88 घंटे में PAK की रीढ़ कैसे तोड़ दी गई, ऑपरेशन सिंदूर पर टॉप ऑफिसर का खुलासा

4 hours ago

Last Updated:June 29, 2025, 00:07 IST

CNN-News18 के टॉउनहाल इवेंट में, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के चीफ (CISC) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के उन 88 घंटों के बारे में विस्तार से बात की.

88 घंटे में PAK की रीढ़ कैसे तोड़ दी गई, ऑपरेशन सिंदूर पर टॉप ऑफिसर का खुलासा

CNNNews18TownHall में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित.

हाइलाइट्स

ऑपरेशन सिंदूर में 88 घंटे में पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ.ऑपरेशन सिंदूर में सैटेलाइट, ड्रोन और देसी हथियारों का उपयोग हुआ.ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की आक्रामक रणनीति को नया आयाम दिया.

नई दिल्ली: CNN-News18 के टाउनहॉल में जब एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित बोल रहे थे, तो उनकी आंखों में वो भरोसा था जो किसी सफल ऑपरेशन के बाद ही आता है. उनके लहजे में गर्व था, और हर शब्द में रणनीति की झलक. ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है, मगर यह भारत के सैन्य इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जा चुका है. क्योंकि यह सिर्फ 88 घंटे की लड़ाई नहीं थी. ये उस तैयारी का परिणाम था जो दो दशक से ज्यादा वक्त से अंदर ही अंदर पक रही थी. आगे की कहानी, एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित की जुबानी.

कहानी वहां से शुरू होती है जहां दुश्मन ने गलती की

7 मई की सुबह. पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले ने भारत की चेतना को झकझोर दिया. हमला सिर्फ सैनिकों पर नहीं था, बल्कि एक संदेश था जिसका जवाब देना ज़रूरी था. और इस बार जवाब सिर्फ चेतावनी नहीं, रणनीतिक और सैन्य भाषा में होना था. इसी के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू हुआ. एक ऑपरेशन, जिसमें न शोर था, न दिखावा. लेकिन जब हवा में भारतीय फाइटर्स गरजे, तो पाकिस्तान की नींव हिल गई. एयर मार्शल दीक्षित के शब्दों में, ’88 घंटे में जो हुआ, वो इतना बड़ा था कि कोई भी आत्मसम्मान वाला देश या फौज इतनी जल्दी झुक नहीं सकती, जब तक अंदर से पूरी तरह टूटी न हो.’

तैयारी कोई रातों-रात नहीं हुई थी

ऑपरेशन सिंदूर की नींव तो 1999 के कारगिल युद्ध के बाद ही रख दी गई थी. जब भारत ने महसूस किया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के बिना भविष्य के युद्ध नहीं जीते जा सकते. तभी बना था ‘इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ’ यानी तीनों सेनाओं का साझा कमांड. उसी की अगुवाई कर रहे हैं एयर मार्शल दीक्षित. उन्होंने साफ कहा, ‘ये ऑपरेशन सिर्फ फिजिकल स्ट्राइक नहीं था. ये एकता, इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी की जीत थी. टारगेट सिलेक्शन से लेकर अंतिम हमले तक सबकुछ एकदम सटीक और समन्वित था.’

पाकिस्तानी ठिकानों पर सीधी चोट

ऑपरेशन सिंदूर में न सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, बल्कि पाकिस्तान के भीतर स्थित कई अहम एयरबेस पर भी हमले किए गए. नोओर खान और रहीम यार खान जैसे एयरबेस को नुकसान पहुंचाना किसी छोटे मोटे स्ट्राइक का हिस्सा नहीं था. ये एक स्पष्ट संदेश था- अब भारत सिर्फ जवाब नहीं देता, तय करता है कि जवाब कब और कहां देना है.

सैटेलाइट इमेज, ड्रोन और देसी हथियार

इस ऑपरेशन में भारत की नई ताकत खुलकर सामने आई. रियल-टाइम सैटेलाइट इंटेलिजेंस, अपने ड्रोन्स और हाई-प्रिसिजन मिसाइल्स के साथ भारत ने जो किया, वो पाकिस्तान के लिए चौंकाने वाला था. एयर मार्शल ने साफ कहा, ‘हमने किसी का मॉडल कॉपी नहीं किया. हमारी रणनीति, हमारे सिस्टम, सब कुछ देसी है और उतना ही असरदार.’

दुश्मन को भी दिखी तबाही

जब ऑपरेशन खत्म हुआ, तो दुनिया भर के चैनल्स पर जो तस्वीरें आईं, वो साफ दिखा रही थीं कि पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ. खुद भारतीय सेना ने भी सैटेलाइट और ओपन-सोर्स तस्वीरों से इनकी पुष्टि की. दीक्षित ने कहा, ‘हमने जो नुकसान पहुंचाया है, वो दुश्मन के लिए खुली किताब है.’

एयर मार्शल के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की युद्ध-नीति का ‘थ्रेशहोल्ड’ ही बदल दिया है. अब भारत इंतजार नहीं करता, बल्कि तय करता है कि कब, कहां और कैसे वार करना है. और सबसे अहम बात कि अब भारत सिर्फ रक्षा नहीं, आक्रामक रणनीति में भी मास्टर बन चुका है.

LCA MK-2 और AMCA भी ट्रैक पर

उन्होंने बताया कि भले ही कुछ देरी हो, लेकिन LCA Mk-2 एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है. साथ ही, भारत का अगला सपना – फिफ्थ जनरेशन स्टील्थ फाइटर AMCA – अब रफ्तार पकड़ चुका है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसका ‘एग्जीक्यूशन मॉडल’ पास कर दिया है.

ड्रोन आए हैं, लेकिन बाकी हथियार नहीं जाएंगे

ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन्स का इस्तेमाल अहम रहा, लेकिन दीक्षित मानते हैं कि ये पारंपरिक हथियारों की जगह नहीं लेंगे. वे कहते हैं, ‘ड्रोन एक नया औजार हैं, लेकिन कब और कैसे इस्तेमाल करना है, ये हालात तय करेंगे.’ ‘नॉन-लाइनियर रिस्पॉन्स’, ‘सिमल्टेनियस अटैक’, और ‘लॉन्ग रेंज स्ट्राइक’ ये ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी सीख हैं. इसके अलावा, भारत अब हर मोर्चे पर “कंटिग्युअस थ्रेट” को ध्यान में रखकर योजना बना रहा है.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

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