर शास्त्री ने निजाम को सोना निवेश के लिए बधाई दी थी

1965 India-Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर लगातार गोलाबारी जारी है और हालात जंग वाले हो गए हैं. ऐसे समय में आम जनता भी भारतीय सेना की हौसला अफजाई के लिए सामने आ रही है. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के दो ग्राम प्रधानों ने भारतीय सेना के कोष में 98 हजार का दान दिया है. अकोढ़ी के ग्राम प्रधान सतीश तिवारी और पडेरी गांव के प्रधानपति चंद्रभूषण सिंह ने जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन को 98 हजार रुपये की राशि का डिमांड ड्रॉफ्ट सौंपा. दोनों ने सेना कोष में पैसा देने के बाद खुशी जताई और कहा कि उन्हें भारतीय सेना पर गर्व है. 

इससे पहले भारत ने जो युद्ध लड़े हैं उस समय देश भयंकर आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था. तब भी खास ओ आम ने आगे बढ़चढ़ कर सेना की मदद की थी. ऐसा ही एक किस्सा 1965 के पाकिस्तान युद्ध से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि उस समय  हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान ने भारतीय सेना के कोष में 5000 किलो सोना दान में दिया था. यह बात लगातार कही-सुनी जाती रही है. लेकिन वास्तव में इस बात में कितनी सच्चाई है? 

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दुनिया के रईसों में था निजाम का शुमार
यह बात एकदम सही है कि हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान का शुमार उस समय भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के रईस लोगों में किया जाता था. माना जाता था कि निजाम के पास टनों सोना और किलो के हिसाब से बेशकीमती हीरे थे. लेकिन उनकी कंजूसी के किस्से भी उतनी ही चर्चाओं में रहते थे. तो क्या निजाम मीर उस्मान अली खान ने वास्तव में भारतीय सेनाओं के लिए अपने निजी कोष से 5000 किलो सोना दान में दिया था.

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दान के लिए हैदराबाद गए थे शास्त्री
कुछ साल पहले ये बात आरटीआई में भी पूछी गई थी कि क्या वास्तव में निजाम मीर उस्मान अली खान ने सेना कोष में 5000 किलो सोना दान किया था. पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के बाद  तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पूरे देश से सेना कोष में दान की अपील कर रहे थे. लाल बहादुर शास्त्री ने इस सिलसिले में पूरे देश का दौरा किया था. वो हैदराबाद जाकर निजाम मीर उस्मान अली खान से भी मिले थे. युद्ध के बाद देश अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई थी. तब ये अटकलें लगने लगी थीं कि निजाम मीर उस्मान अली खान ने काफी मात्रा में देश को सोना दिया और कहा था कि उन्हें केवल इसके बॉक्स लौटा दिए जाएं.

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निजाम ने दिया था कितना सोना
वास्तव में निजाम मीर उस्मान अली खान ने सोना दिया जरूर था, लेकिन दान के रूप में नहीं. दूसरी बात यह कि ये 5000 किलो नहीं बल्कि 425 किलो सोना था.  मीर उस्मान अली खान ने ये सोना तब नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम में निवेश किया था. देश आर्थिक तौर पर खस्ताहाल था, लेकिन उन दिनों में निजाम को इस पर 6.5 फीसदी की दर से ब्याज देना तय हुआ था.

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क्या छपा था एक अंग्रेजी अखबार में
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और हैदराबाद के निजाम के बीच हुई मुलाकात के बारे में तब एक अंग्रेजी अखबार ने छापा था. यह रिपोर्ट 11 दिसंबर 1965 की है. शास्त्री औरनिजाम की मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई. दोनों के बीच आपस में हल्की फुल्की बातचीत हुई. हैदराबाद के वृद्ध पूर्व शासक एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री का स्वागत करने और उनसे मिलने गए थे. बाद में शाम को एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए शास्त्री ने निजाम को 425 किलो सोना निवेश करने के लिए उन्हें बधाई दी. ये सोना उन्होंने गोल्ड बांड में निवेश किया था, जिसकी कीमत उस समय 50 लाख रुपये थी. इसमें सोने की मोहरें थीं. जिनकी असली कीमत और उनकी शुद्धता की जांच बाद में सही तरीके से की गई.

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तिरुपति ने किया था 125 किलो सोना दान
लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था, “हम इन सोने की मोहरों को गलाना नहीं चाहते, लेकिन बाहर किसी दूसरे देश में भेजना चाहते हैं ताकि इसकी ज्यादा कीमत मिल जाए. इससे हमें करोड़ रुपये भी मिल सकते हैं.” उस अखबार की रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने भी 125 किलो सोना दान में दिया है. इसके अलावा एक तेलुगु फिल्म स्टार ने दान के रूप में सरकार को आठ लाख रुपये दिए थे. ऐसे में मिर्जापुर जिले के दोनों ग्राम प्रधानों द्वारा सेना कोष में दिया गया दान सराहनीय है. क्योंकि उनके द्वारा दिए गए दान की राशि नहीं बल्कि उनकी देशप्रेम की भावना बेहद पवित्र है.

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